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Pukhraj King

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विष्णुप्रिया

यज्ञ

ब्रह्म रूपी अग्नि में अपने
अहंकार की आहुति दे
अज्ञान का नाश करना ही
यज्ञ का परम लक्ष्य है । #yqdidi #यज्ञ #spirituality #अध्यातमिक #हिंदीqoutes #विष्णुप्रिया

Manju Sharma

OPEN FOR COLLAB 🌷♥️ चार पंक्तियाँ लिखें. ✍️अपने पोस्ट highlight-share करना ना भूले. “ चैताली “ जीने यह विषय सुझाव दिया है, अभिनंदन आपका 💐👍👌शुभसंध्या मित्रों 😊 तीन लेखक मिलके कोलॅब पूर्ण करें. #यज्ञ#hindiquotes #Hindi #हिंदी #Collab #hindicollab yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with शब्दसारथी

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करके यज्ञ बस न घर को शुद्ध करिये,
जला कर अपने द्वेष और अंहकार, 
दिल को भी शुद्ध किजिए, 
जलकर आग में खुद को सोने सा कर लिजिए।  OPEN FOR COLLAB 🌷♥️
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Shravan Goud

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जिंदगी के यज्ञ में आहुतियां मोह 
माया की देकर जीवन को सफल 
बनाया जा सकता है। सत्य कभी 
टूटता नहीं, सपना टूटता है। OPEN FOR COLLAB 🌷♥️
चार पंक्तियाँ लिखें. ✍️अपने पोस्ट highlight-share करना ना भूले. “   चैताली “ जीने यह विषय सुझाव दिया है, अभिनंदन आपका 💐👍👌शुभसंध्या मित्रों 😊 तीन लेखक मिलके कोलॅब पूर्ण करें.
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Kundan Kumar

महायज ग्राम जलवैया अगनूर #यज्ञ #पूजाथाल #नोजोटोराइटर्स #समाज

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Ek villain

#यज्ञ में सबसे श्रेष्ठ जप को माना जाता है #Navraatra #Society

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यज्ञ में सबसे श्रेष्ठ जप को माना गया है जो किसी मंत्र का ही होता है 9 अक्षरों वाला होने के कारण इसे उन्नाव मंत्र कहा गया है सामान्यता अन्य मंत्रों के जप में पहले ओम लगाया जाता है किंतु इसके पहले नहीं क्योंकि इसके ऊपर अंबर 13 बीच अक्सर स्वयं प्रणव यानी ओम है अलबत्ता इसी मंत्र के पूर्व में पश्चात गायत्री मंत्र का संपुष्टि आवश्यक है ऐसा इसलिए है इस शक्ति मंत्र में विद्युतीय परखता होती है और थोड़ी भी प्रतीकात्मक असावधानी होने पर हानि की आशंका रहती है गायत्री का संपुष्टि नियामक का काम करता जबकि तीन प्रकारों बेकरी ओपा अंशु और मानसिक नयन वर्णन मस्तिक ही उचित होता है जो ध्यान सहित हो इस मंत्र का अर्थ है मैं ब्रह्मविद्या पाने के लिए आपका धंधा करता हूं आप आ विद्या की ग्रंथ खोलकर विद्या का प्रकाश फैला दें ध्यान मां की श्री स्वर्गीय के किसी अंग अथवा तीन पुष्टि पर हो दोनों भौहों के बीच का स्थान त्रिपुटी कहलाता है जहां मन अपने रश्मि पूंजी के साथ सूक्ष्म रूप से रहता है 64 मनो रश्मिया यहां से प्रकाशित होती है

©Ek villain #यज्ञ में सबसे श्रेष्ठ जप को माना जाता है
#Navraatra

Rohitas Sharrma

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Rohitas Sharrma

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वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

नाभिं॑ य॒ज्ञानां॒ सद॑नं रयी॒णां म॒हामा॑हा॒वम॒भि सं न॑वन्त। 
वै॒श्वा॒न॒रं र॒थ्य॑मध्व॒राणां॑ य॒ज्ञस्य॑ के॒तुं ज॑नयन्त दे॒वाः ॥

पद पाठ
नाभि॑म्। य॒ज्ञाना॑म्। सद॑नम्। र॒यी॒णाम्। म॒हाम्। आ॒ऽहा॒वम्। अ॒भि। सम्। न॒व॒न्त॒। वै॒श्वा॒न॒रम्। र॒थ्य॑म्। अ॒ध्व॒राणा॑म्। य॒ज्ञस्य॑। के॒तुम्। ज॒न॒य॒न्त॒। दे॒वाः ॥

हे मनुष्यो ! (देवाः) विद्वान् जन जिस (यज्ञानाम्) सत्यक्रियामय यज्ञों के (नाभिम्) बीच के भाग को और (महाम्) महान् (रयीणाम्) धनों के (सदनम्) स्थान और (आहावम्) चारों ओर से स्पर्द्धा करने योग्य (वैश्वानरम्) सर्वत्र प्रकाशमान (रथ्यम्) रथको बहाने के योग्य (अध्वराणाम्) नहीं नष्ट करने योग्यों के (यज्ञस्य) प्राप्त होने योग्य व्यवहार के (केतुम्) जनानेवाले को (सम्, जनयन्त) अच्छे प्रकार प्रकट करते हैं और (नवन्त) स्तुति करते हैं उसकी आप लोग (अभि) सम्मुख प्रशंसा करिये ॥

Hey man  (Deva:) scholarly jana jis (yagyanam) Satyakramayya Yajna's (naamvam) the middle part and (maham) great (ryamna) of wealth (saddhanam) place and (ahavam) from all around (vivanaram) sarvatra prakashmana (rathayam)  ) Do not destroy the chariot worthy of (excruciating) (Yajnasya) worthy of (Yajnasya) attainable behavior (Ketum) to the person who is good (Sama, Janyant), and praises (Navant) his people (Abhi) before him.  Praise

( ऋग्वेद ६.७.२ ) #ऋग्वेद #मंत्र #वेद #यज्ञ

वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

स॒द्यो जा॒त ओष॑धीभिर्ववक्षे॒ यदी॒ वर्ध॑न्ति प्र॒स्वो॑ घृ॒तेन॑। 
आप॑इव प्र॒वता॒ शुम्भ॑माना उरु॒ष्यद॒ग्निः पि॒त्रोरु॒पस्थे॑॥

पद पाठ
स॒द्यः। जा॒तः। ओष॑धीभिः। व॒व॒क्षे॒। यदि॑। वर्ध॑न्ति। प्र॒ऽस्वः॑। घृ॒तेन॑। आपः॑ऽइव। प्र॒ऽवता॑। शुम्भ॑मानाः। उ॒रु॒ष्यत्। अ॒ग्निः। पि॒त्रोः। उ॒पऽस्थे॑॥

यदि अग्नि सूर्यरूप से भूमि के जल को खींच कर वर्षा न करावे तो कोई भी ओषधि न हो। जैसे कोई रूठा हुआ किसीको मारता है, वैसे जलता हुआ अग्नि पाये हुए पदार्थों को जला देता है। और जैसे प्रसन्न होता हुआ मित्र मित्र की रक्षा करता है, वैसे युक्ति से सेवन किया हुआ अग्नि पदार्थों की रक्षा करता है ॥

If fire does not pull the ground water from the sun and rain it, then there is no vegetation.  Just as someone kills a disheveled one, in the same way, burning fire burns the found substances.  And as a happy friend protects a friend, in the same way the fire consumed by the device protects.

( ऋग्वेद ३.५.८ ) #ऋग्वेद #वेद #औषधि #वर्षा #सूर्य #यज्ञ
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