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Best दुध Shayari, Status, Quotes, Stories

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Komal Pardeshi

असे #दुध चोळा #चेहरा गोरा होईल , डेड #त्वचा निघून जाईल , चेहऱ्याच्या #समस्या सोपा उपाय , chehra gora karane #gharguti #Upay #मराठीसंस्कृति

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Dilipkashyap

#दुध और दारू #विचार

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आज के समय में एक दारू बेचने वाला व्यक्ती बुलेट चढ़ रहा है और एक दुध बेचने वाला व्यक्ती सायकल के लिए भी पैसे इकट्ठा नहीं कर कर पा रहा है।
वाह रे जमाना अब दारू की वैल्यू दुध से बढ़ गयी है l #दुध और दारू

Choudhary Dinesh Choudhsry Dinesh

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दुध मे ताकत होती तो दुध के दात  गिरते नही ।।
चाय पियो 
लोटा भरने

akku karothiya

🥰🥰🥰

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दुध में कुछ चाय पती गिरी 
 तो दुध का रंग सावंरा हो गया....
देखा पगली सीधा सादा सा लडका तेरे इश्का में बावरा हो गया....🥰🥰🥰 🥰🥰🥰

Pradeep Kumar

मनुष्य को सफलता पाने के लिए लिए ताप में जलना पड़ता है

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दुध से दही बनने के लिए
दुध को खटास सहने पडे
तब जाके दुध दही बना।। 
दही से माखन बनने के लिए
दही को बिलोने के आधात  सहने पडे
तब जाके दही से माखन बना।।
ओर
माखन से घी बनने के लिए
उस माखन को ना जाने
कितने घंटो जलती भट्टी से
उसे ताप सहना पड़ा
तब जाके माखन से घी बना
तो फिर जाके उस घी का मूल्य बढ़ा।। 
उसी तरह मनुष्य को भी मूल्यवान बनने के लिए
उस भट्टी के आग में तपना पडता है
तब जाके एक दिन मनुष्य भी मूल्यवान बनता है

शुभप्रभात मनुष्य को सफलता पाने के लिए लिए ताप में जलना पड़ता है

#tushu

एका खेडे गावात एक आई आणि तिचा १०-१२ वर्षाचा मुलगा राहत होते, उद्या आपला मुलगा जत्रेला जाणार त्याच्या हातात १० रुपये तरी असावे, पण घरात १० रुपये नाही म्हणून त्या माऊलीने बाजूच्या शेतात राबायला गेली संध्याकाळी मजुरीचे पैसे आणले,

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एका खेडे गावात एक आई आणि तिचा १०-१२
वर्षाचा मुलगा राहत होते,
उद्या आपला मुलगा जत्रेला जाणार
त्याच्या हातात १० रुपये
तरी असावे, पण घरात
१० रुपये नाही म्हणून त्या माऊलीने
बाजूच्या शेतात
राबायला गेली संध्याकाळी मजुरीचे पैसे आणले,

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 13 - राजसी श्रद्धा 'भारत की जनसंख्या बराबर बढ़ती जा रही है। इस बढती हुई जनसंख्या को भोजन देने की समस्या कम विकट नहीॆं है।' मैं यात्रा कर रहा था रेल के द्वितीय श्रेणी के डिब्बे में। उसमें एक स्वच्छ खद्दरधारी पुरुष सामने की बैठक पर विराजमान थे और बड़े उत्साह से वे अपने पास बैठे एक दूसरे सज्जन को समझा रहे थे कि अन्न उत्पादन के लिए सरकार की क्या-क्या योजना है। 'आप बुरा न मानें तो मैं एक घटना सुनाऊँ।' एक गरिक वस्त्रधारी सन्यासी बीच में बोल उठ

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
13 - राजसी श्रद्धा

'भारत की जनसंख्या बराबर बढ़ती जा रही है। इस बढती हुई जनसंख्या को भोजन देने की समस्या कम विकट  नहीॆं है।' मैं यात्रा कर रहा था रेल के द्वितीय श्रेणी के डिब्बे में। उसमें एक स्वच्छ खद्दरधारी पुरुष सामने की बैठक पर विराजमान थे और बड़े उत्साह से वे अपने पास बैठे एक दूसरे सज्जन को समझा रहे थे कि अन्न उत्पादन के लिए सरकार की क्या-क्या योजना है।

'आप बुरा न मानें तो मैं एक घटना सुनाऊँ।' एक गरिक वस्त्रधारी सन्यासी बीच में बोल उठ

Doli dk

#आगे #बढ़ने #की वजह••# Rupa Kumari Shaw

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उन दिनों की बात है जब मैं छोटी-सी थी तब बहुत नादान भी थी।मुझे बचपन से ही बच्चों को प्यार करना बहुत भाता था ।पर ये अपने बदो को नहीं अच्छा लगता था क्योकिं मैं ऊनकी बच्ची जो थी ।लगता था मुझे की मैं बच्चों की माँ हूँ ।मैं बहुत प्यार से अपने गोद रख कर चम्मच से दुध पिलाना,उसे पुचकार कर सुलाना बड़ा अच्छा लगता था।यहाँ तक की जब बच्चों की माँ पास में न होती तो मैं अपने होंठ को चूसने दे देती जिससे बच्चा को लगता की मैंने दुध दे रही हूँ ।बच्चे बड़े आराम से सो भी जाते तब मुझे बहुत खुशी4मेहसूस होता ऐसा••••••लगता मानो मैनें बहुत प्यारा काम किया है जिससे मेरे मन को सुकून मिलती।फिर मै आराम से बच्चे को कन्धे पे लेके घुमाती।फिर सूला देती।एक बार ऐसा हुआ की
 मेरी एक दी अपने घर मुझे इसलिये ले गयी ताकि मैं निशु को सम्भाल सकूँ ।उस वक़्त मेरी पढ़ाई भी जारी थी कहा जाए तो कालेज की पहली सीढ़ी शुरू हुई थी ।मैं पर कालेज जन पसन्द नहीं करती थी।तो दी के घर चली गयीं, वो स्कूल पढ़ाने जाती और मैं निशु का देखभाल करती।इसके लिए मैं घर में साड़ी को लकड़ी के खम्भे में बान्ध के झुला बनायी थी जो बहुत ही प्यारा थीं निसू उसमें सोती तो बहुत खुश हो जाती ।मैं तब तक और भी काम निबटा लेती। मैं हमेशा उसे तैयार करके उस झूले मे डाल कर झूला देते ओ भी खूश हो जाती ।फिर  छोटा फोन मे गाना बजा के रख देते और खुश हो जाती।ऐसा ही रोज चलते रहा, मेरी पढाई भी थोड़ी हो जाती।
उस वक्त दी मुझे खाना बनाने भी सिखाती।अचानक एक दिन पता चला मेरा परिक्षा है मुझे जाना पड़ा।मैं तो चली गयीं ,पर ऐसा होगा कोई सोच भी नहीं सकता की निसू खाना-पिना ही छोड़ दी। बस मुझे ढूँढती और न नजर आती तो बस रोती फिर दी- जीजू भी परेशान ।उनलोग ने मुझे फोन किये ।बोले तुम जैसे भी हो सके वापस लौट आव ।मेरी बेटी मर जायेगी ।ओ खाना- पीना भी छोड़ दी है ।मैं भी परेशान ।दी बोली मैं न तुम्हारे सर से बात कर यहीं से परीक्षा दिलवा दुन्गी ।अब क्या करूँमुझे भी समझ नी आ रहा था।मिझे भी रोना आ रहा था क्युकि उधर मेरी बाबू रो रही है।ईधर मेरा परीक्षा •••
फिर मैं वापस लौट आई।फिर निसू भी खुश और खुशी तब मिली जब मेरी परिक्षा का तारिख भी आगें बढ़ गया।तब से हमलोग का प्यार और भी बढ़ गया।
सबसे बड़ी बात निसू के कारण मैं शहर में रहकर पढाई कर पायी ।क्युकि दी मेरा साथ देकर पापा माँ को समझाई ।और आज मैं खुद पर निर्भर हूँ ।लोगो को भी आत्मनिर्भर बनने की सीख देती हूँ ।बहुत लोग तो मेरी पीछे की जिन्दगी क बारे में जानकर खुद से सम्भलने की चाह रखते हैं।
  I Love you nisu & miss u.
 #NojotoQuote #आगे #बढ़ने #की #वजह••# Rupa Kumari Shaw

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 12 - प्रार्थना का प्रभाव 'भगवान् यार्कशायर में हैं और दक्षिण ध्रुव में नहीं है?' वह खुलकर हंस पड़ा। 'जो यहां हमारी रक्षा करता है वह सब कहीं कर सकता है।' इम तर्क का किसी के पास भला क्या उत्तर हो सकता है। श्रीमती विल्सन जानती हैं कि उनके पति जब कोई निश्चय कर लेते हैं, उन्हें रोका नहीं जा सकता।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
12 - प्रार्थना का प्रभाव

'भगवान् यार्कशायर में हैं और दक्षिण ध्रुव में नहीं है?' वह खुलकर हंस पड़ा। 'जो यहां हमारी रक्षा करता है वह सब कहीं कर सकता है।'

इम तर्क का किसी के पास भला क्या उत्तर हो सकता है। श्रीमती विल्सन जानती हैं कि उनके पति जब कोई निश्चय कर लेते हैं, उन्हें रोका नहीं जा सकता।

छगन कुमावत "लाड़ला"

दुध तो दुध यहाँ खून में भी पानी बहुत है । किस किस को उठाऊँ "छगन" यहाँ गिरे हुए इंसान बहुत है ।। छगन चहेता © Nojoto Nojoto News Nojoto Hindi Nojoto_Masti

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दुध तो दुध , 
यहाँ खून में भी पानी बहुत है ।

किस किस को उठाऊँ "छगन"।
यहाँ  गिरे  हुए  इंसान  बहुत  है  ।।

                 - छगन चहेता © दुध तो दुध 
यहाँ खून में भी पानी बहुत है ।

किस किस को उठाऊँ "छगन"
यहाँ गिरे हुए इंसान बहुत है ।।
छगन चहेता ©

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