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Best इख्तियार Shayari, Status, Quotes, Stories

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Asheesh Yadav

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Rabindra Kumar Ram

" तेरी ख़बर तो मिलने को मिलती ही रहती हैं , फिर तु ही कुछ इस कदर बेपरवाह हो गई , रफ़ाक़त के कुछ सलीके इख्तियार कर तो लें , फिर इस गुमनामी में तु फिर शिद्दत से मिले तो मिले . " --- रबिन्द्र राम #ख़बर #बेपरवाह #रफ़ाक़त #शायरी

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" तेरी ख़बर तो मिलने को मिलती ही रहती हैं ,
फिर तु ही कुछ इस कदर बेपरवाह हो गई ,
रफ़ाक़त के कुछ सलीके इख्तियार कर तो लें ,
फिर इस गुमनामी में तु फिर शिद्दत से मिले तो मिले . " 

                          --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " तेरी ख़बर तो मिलने को मिलती ही रहती हैं ,
फिर तु ही कुछ इस कदर बेपरवाह हो गई ,
रफ़ाक़त के कुछ सलीके इख्तियार कर तो लें ,
फिर इस गुमनामी में तु फिर शिद्दत से मिले तो मिले . " 

                          --- रबिन्द्र राम 

 #ख़बर #बेपरवाह #रफ़ाक़त

Rabindra Kumar Ram

" मिलोगी फिर किस हिसाब से तुम से जो‌ मिला‌ जाये , बात जहां तक जाहिर हो फिर वहां तक गुप्तगू की जाये , बोलो तो अब इस रंजूर में कौन सी शक्ल इख्तियार करें , मुहब्बत की बात है फिर मुहब्बत की कौन सी बात करें . " --- रबिन्द्र राम #हिसाब #जाहिर #गुप्तगू #रंजूर #शक्ल #इख्तियार #मुहब्बत #शायरी

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" मिलोगी फिर किस हिसाब से तुम से जो‌ मिला‌ जाये ,
बात जहां तक जाहिर हो फिर वहां तक गुप्तगू की जाये ,
बोलो तो अब इस रंजूर में कौन सी शक्ल इख्तियार करें ,
मुहब्बत की बात है फिर मुहब्बत की कौन सी बात करें . " 

                           --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " मिलोगी फिर किस हिसाब से तुम से जो‌ मिला‌ जाये ,
बात जहां तक जाहिर हो फिर वहां तक गुप्तगू की जाये ,
बोलो तो अब इस रंजूर में कौन सी शक्ल इख्तियार करें ,
मुहब्बत की बात है फिर मुहब्बत की कौन सी बात करें . " 

                           --- रबिन्द्र राम 

 #हिसाब #जाहिर #गुप्तगू  #रंजूर #शक्ल #इख्तियार #मुहब्बत

Rabindra Kumar Ram

*** ग़ज़ल *** *** इक तुम्हीं ही नहीं *** " तुमसे फासले कुछ यूं ही रहेंगे , मुहब्बत के वसूल कुछ यूं ही रहेंगे , वेशक तुम ना मिलना कभी ऐसे में , कहीं तुझे देख के आह भरना कबूल करेंगे , दर्दे-ए-सितम रुसवाई हैं बात पे तन्हाई हैं , #शायरी #दस्तूर #इख्तियार #मलाल #मुतअस्सिर #फ़ऱाज

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*** ग़ज़ल *** 
*** इक तुम्हीं ही नहीं *** 

" तुमसे फासले कुछ यूं ही रहेंगे ,
मुहब्बत के वसूल कुछ यूं ही रहेंगे ,
वेशक तुम ना मिलना कभी ऐसे में ,
कहीं तुझे देख के आह भरना कबूल करेंगे ,
दर्दे-ए-सितम रुसवाई हैं बात पे तन्हाई हैं ,
यूं होने को बात बेफजूल भी नहीं ,
ये मलाल फिर कुछ यूं ही ही नहीं ,
तरीका हम जो भी इख्तियार करें जीने ,
इस मुतअस्सिर का इक सबब तुम ही नहीं ,
खाली फलक का चांद जऱा तुम ही नही ,
जिसे देखते हुए मैं जिता हूं वो फ़ऱाज तुम्हीं ही नहीं ,
आईने की दस्तूर तो समझूं मैं ,
तुम्हें देखने का बहाना इक सौ दफा तुम्हीं ही नहीं . "

                           --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** 
*** इक तुम्हीं ही नहीं *** 

" तुमसे फासले कुछ यूं ही रहेंगे ,
मुहब्बत के वसूल कुछ यूं ही रहेंगे ,
वेशक तुम ना मिलना कभी ऐसे में ,
कहीं तुझे देख के आह भरना कबूल करेंगे ,
दर्दे-ए-सितम रुसवाई हैं बात पे तन्हाई हैं ,

Rabindra Kumar Ram

" मैंने तुझे महज़ चाहने में यकीन‌ रखते हैं, तु हैं की तेरी‌ अजमाइश की मुहब्बत अब भी गवारा नहीं हैं , वेशक ना कर तु कर मुझसे अब‌ कोई राब्ता, गैरइरादतन सलिके मुहब्बत‌ के‌ और भी इख्तियार किये जायेगें. " --- रबिन्द्र राम #महज़ #अजमाइश #राब्ता, #शायरी

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" मैंने तुझे महज़ चाहने में यकीन‌ रखते हैं, 
तु हैं की तेरी‌ अजमाइश की मुहब्बत अब भी गवारा नहीं हैं , 
वेशक ना कर तु कर मुझसे अब‌ कोई राब्ता, 
गैरइरादतन सलिके मुहब्बत‌ के‌ और भी इख्तियार किये जायेगें. " 

                     --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " मैंने तुझे महज़ चाहने में यकीन‌ रखते हैं, 
तु हैं की तेरी‌ अजमाइश की मुहब्बत अब भी गवारा नहीं हैं , 
वेशक ना कर तु कर मुझसे अब‌ कोई राब्ता, 
गैरइरादतन सलिके मुहब्बत‌ के‌ और भी इख्तियार किये जायेगें. " 

                     --- रबिन्द्र राम 

#महज़ #अजमाइश #राब्ता,

Rabindra Kumar Ram

" इक दिन तुम्हे इश्क़ हो जायेगा, सलिके तुम कुछ भी इख्तियार करो , इश्क़ का मर्ज समझ ना आयेगा ऐसे में , जाहिर करना तुम किसकी हमनवाई हो तुम. " --- रबिन्द्र राम #इश्क़ #सलिके #इख्तियार #शायरी

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" इक दिन तुम्हे इश्क़ हो जायेगा, 
सलिके तुम कुछ भी इख्तियार करो , 
इश्क़ का मर्ज समझ ना आयेगा ऐसे में , 
जाहिर करना तुम किसकी हमनवाई हो तुम. "

                        --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " इक दिन तुम्हे इश्क़ हो जायेगा, 
सलिके तुम कुछ भी इख्तियार करो , 
इश्क़ का मर्ज समझ ना आयेगा ऐसे में , 
जाहिर करना तुम किसकी हमनवाई हो तुम. "

                        --- रबिन्द्र राम

#इश्क़ #सलिके #इख्तियार

Malik G

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Rabindra Kumar Ram

Pic: Facebook group Pic : Facebook group " चलो ये इख्तियार कर ले तो‌ सही , तेरी झुकती नजरों से कुछ सवालात तो कर ले सही , इस ख्याल पे तुमने कुछ चुप्पी साध रखी हैं , जायजा कुछ कर तो लु ना तुमने हां कहा न कहा ना फिर इतने इतमिनान से कैसे रहूं ."

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"  चलो ये इख्तियार कर ले तो‌ सही ,
तेरी झुकती नजरों से कुछ सवालात तो कर ले सही ,
इस ख्याल पे तुमने कुछ चुप्पी साध रखी हैं ,
जायजा कुछ कर तो लु ना तुमने हां कहा न कहा ना फिर इतने इतमिनान से कैसे रहूं ."

                          ‌--- रबिन्द्र राम      Pic: Facebook group 

Pic : Facebook group 

"  चलो ये इख्तियार कर ले तो‌ सही ,
तेरी झुकती नजरों से कुछ सवालात तो कर  ले सही ,
इस ख्याल पे तुमने कुछ चुप्पी साध रखी हैं ,
जायजा कुछ कर तो लु ना तुमने हां कहा न कहा ना फिर इतने इतमिनान से कैसे रहूं ."

Rabindra Kumar Ram

Pic : pexels com " मत पूछ यार कि किस इख्तियार से गुजरे हैं , मुहब्बत के राहो‌ मुहब्बत कुछ गुमनाम से गुजरे हैं , उसको पाना उसको खोना भी था ते तय था , सितमब के हर हाल में कुछ कदम साथ फिर बिछड़ना था . " --- रबिन्द्र राम

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"  मत पूछ यार कि किस इख्तियार से गुजरे  हैं ,
मुहब्बत के राहो‌ मुहब्बत कुछ गुमनाम से गुजरे हैं ,
उसको पाना उसको खोना भी था ते तय था ,
सितमब के हर हाल में कुछ कदम साथ फिर बिछड़ना था . "

                          --- रबिन्द्र राम— % & Pic : pexels com 

" मत पूछ यार कि किस इख्तियार से गुजरे  हैं ,
मुहब्बत के राहो‌ मुहब्बत कुछ गुमनाम से गुजरे हैं ,
उसको पाना उसको खोना भी था ते तय था ,
सितमब के हर हाल में कुछ कदम साथ फिर बिछड़ना था . "

                          --- रबिन्द्र राम

Rabindra Kumar Ram

" तुझको चाहना सिर्फ मेरे इख्तियार में है , अब ये मसैदा तेरे हाथ में हैं ठहरा , सम्भालना हैं ना जाने देना है तुझे मेरे हाथों को , जिक्र की गुंजाइश अभी भी उसके फैसले पे छोड़ा‌ हैं ।‌ " --- रबिन्द्र राम #इख्तियार #मसैदा #सम्भालना

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 " तुझको चाहना सिर्फ मेरे इख्तियार में है ,
अब ये मसैदा तेरे हाथ में हैं ठहरा ,
सम्भालना हैं ना जाने देना है तुझे मेरे हाथों को ,
जिक्र की गुंजाइश अभी भी उसके फैसले पे छोड़ा‌ हैं ।‌ "      

                               --- रबिन्द्र राम— % &  " तुझको चाहना सिर्फ मेरे इख्तियार में है ,
अब ये मसैदा तेरे हाथ में हैं ठहरा ,
सम्भालना हैं ना जाने देना है तुझे मेरे हाथों को ,
जिक्र की गुंजाइश अभी भी उसके फैसले पे छोड़ा‌ हैं ।‌ "      

                               --- रबिन्द्र राम 

 #इख्तियार #मसैदा #सम्भालना
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