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Best सुन्न Shayari, Status, Quotes, Stories

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kalyani dhabale

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Poonam Ritu Sen



होंठ उसका गहरे रंग का
चाहत उसे सुकून के पल का
कुछ धुँआ बाहर तो कुछ अंदर समेटे
उंगलियों के बीच दबा हुआ
वो खेल रहा अपनी ही जिंदगी से
सुन्न दिमाग कर कड़वी यादों को भुला
तृप्त मन लेकर उसकी धुंध में ही घिरा
सिगरेट की लत में वो कुछ यूं डुबा
 #yqbaba #yqdidi #smoke #challenge #धुंआ #धुंध #होंठ #रंग #चाहत #सुकून #पल #सुन्न #दिमाग #कड़वी #याद #तृप्त #मन #सिगरेट #लत

Shitanshu Rajat

बिल्कुल सुन्न सा पड़ा था ये शहर इक रोज़,
या यूँ कहूँ के सब अपने 'मतलब' में व्यस्त थे।     Insensitivity 
#yqbaba #yqbhaijan #मतलब #सुन्न  #yqdidi

Rushda Sadaf

अगर दिल सुने जाते तो दिल सन्न रह जाते..!

©Rushda Sadaf ❤️❤️❤️
#दिल 
#सुन्न 
#rushdasadaf 
#nojotohindi 
#Love 
#QuoteContest

gudiya

#सुन्न पद गाई ज़िन्दगी #Sunn #bharshataar #berozgari #Rose

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सुन्न पड़ गई ज़िन्दगी
तमाचा वक़्त ने यूँ मारा 

राह भी सही चले रहे
फिर ये मंज़िल जाने क्यूँ बेखबर रही

एक हम ही नही अकेले
हम जैसो के है और भी मेले

इस सदी के जवानियों को
जाने किसकी नज़र लगी

वो दिवानगी
वो मस्तानापन
बेबाक- सी चंचल  वो धड़कन
खो गई वो कहानियाँ
जी गई जो जवानियाँ
अब मिलती हैं उसकी महज़ किताबों में ही निशानियाँ

भ्रस्ट कुछ इस कदर हो रही मानसिकता
भ्रस्टाचारी की शिकार जम के हो रही जवानियाँ

खुशियों की कोई कल्पना करे भी तो कैसे करे
आधार ही हमारी हीला रही कुछ ऐसी घटित हो रही कहानियाँ ।

©gudiya #सुन्न पद गाई ज़िन्दगी
#sunn
#bharshataar
#berozgari 

#Rose

आरिफ बुंदेलखंडवी

जैसे सुन्न पड़ी शाम में कोई पक्षी चहक जाता है उसका नाम भी सुनले तो ये दिल बहक जाता है वो है फ़ूलों से भरी हुई एक चमन सी जिस रास्ते से गुज़र जाए वो रास्ता महक जाता है क्या खूब अता की हैं खुदा ने अदाएं उसको कि देखकर हर कोई उसको ठहर जाता है

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आरिफ बुंदेलखंडवी

जैसे सुन्न पड़ी शाम में कोई पक्षी चहक जाता है उसका नाम भी सुनले तो ये दिल बहक जाता है वो है फ़ूलों से भरी हुई एक चमन सी जिस रास्ते से गुज़र जाए वो रास्ता महक जाता है क्या खूब अता की हैं खुदा ने अदाएं उसको कि देखकर हर कोई उसको ठहर जाता है

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Nilesh kushwaha

#सुन्न रातों में तन्हाई, कुछ यूँ भुला देता हूं मैं

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सुन्न रातों में तन्हाई, कुछ यूँ भुला देता हूं मैं 
चादर के गले लग, खुद को सुला लेता हूँ मैं।  #NojotoQuote #सुन्न रातों में तन्हाई, कुछ यूँ भुला देता हूं मैं

Dilip Makwana

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अहसास क्या होते है सिर्फ शब्दो मे सुने थे !
मगर एहसासों का अहसास जिसने करवाया वो अहसास हो तुम.....

तुम्हे महसूस करने के लिए तुम्हारी आवाज जो बेशक कोयल सी मधुर होगी की जरूरत ही नही पड़ी मुझे, क्योंकि तुम्हारे चांद से चेहरे की कुछ खूबसूरत तस्वीरों ने तुम्हारी खूबसूरती की एक किताब छोड़ रखी थी मेरे दिल मे !

उस किताब के हर पन्ने का अल्फाज जैसे बडी वादियों में सफेद पहाड़ी के बीच गिरते झरने की कुछ बूंदों का उड़ती हवा के झरोखे के साथ चेहरे पर गिरना लगता था !!

इस किताब पर हक जताना मेंरे दायरों से काफी परे था मगर चंद पन्नो से चंद अल्फाजो को पढ़ पाना ही मेरे नसीब में था.....मगर इतने ही अल्फाज काफी थे  तुमसे करीब होने के...बहुत करीब होने के लिए !!

एक खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य से तुम्हारी खूबसूरती की तुलना करना शायद मेरी गुस्ताखी थी क्योंकि उस प्राकृतिक नजारे का तुम्हारे मुकाबले निरंतर बौना होना...मुझे देखा नही जा रहा था !!

कभी कभी पूर्णिमा की रात में, चांद की हल्की सी रौशनी में,छत पर अकेला बैठ कर...सुन्न से पड़े मौहल्ले में....जहाँ सिर्फ पेड़ों के कुछ पत्तो के हिलने की आवाज महज मेरे कानों में स्पष्टत: आ रही थी और वही कुछ पक्षियों के चहचहाने की.......

वहां उस नजारे में सिर्फ मैं ,मेरा सुन्न पड़ा मौहल्ला,पूर्णिमा की रात, हल्की सी चांदनी,पत्तो की आवाज,पक्षियों की चहचाहट और मेरी ""प्यारी सी कल्पना"""......

वहाँ खुली आँखों से कल्पना करना शायद मेरी ज़िंदगी के सबसे खूबसूरत लम्हो में से एक था !!

"तुम्हारे अश्को से जब कुछ अश्रु भौहें को स्पर्श करते हुए गालों से चिपक कर सूखते होंगे तो मैं सफेद वादियों में दो पहाड़ी के बीच झरने से बह रहे पानी को महसूस कर लेता था !

ऐसी ही होगी उसकी अश्रुधारा.. ठीक इस खूबसूरत झरने की तरह !!

"तुम जब चलती होगी तो तुम्हारे पैरों में बंधी पायल से निकली चन्न-चन्न की आवाज ठीक वैसी ही होगी जैसे किसी नन्ही सी जान का जन्म होते ही उसके मुख से पहली ही दफा निकली "खूबसूरत किलकारियां" जो पूरे प्राँगण में महक भर देती हो !

कल्पना ही कल्पना में जब रात मेरा साथ दे रही थी मगर स्पष्ट देख पा रहा था कि कही न कही से चाँद मुझे एकनजर से घूर रहा है ......पूछ रहा हो जैसे " कौन है वो जिस कारण तुम मुझे ही फीका महसूस कर रहे हो "

मेने भी कह दिया " अच्छा है छुपी हुई है वो , वरना पूरी कायनात जुट जाएगी उसे तेरी जगह बिठाने को" !!

तुम बोलती होगी तो कैसे बोलती होगी ?

बड़ा उत्सुक हुए जा रहा था हर बार.....सोचता था कितने खुशनसीब होंगे वो अल्फाज जो तुम्हारी जिव्हा और होंठो को निहारते....निहारते निकलते होंगे !

कितनी खुशनसीब होगी वो मेहन्दी जो तुम्हारी हथेली पर सज कर उत्सुक हो रही होगी , और कितने खुशनसीब होंगे तुम्हारे वो हाथ जो किसी न किसी बहाने तुम्हारे गालों को चूमते होंगे !!

कोसो दूर था मगर बहुत करीब आ गया था तुम्हारे, तुम्हे पाने के लिए बढ़ती रौशनी मेरा हौसला बढ़ाए जा रही थी !

मैं तुमसे कह भी देता कि "इस चाँद की रौशनी हमेशा के लिए मेरी हो"

"पूरी ज़िंदगी इसी रौशनी के सामने बैठा गुजारूं"

"सोच रहा था...ज़िन्दगी भर के लिए तुम्हारे अश्को को,तुम्हारे अल्फाजो को,तुम्हारे हाथों को छुट्टी पर भेज दु और ज़िन्दगी भर के लिए मैं मजदूर बन जाऊं तुम्हे निहारने के लिए" !

मगर ये सब आसान कहा था
कह भी नही सकता था...."आत्मविश्वास "? 
आत्मविश्वास की कमी नही थी मुझमे मगर डर सा लग रहा था कि कही बहुत दूर न हो जाऊं तुमसे !!

वो सब खो दूंगा जो महसूस करता हूँ !
जो सब गवा दूंगा जो सोचा भी नही हूं !

सोचता हूँ... कैसे बनाया होगा खुदा ने तुम्हे !!

शायद नूर के बने तालाब में डुबोकर बाहर निकाला होगा !
खुदा की कलाकृति पर नाज है मुझे...यकीन नही हो रहा है, कोई कीसी को ऐसा कैसे बना सकता है ?

यकीनन ऐसा बनाया है इसलिए तो खुदा कहते है तुझे !!
मगर सुन लो खुदा.....तुम्हारे दी हुई इक इक खूबसूरती को संभाल रखा है मेरी उसने......

जितनी कशमकश खुदा ने तुझे बनाने में की है उतनी ही तूने उसे संभालने में की है !

इसलिए किसी शायर का एक शेर याद आ गया तुम्हारे लिए

"मैं मानता हूँ तुम खुदा नही हो"
"मगर खुदा से कम भी तो नही हो"

तुम वो खूबसूरत पुष्प हो जिसके इर्द-गिर्द मेरे जैसे अनगिनत भँवरे गुनगुनाते फिरते है मगर खिलना,महकना तेरी फितरत है !!

दिलीप मकवाना

Ajit Jadhav

#poem

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शांतता...

मुंग्याचेही लोंढे आले अन्
निरव शांतता भंगून गेली...
गावाकडची निरव शांतता
धगाधगीत दबून राहिली...
पिंपात मेले ओल्या उंदिर
माना पडल्या, मुरगळल्याविण..
भंगून गेली निरव शांतता
जगणे झाले, उदासविण...
गिऱ्हाइकाची कदर राखणे;
एवढेच माझ्या हाती उरले...
सुख शांतीच्या शोधात माझे
जीवन सगळे आता सरले...
लाभे ना कधी निरव शांतता
की ढिल्या गळा पंचम गहिरा...
आठवून मग तो गाव माझा
गात्रावरती या निघे शहारा...
सुन्न झाले मन, सुन्न भावना
लाभली ना कधी रे शांतता..
अस्थाईवर स्थाईक झाल्याशी
लाभेल एकदाची चिर निद्रिता....

     *''''''''''''''''''''अजित*
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