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poonam atrey

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kumaarkikalamse

क्यों पढ़े ➡️ आज के दौर में संताने कितनी बदली है उसी का एक चित्रण #cinemagraph #paidstory #Kumaarsthought #माँबाप #सन्तान

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आज की संतानें 

देखता  हूँ  क्या  आज  ज़माना  आ  गया  है ,
माँ - बाप  का  मज़ाक  बनाना आ   गया  है! 

जो  पोछते  है बच्चों के  आँसू हमेशा हँसकर, 
उन बच्चों को माँ-बाप को रुलाना आ गया है! 
 
माँ की सलाह बनने  लगी है  घुटन जाने क्यों ,
हर बात पर ममता को आजमाना आ गया है! 

सिसकती है अकेले में, पर कुछ कह नहीं पाती,
अरमानों को रोंद कर सपनें सजाना आ गया है !

बड़ी  हो  गयी  हैं  संतानें  जिन्हें माँगा मुरादों से,
बिन रिश्तेदारों के अकेले घर चलाना आ गया है।  क्यों पढ़े ➡️ आज के दौर में संताने कितनी बदली है उसी का एक चित्रण 

#cinemagraph #paidstory #kumaarsthought #माँबाप #सन्तान

वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

भूरि॒ नाम॒ वन्द॑मानो दधाति पि॒ता व॑सो॒ यदि॒ तज्जो॒षया॑से।
 कु॒विद्दे॒वस्य॒ सह॑सा चका॒नः सु॒म्नम॒ग्निर्व॑नते वावृधा॒नः ॥

पद पाठ
भूरि॑। नाम॑। वन्द॑मानः। द॒धा॒ति॒। पि॒ता। व॒सो॒ इति॑। यदि॑। तत्। जो॒षया॑से। कु॒वित्। दे॒वस्य॑। सह॑सा। च॒का॒नः। सु॒म्नम्। अ॒ग्निः। व॒न॒ते॒। व॒वृ॒धा॒नः ॥

हे सन्तानो ! जो आप लोगों के माता-पिता दूसरे विद्यारूप जन्म नामक द्विज ऐसा नाम विधान करते हैं, उनका सेवन निरन्तर तुम लोग करो ॥

o child !  Those of you, your parents, who do such a name for the second birth as a Dwij, do continue to use them.

(  ऋग्वेद ५.३.१० ) #ऋग्वेद #वेद #सन्तान #द्विज #सेवा

आयुष पंचोली

माता-पिता अपना सबकुछ बलिदान कर के भी अपनी सन्तान का लालन पोषण करते हैं। उनका जीवन संवारने का हर सम्भव प्रयास करते हैं। मगर कभी कुछ ऐसा हो जाता हैं की उनके कुछ निर्णय बहुत ज्यादा गलत हो जाते हैं। जिसे वे भी समझते हैं। मगर सन्तान का अपने दुखो का हर बार उनके आगे रो रोकर अपने दुखड़े सुनाना उन्हे जितनी तकलिफ पहुचाता उतना कुछ और नही। हर व्यक्ति के शरीर और दिमाग की एक उम्र होती हैं, सहने और बर्दास्त करने की। ठीक ऐसा ही माता-पिता का हैं। वे भी एक उम्र तक ही सह सकते हैं। और जब उनका शरीर और दिमाग ही उनका #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #mereprashnmerisoch

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माता-पिता अपना सबकुछ बलिदान कर के भी अपनी सन्तान का लालन पोषण करते हैं। उनका जीवन संवारने का हर सम्भव प्रयास करते हैं। मगर कभी कुछ ऐसा हो जाता हैं की उनके कुछ निर्णय बहुत ज्यादा गलत हो जाते हैं। जिसे वे भी समझते हैं। मगर सन्तान का अपने दुखो का हर बार उनके आगे रो रोकर अपने दुखड़े सुनाना उन्हे जितनी तकलिफ पहुचाता उतना कुछ और नही। 
हर व्यक्ति के शरीर और दिमाग की एक उम्र होती हैं, सहने और बर्दास्त करने की। ठीक ऐसा ही माता-पिता का हैं। वे भी एक उम्र तक ही सह सकते हैं। और जब उनका शरीर और दिमाग ही उनका साथ ना दे उस उम्र मे भी जो सन्तान अपने दुखड़े उनके सामने रोती रहती हैं, वही उनकी आकस्मिक मृत्यू का कारण बनती हैं। हृदय घात और मानसिक प्रताड़ना के होने वाली सभी मृत्यू का लगभग एक कारण यही होता हैं। जिसे कोई स्वीकार करना नही चाहता।
सन्तान चाहे लड़का हो या लडकी अगर अपने माता-पिता की एक उम्र के बाद भी उनका रोना और मांगना उनसे जारी हैं, तो यकीन मानिये वह सन्तान सिर्फ उनकी मृत्यू की राह देख रही हैं। बात कड़वी हैं मगर सत्य हैं।
और ऐसी सन्तानो के होने से अच्छा हैं, सन्तान का ना होना।🙏🙏🙏

©आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #mereprashnmerisoch माता-पिता अपना सबकुछ बलिदान कर के भी अपनी सन्तान का लालन पोषण करते हैं। उनका जीवन संवारने का हर सम्भव प्रयास करते हैं। मगर कभी कुछ ऐसा हो जाता हैं की उनके कुछ निर्णय बहुत ज्यादा गलत हो जाते हैं। जिसे वे भी समझते हैं। मगर सन्तान का अपने दुखो का हर बार उनके आगे रो रोकर अपने दुखड़े सुनाना उन्हे जितनी तकलिफ पहुचाता उतना कुछ और नही। 
हर व्यक्ति के शरीर और दिमाग की एक उम्र होती हैं, सहने और बर्दास्त करने की। ठीक ऐसा ही माता-पिता का हैं। वे भी एक उम्र तक ही सह सकते हैं। और जब उनका शरीर और दिमाग ही उनका

आयुष पंचोली

रिश्ते क्या हैं,सम्बंध क्या हैं...? सच कहूँ तो, रिश्ते और सम्बंध इस जीवन का सबसे बड़ा झुठ हैं। यह सिर्फ मात्र एक दिखावा हैं और कुछ नही। जो आपको हर पल अपने कर्म से पहले उनके बारे मे सोचने पर विचलित करेगा। अगर कलयुग की बात करे तो कलयुग माया से पूरी तरह प्रभावित हैं, माया से ही पूरी तरह ग्रसित हैं। यह रिश्ते और सम्बंध और कुछ नही उसी माया का एक रूप हैं। जो सदा हमे जकड़े रखते हैं। और अपने लक्ष्य से विचलित करते हैं। अगर कोई व्यक्ति जीवन मे कभी कुंडलिनी जागरण का सोच रहा हैं या करना चाहता हैं, तो एक बात #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual

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रिश्ते और समबन्ध,
कलयुग की माया के बन्धन...!! रिश्ते क्या हैं,सम्बंध क्या हैं...?

सच कहूँ तो, रिश्ते और सम्बंध इस जीवन का सबसे बड़ा झुठ हैं। यह सिर्फ मात्र एक दिखावा हैं और कुछ नही। जो आपको हर पल अपने कर्म से पहले उनके बारे मे सोचने पर विचलित करेगा। अगर कलयुग की बात करे तो कलयुग माया से पूरी तरह प्रभावित हैं, माया से ही पूरी तरह ग्रसित हैं। यह रिश्ते और सम्बंध और कुछ नही उसी माया का एक रूप हैं। जो सदा हमे जकड़े रखते हैं। और अपने लक्ष्य से विचलित करते हैं।
अगर कोई व्यक्ति जीवन मे कभी कुंडलिनी जागरण का सोच रहा हैं या करना चाहता हैं, तो एक बात

आयुष पंचोली

माता-पिता को मिलने वाला मान-सम्मान अपने बच्चों के गुणो से ही आंका जाता हैं। बच्चे को मिली सफलता का जितना श्रेय माता-पिता को दिया जाता हैं। उतना ही उसके कुकर्मो व आचरण और व्यवहार का श्रेय भी माता-पिता को ही जाता हैं। आपको दुनिया आपकी सन्तान के आचरण और व्यवहार का मुख्य कारण ही समझती हैं। इसलिये बच्चों मे बालपन से ही ऐसे संस्कार दे की वे, अपना ही नही आपका मान-सम्मान भी कभी डिगने ना दे। क्या सही हैं, क्या गलत उन्हे इसका बोध अवश्य करायें । और उन्हे उनकी गलतियों का एहसास भी करायें । प्यार इन्सान को स #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

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जैसा आचरण, जैसा व्यवहार, जैसे बोल और जैसी सोच माता-पिता की होती हैं, सन्तान उसी मे ढल जाती हैं। 
किसी को अपनी परवरिश मे खोट नजर नही आती, मगर यही सोच बड़े बड़े मुजरिम भी बनाती हैं।
आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi माता-पिता को मिलने वाला मान-सम्मान अपने बच्चों के गुणो से ही आंका जाता हैं। बच्चे को मिली सफलता का जितना श्रेय माता-पिता को दिया जाता हैं। उतना ही उसके कुकर्मो व आचरण और व्यवहार का श्रेय भी माता-पिता को ही जाता हैं। 
आपको दुनिया आपकी सन्तान के आचरण और व्यवहार का मुख्य कारण ही समझती हैं। इसलिये बच्चों मे बालपन से ही ऐसे संस्कार दे की वे, अपना ही नही आपका मान-सम्मान भी कभी डिगने ना दे। क्या सही हैं, क्या गलत उन्हे इसका बोध अवश्य करायें । और उन्हे उनकी गलतियों का एहसास भी करायें । प्यार इन्सान को स

Kamal bhansali

सामूहिक खुशी

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माता देवी होती पिता देवता होते
जो बिन मांगे सन्तान को सब कुछ देते
सन्तान वही सर्वश्रेष्ठ होती
जो इस तथ्य को समझती
और
जिंदगी भर उनकी सेवा का प्रण लेती
यकीन मानों मेरा
दुनिया में इससे बड़ी कोई सामूहिक खुशी नहीं होती
✍️कमल भंसाली

 #NojotoQuote सामूहिक खुशी

Ashish 9917374450

*गाँधी जी* अपने पिता की चौथी पत्नी के बेटे थे.. *बाबा साहब* अपने पिता को चौदहवीं सन्तान थे.. *रविन्द्र नाथ टैगोर* भी चौदहवीं सन्तान थे *सुभाष चन्द्र बोस* 14 सन्तानों में से नवें नंबर पर थे.. #Humour

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*गाँधी जी* अपने पिता की चौथी पत्नी के बेटे थे..

*बाबा साहब* अपने पिता को चौदहवीं सन्तान थे..

*रविन्द्र नाथ टैगोर* भी चौदहवीं सन्तान थे

*सुभाष चन्द्र बोस* 14 सन्तानों में से नवें नंबर पर थे..


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