Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best स्थापना Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best स्थापना Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about नवरात्रि स्थापना कब है, एनसीसी की स्थापना कब हुई, सार्क की स्थापना कब हुई, सीटों की स्थापना कब हुई, लोदी वंश की स्थापना किसने की,

  • 13 Followers
  • 13 Stories

Sanjeev0834

#कानून की कुछ #नियमित #काल्पनिक #कथाएँ होती हैं, जिनके ऊपर वह #न्याय के #सत्य की #स्थापना करती हैं। nawab_saab💗🤞 #sanjeev0834 #Thoughts

read more

jayant jain

pandeysatyam999

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली, तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती। तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी। दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥ सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली, दुष्टों को तू ही ललकारती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥ #nojotophoto

read more
 अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥
सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली, दुष्टों को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

Islam Khan

न्यूज दैनिक नवज्योति.इस्लाम खांन. घर घर गली मोहल्ले में हुई घट स्थापना। हिण्डोली सहित आस पास के गांव में रविवार को नवरात्रि के मौके पर गली मोहल्ले में घट स्थापना की गई। इस दौरान कस्बे के बालाजी के मंदिर के पीछे राजपूत मोहल्ला , रैगर समाज छात्रावास , समेत कई जगहों पर नवदुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गई। साथ ही पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर नवदुर्गा की आरती की गई। तो वही चील घाटी बालाजी मन्दिर में भी विधि विधान के साथ बालाजी महाराज की पूजा अर्चना की गई। वही घर घर मे भी नवरात्रि के मौके #nojotophoto

read more
 न्यूज दैनिक नवज्योति.इस्लाम खांन.

घर घर गली मोहल्ले में हुई घट स्थापना।
 
हिण्डोली सहित आस पास के गांव में रविवार को नवरात्रि के मौके पर गली मोहल्ले में घट स्थापना की गई।
 इस दौरान कस्बे के बालाजी के मंदिर के पीछे राजपूत मोहल्ला , रैगर समाज छात्रावास , समेत कई जगहों पर नवदुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गई।
 साथ ही पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर नवदुर्गा की आरती की गई। तो वही चील घाटी बालाजी मन्दिर में भी विधि विधान के साथ बालाजी महाराज की पूजा अर्चना की गई। वही घर घर मे भी नवरात्रि के मौके

Anjana Gupta Astrologer

नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त

read more
घट स्थापना मुहूर्त परिधावि संवत्सर अश्विनी मास शुक्ल पक्ष रविवार हस्त नक्षत्र। 
प्रतिपदा तिथि 28 सितंबर की रात्रि 11:56 से 29 सितंबर की रात्रि 8:14 तक हस्त नक्षत्र 9:14 रात्रि 
प्रथम घट स्थापना मुहूर्त कन्या लग्न पंच ग्रही योग में 6:15 से 7:30 तक अभिजीत में 11:47 से 12:34 तक सुबह 9:00 से 12:00 बजे सबसे शुभ मुहूर्त है स्थिर मुहूर्त वृश्चिक लग्न में 10:15 से 12:34 तक धन योग या इच्छाओं की पूर्ति के लिए
 रात्रि में मूर्तियों के लिए विशेष 6:00 से शाम 9:00 रात्रि तक का शुभ है
 राहुकाल 12.34 दोपहर 1:30 तक। अंजना ज्योतिषाचार्य 
 नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त

Anjana Gupta Astrologer

नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त

read more
घट स्थापना मुहूर्त परिधावि संवत्सर अश्विनी मास शुक्ल पक्ष रविवार हस्त नक्षत्र। 
प्रतिपदा तिथि 28 सितंबर की रात्रि 11:56 से 29 सितंबर की रात्रि 8:14 तक हस्त नक्षत्र 9:14 रात्रि 
प्रथम घट स्थापना मुहूर्त कन्या लग्न पंच ग्रही योग में 6:15 से 7:30 तक अभिजीत में 11:47 से 12:34 तक सुबह 9:00 से 12:00 बजे सबसे शुभ मुहूर्त है स्थिर मुहूर्त वृश्चिक लग्न में 10:15 से 12:34 तक धन योग या इच्छाओं की पूर्ति के लिए
 रात्रि में मूर्तियों के लिए विशेष 6:00 से शाम 9:00 रात्रि तक का शुभ है
 राहुकाल 12.34 दोपहर 1:30 तक। अंजना ज्योतिषाचार्य नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त

आयुष पंचोली

हम नही जानते धर्म क्या कहता हैं और अधर्म क्या कहता हैं। क्योकी धर्म और अधर्म का रिश्ता तो सदियो से चला आ रहा हैं। दोनो एक दूसरे से जुदा कभी नही रह सकते। धर्म की अधर्म पर विजय के लिये विश्व मे कितने ही युद्ध हुएँ और आगे भी होते रहेंगे। मगर पुर्ण रूप से धर्म कभी कही हो नही सकता। आप इतिहास उठाकर देखलो धर्म की स्थापना की नीव अधर्म के सहारे ही रखी जाती गई हैं, और सदैव रखी जाती रहेगी। क्योकी जहां मोह होता हैं, वहां धर्म नही हो सकता। मोह ही अधर्म को जन्म देता हैं और सदेव देता रहेगा। आपकी नजरो मे आप धर्म के साथ हो सकते हैं, मगर कही ना कही यह धर्म ही आपसे अधर्म कराता हैं। क्योकी मोह का त्याग आप कर नही सकते। और जब तक आपको सत्य का ज्ञान होता हैं, आप कितने ही अधर्म कर चुके होते हो। धर्म, न्याय, उसूल, यह सब बाते होती हर जगह हैं, मगर इन्हे स्थापित और साबित करने को अधर्म का सहारा सदैव लिया जाता रहा हैं। चाहे बात सतयुग की हो, त्रैतायुग की हो या बात द्वापर की हो। धर्म की स्थापना मे अधर्म का सहारा लेना ही पढ़ता हैं। और यही बात कलयुग मे भी होकर रहेगी। सत्य सदैव अनभिज्ञ रहता हैं, जिसका ज्ञान एक ना एक दिन मनुष्य को होकर ही रहता हैं। बस इन्तजार उस क्षण का रहता हैं, की कब वह मोह का त्याग करेगा। मोह का त्याग ही व्यक्ति को धर्म से जोड़ता हैं। और मोह का साथ अधर्म की राह पर ले ही आता हैं। तथ्य और रहस्य हर जगह, हर सवाल, हर जवाब, हर आकार, हर नीति, हर मार्ग मे छूपे होते हैं। जिन्हे धर्म अपनी आंखो, अपनी सोच, अपने विचारो द्वारा अपनी कसौटी पर परखता और धारण करता हैं, और अधर्म अपनी पर। और जब तक व्यक्ति की सोच और विचार पर मोह का पर्दा रहता हैं, वह सत्य को जानते हुएँ भी अपने अधर्म को भी धर्म ही समझता हैं। यही इस संसार क नीयम हैं। और इस नीयम के सहारे न्याय की आशा रखना व्यर्थ ही हैं। 🙏🙏🙏 ©आयुष पंचोली #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #mereprashnmerisoch

read more
मोह ही अधर्म को जन्म देता हैं, देता रहा हैं और सदैव देता रहेगा.....!!!!!
©आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi हम नही जानते धर्म क्या कहता हैं और अधर्म क्या कहता हैं। क्योकी धर्म और अधर्म का रिश्ता तो सदियो से चला आ रहा हैं। दोनो एक दूसरे से जुदा कभी नही रह सकते। धर्म की अधर्म पर विजय के लिये विश्व मे कितने ही युद्ध हुएँ और आगे भी होते रहेंगे। मगर पुर्ण रूप से धर्म कभी कही हो नही सकता। आप इतिहास उठाकर देखलो धर्म की स्थापना की नीव अधर्म के सहारे ही रखी जाती गई हैं, और सदैव रखी जाती रहेगी।
क्योकी जहां मोह होता हैं, वहां धर्म नही हो सकता। मोह ही अधर्म को जन्म देता हैं और सदेव देता रहेगा। आपकी नजरो मे आप धर्म के साथ हो सकते हैं, मगर कही ना कही यह धर्म ही आपसे अधर्म कराता हैं। क्योकी मोह का त्याग आप कर नही सकते। और जब तक आपको सत्य का ज्ञान होता हैं, आप कितने ही अधर्म कर चुके होते हो।
धर्म, न्याय, उसूल, यह सब बाते होती हर जगह हैं, मगर इन्हे स्थापित और साबित करने को अधर्म का सहारा सदैव लिया जाता रहा हैं। चाहे बात सतयुग की हो, त्रैतायुग की हो या बात द्वापर की हो। धर्म की स्थापना मे अधर्म का सहारा लेना ही पढ़ता हैं। और यही बात कलयुग मे भी होकर रहेगी। 
सत्य सदैव अनभिज्ञ रहता हैं, जिसका ज्ञान एक ना एक दिन मनुष्य को होकर ही रहता हैं। बस इन्तजार उस क्षण का रहता हैं, की कब वह मोह का त्याग करेगा। मोह का त्याग ही व्यक्ति को धर्म से जोड़ता हैं। और मोह का साथ अधर्म की राह पर ले ही आता हैं।
तथ्य और रहस्य हर जगह, हर सवाल, हर जवाब, हर आकार, हर नीति, हर मार्ग मे छूपे होते हैं। जिन्हे धर्म अपनी आंखो, अपनी सोच, अपने विचारो द्वारा अपनी कसौटी पर परखता और धारण करता हैं, और अधर्म अपनी पर। और जब तक व्यक्ति की सोच और विचार पर मोह का पर्दा रहता हैं, वह सत्य को जानते हुएँ भी अपने अधर्म को भी धर्म ही समझता हैं। यही इस संसार क नीयम हैं। और इस नीयम के सहारे न्याय की आशा रखना व्यर्थ ही हैं।
🙏🙏🙏

©आयुष पंचोली

S.K.PATHAK

read more
नवरात्रि के पहले दिन यानि 29 सितंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत योग का शुभ संयोग बन रहा है। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि इस बार घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त की अवधि लंबी रहेगी। हिंदू पंचांग के मुताबिक सुबह के समय घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 9 बजकर 15 मिनट से लेकर 12 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इसके बाद दोपहर के समय 1 बजकर 45 मिनट से लेकर 3 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। फिर शाम के समय घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 9 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।                 पंडित श्रवण कुमार पाठक

ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

मोहन से मसीहा की कहानी गांधी जी की जीवन कथा को व्यक्त करते हैं हम 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 150वीं जयंती मनाने जा रहे हैं इस के उपलक्ष में मोहन से मसीहा का नाटक पेश कर रहे हैं उदयपुर जिलों की नगरी भक्ति त्याग बलिदान गौरव व संस्कार और एशिया की सबसे सुंदर सिटी में आपका स्वागत है वैसे महात्मा गांधी को मानव मसीहा काहे तो भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी महात्मा गांधीजी ने जीवन भर सन्यासी सर्च जीवन धारण कर मानवता की बात करते रहे उनका सबसे प्यारा भजन वैष्णव जन जोत तेने कहिए जो पीर पराई ज #nojotophoto

read more
 मोहन से मसीहा की कहानी गांधी जी की जीवन कथा को व्यक्त करते हैं हम 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 150वीं जयंती मनाने जा रहे हैं इस के उपलक्ष में मोहन से मसीहा का नाटक पेश कर रहे हैं उदयपुर जिलों की नगरी भक्ति त्याग बलिदान गौरव व संस्कार और एशिया की सबसे सुंदर सिटी में आपका स्वागत है वैसे महात्मा गांधी को मानव मसीहा काहे तो भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी महात्मा गांधीजी ने जीवन भर सन्यासी सर्च जीवन धारण कर मानवता की बात करते रहे उनका सबसे प्यारा भजन वैष्णव जन जोत तेने कहिए जो पीर पराई ज

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 5 - भक्ति-मूल-विश्वास 'पानी!' कुल दस गज दूर था पानी उनके यहाँ से; किंतु दुरी तो शरीर की शक्ति, पहुँचने के साधनपर निर्भर है। दस कोस भी दस पद जैसे होते हैं स्वस्थ सबल व्यक्ति को और आज के सुगम वायुयान के लिये तो दस योजन भी दस पद ही हैं; किंतु रुग्ण, असमर्थ के लिए दस पद भी दस योजन बन जाते हैं - 'यह तो सबका प्रतिदिन का अनुभव है। 'पानी!' तीव्र ज्वराक्रान्त वह तपस्वी - क्या हुआ जो उससे दस गज दूर ही पर्वतीय जल-स्त्रोत है। वह तो आज अपने आसन से उठन

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
5 - भक्ति-मूल-विश्वास

'पानी!' कुल दस गज दूर था पानी उनके यहाँ से; किंतु दुरी तो शरीर की शक्ति, पहुँचने के साधनपर निर्भर है। दस कोस भी दस पद जैसे होते हैं स्वस्थ सबल व्यक्ति को और आज के सुगम वायुयान के लिये तो दस योजन भी दस पद ही हैं; किंतु रुग्ण, असमर्थ के लिए दस पद भी दस योजन बन जाते हैं - 'यह तो सबका प्रतिदिन का अनुभव है।

'पानी!' तीव्र ज्वराक्रान्त वह तपस्वी - क्या हुआ जो उससे दस गज दूर ही पर्वतीय जल-स्त्रोत है। वह तो आज अपने आसन से उठन
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile