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आयुष
बूँदें भागी, बूँदें दौड़ी निकली है बनठन के देखो छाते और मुनिया की जोड़ी बादल भरकर आए कहाँ से यहाँ पे आके चुप्पी तोड़ी मौसम है यह ठंडा-ठंडा आओ खाएँ गरम कचौड़ी मुझे ऐसा लगा अभी कि बूँदें भागी, बूँदें दौड़ी …
Anupam Tiwari
#OpenPoetry वो इतना भागी फिर भी खबर ना बन पाई, वो घर से क्या भागी कि 'वायरल' हो गई।। वो इतना भागी फिर भी खबर ना बन पाई, वो घर से क्या भागी कि 'वायरल' हो गई।।
#Pk_writes ✍
*अखिर कब आयेगा वो दिन जब हम सच मे एक समान हुआ करेगे* कहने के लिये तो है हम आज लड़किया लड़को के बराबर पर ना जाने क्यू लगता हैं ये बस कहने के लिये हैं क्योकी आज भी अगर कुछ गलत होता है तो सब लड़कियो को ही करतें हैं ब्लमे फिर चाहे हो उनका रेप या छोड़ जाए वो घर अपने प्यार के लिये क्यो नहीं करती ये दुनिया दोनो को इक्वल जज रेप होने पे ये बोला जाता है लड़की की गलती है क्या जरुरत थी इतनी रात मे बाहर जाने की
Sanjeev Singh Sagar
जिंदगी में वो संगीत की तरह ही तो थी। बेल बजी और रिया ने झट से गेट खोली और लड़खड़ाते हुए देव को सम्हाली-फिर आज पी लिए?देव रिया को धक्का देकर-पिऊँगा और रोज पिऊँगा।तुम जो करती हो मैं रोकता हूँ,फिर मैं क्यों तेरी बात मानूं?रिया करुणा भरे स्वर में-अपना घर, परिवार और सपने छोड़कर तेरे साथ ज़िन्दगी बिताने के लिए भागी थी और आज तुम ये बोल रहे हो।देव नशे में हां भागी थी तो उस वक़्त तुम सिर्फ़ मेरी थी और अब तेरे अपने बहुत हैं।ये सुनते ही रिया की आँखे आंसूओ से भींगने लगी-तेरे लिए मैंने जॉब की, ताकि तुम अपने सपने पूरे करोऔर तुम ही अब शक कर रहे हो।अरे दिल ही नहीं तुझे रूह में बसाया है देव।किसी की बातों में आकर तुम सबकुछ भूल चुके हो और अब लग रहा कि मेरा तेरे संग रहना ठीक नहीं है।देव घिसटते हुए पास जाकर-तो चली जा अपने नए यार के पास, रोकता कौन है?रिया उठी और अपने कमरे में गई और अपने कुछ सामान लेकर-जा रही हूँ देव,अपना ख़्याल रखना।देव नफ़रत भरे हुए भाव से-हां चली जाओ, रख लूंगा अपना ख्याल।आज रिया को समझ नहीं आ रहा है कि कहाँ जाए?माँ-बाप के पास जा नहीं सकती है, क्योंकि देव के साथ घर से भागी थी।वह मरना भी नहीं चाहती है और देव के सुधर जाने का इंतजार करना चाहती है।यह सोचकर वह दिल्ली से कोलकाता,दूर के मौसी के पास चली गईऔर वहीं किसी दफ्तर में जॉब करने लगी।अब देव दिन रात शराब के नशे में रहने लगा।न अब काम मिल रहा है और न ही पैसा बचा है।देव की तबियत ठीक नहीं है।उसने दोस्त को फ़ोन किया।वह आया तो सही पर पैसा नहीं होने की बात कहा।देव को याद आया कि रिया ने उसे एक बार गिफ़्ट के रूप में सोने की चैन दी थी।दोस्त को अलमीरा से निकाल लाने की बात कही।वह ज्यों ही अलमीरा खोला तो सामने कुछ रुपये और एक पत्र रखा मिला-देव,मैं जा रही हूँ और तुम्हारे लिए कुछ पैसे छोड़कर जा रही हूँ, क्योंकि तेरी हालत ठीक नहीं है औऱ तुम बीमार पड़ोगे तो जल्दी डॉक्टर के पास जाना, क्योंकि तेरे अलावा इस दुनिया में मेरा कोई नहीं है।जब तुम बदल जाओगे और मुझे ढूंढ़ते हुए आओगे तो फिर से तेरे साथ रहने आ जाऊंगी।हां मुझे पता है तुझे पैसे की जरूरत होगी इसीलिए अपने कमाई का आधा हर महीने तेरे खाते में भेजती रहूंगी।देव के दोस्त ख़ुद को रोक न सका और रोते हुए-देव तूने क्या कर दिया?वो आम लड़की नहीं है।तुम्हारे साथ नहीं रहते हुए भी तुम्हारी ख़बर है उसे।कैसे तूने जाने दे दिया। देव उदास होकर बोला-उसके ऑफिस से एक दिन फ़ोन आया और उसके और उसके बॉस के साथ नजदीकी होने की बात कहा।गुस्से में देव का कॉलर पकड़ कर-तेरा दिमाग ख़राब हो गया है।क्या पता कोई उसके साथ गलत करने को सोच रहा होगा और जब नहीं कर सका तो उसे बर्बाद करने को सोच लिया होगा।अगर उसे तुझे छोड़ना ही होता तो कभी भी छोड़कर चली जाती।देव रोने लगता है-यार ये तो मैंने सोचा ही नहीं।प्लीज यार चल ढूंढते उसे।अब कभी उसका साथ नहीं छोड़ूंगा।और दोनों रिया को ढूंढने निकल जाते हैं,क्योंकि रिया आवाज और देव साज था फिर अलग-अलग रहना ठीक नहीं था साग़R वो आवाज तो मैं उसका साज था Shilpa Kumari Jha Pallavi Kumari Reyaz Ahmad Sachin Joshi Kamal Joshi
Kiran Gautam
.रूक जा ए -जिंदगी तू कहां भागी जाती है, सुबह से शाम, शाम से रात हो जाती हैं। हाथ पकड़कर चलते-चलते बचपन बीत गया है, न जाने कब जिम्मेदारी आ जाती है, रूक जा ए-जिंदगी तू कहां भागी जाती हैं । जनवरी, फरवरी, March ,सुनते -सुनते कहानी बुढापे में बदल जाती है , रूक जा ए-जिंदगी तू कहां भागी जाती हैं । रूक जा ए -जिंदगी तू कहां भागी जाती हैं। #zindagi#poem#Nojotohindi
Anil Siwach
Shweta Sinha
Kumari Neha
एक लड़की थी। वो बहौत साहशी थी। माइंडेड थी।इंटेलीजेंट थी। एक बार उसके गांव में कुछ अध्यक्ष आये थे, जिन्होंने कुछ कैम्प कराये ,कुछ चैलेंज गांव में रखे। चैलेंज कुछ इस प्रकार का था,की खिलाड़ी को "सर पर पेर रख के चलना है" सब सोचने लगे कि अब कैसे करे,सारे खिलाड़ी हार मान गये, लेकिन उस लड़की ने सोचा,ओर पीछे नही हठी, वो भागी- भागी घर की तरफ गयी और दो धड़ो को सर का रूप देकर लायी ओर अपनी प्रतियोगिता पूरी कर ली ,सारे गांव वालों ने उसको शाबाशी दी और अधयक्ष ने उसको कुछ पैसे और इंटेलीजेंट होने की पद्ति दी ,उस लड़की ने उन पेसो से गाँव मे 1स्कूल बनवाया। इस लिए कहते है कि सब कुछ बल से नही होता ।कुछ काम सोच समझ कर साहश से करने चाहिए। .…..नेहकुमारी #NojotoQuote story कैसी लगी बताना जरूर pls।
प्रियदर्शन कुमार
काव्य संख्या-106 ===================== बेटी ===================== समय की परिवर्तनशीलता को देखो कभी पराई समझी जाती थी बेटी घर की मेहमान होती थी बेटी घर से बिदा होती थी बेटी
वेद प्रकाश
आलोक धन्वा की कविता 'भागी हुई लड़कियां' पढ़ के कॉमरेड सुरेश भट्ट की बेटी असीमा भट्ट घर से 'भाग के' दोगुने उम्र के इस कवि से शादी कर ली जब प्रेग्नेंट हुई तो धन्वा ने कहा ये मेरा बच्चा नहीं है, गिरवा दो, 'गिरवा दी'.. फिर, धन्वा की जिंदगी से ऐसे भागी, जैसे भागती है भागी हुई लड़कियां आजतक वापस नहीं आयी.. #ActivistVed