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अदनासा-
VED PRAKASH 73
अपनी ग़लती दूसरे पर लगाना यह भी पर चिंतन है... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #ग़लती
Sangeeta Patidar
छोड़ा भी तो क्या, जिसकी आदत नहीं थी। कैसे कहोगे ग़लती भी जब चाहत नहीं थी। डरना तो तभी चाहिए था जब किए थे वादे, ना थे अनजान, तो झूठ की हाजत नहीं थी। तन्हा शख़्स से तन्हाई के सिवा मिलता क्या, सोचना, क्या कभी भी मिली राहत नहीं थी। क्या करेंगे अब हम किसी भी अफ़सोस का, और दर्द लेने की पहले से ही हालत नहीं थी। सीरत नहीं यहाँ हैसियत देखी जाती है 'धुन', होती उसे हमदर्दी, मगर कोई ग़ारत नहीं थी। हाजत- Need ग़ारत- Calamity Rest Zone आज का शब्द- 'ग़लती' #rzmph #rzmph161 #ग़लती #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #yqdidi #rzhindi #life
mudassir yusuf
غلطی ہوگئی صاحب کسی کو بہت اچھا سمجھا تھا गलती हो गई साहब किसी को बहुत अच्छा समझा था . . . . . . #nojotourdu #nojoto #nojotonews #uedupoetry #ग़लती #explore #mudassir__yusuf #njtshayar
Geet
कड़वा सच जिन्दगी का एक सच यह भी है़ के हमें हर बात जरा सी लगती है़ तब जब ग़लती हमारी होती है़ औऱ वही बात दिल पे घहरा जख्म करती है़ तब जब ग़लती किसी औऱ की होती है़ #nvr blame anyone for anything before judgement think fr a while if u r at their place what u hd done
कुमार "अँचल"
🌹अनमोल विचार🌹 👉 जो अपनी ग़लती ढूँढ़ती है वह दूसरें की ग़लती कभी नहीं ढूँढ़ती है। अनुरंजन कुमार "अँचल"
नीरज श्रीवास्तव
एक ग़लती की थी मैने उसका हाथ पकड़ के एक ग़लती उसने की हाथ छुड़ा के !
Bhuresingh Waskel
🌹जीवन की सबसे *बड़ी ग़लती* वही होती है.. 🌹जिस *ग़लती* से हम कुछ *सीख* नहीं पाते ! *🌞सुप्रभात🌞* 🌹जीवन की सबसे *बड़ी ग़लती* वही होती है.. 🌹जिस *ग़लती* से हम कुछ *सीख* नहीं पाते ! *🌞सुप्रभात🌞*
k@__mal.....k!h&0r
जिसको# चाहो उसे #चाहत 🗣बता भी देना, कितना# 💓प्यार हे उससे ये #जाता भी देना, की कही दिल उसका कही और ना लग जाए, करके इज़हार उसके दिल को चुरा भी लेना, ग़लती से भी रूठे कभी तो उसे माना भी लेना, की बहुत हसीन होता है ये प्यार का रिश्ता, की कभी ग़लती से भी इसे तोड़ ना लेना .
anil jain
बेवकूफ समझदारी यादों के झरोखों से एक धुंधला चेहरा नजर आता है, अपनी नम आँखो को छिपाकर एक चेहरा मुस्कुराता है, सजा दोनों भुगत रहे हैं आख़िर कैसा यह समझौता है, ग़लती किसकी थी यह समझ नहीं आता है, यादों के झरोखे में भी आंसुओं को तेरा मुस्कुराहट छिपाता है, तेरी यही अदा मुझे बहुत रूलाता है, मेरे दर्द को मेरा लफ्ज भी अब बयां नहीं कर पाता है, ग़लती किसकी थी यह समझ नहीं आता है ... अगर तुम्हें मुझसे बेइंतहा प्यार था, मुझे भी कहाँ तेरे प्यार की गुलामी से इनकार था, थोड़े मतलबी हो जाते दोनों फ़िर खुशनुमा अपना भी संसार था, जिंदगी के कठोर खाई के पार अपना जीवन भी गुलजा़र था... अपने दर्द को छिपा कर तुने अगर मेरा हौंसला बढ़ाया नहीं होता, दूसरों की खुशियों के लिये तुझे मैंने ठुकराया नहीं होता, अपनी बेवकूफ समझदारी का क्या ख़ूब सजा पाया है, तेरी नम आँखो ने कई-कई बार रूलाया है ...