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V S
कमी तेरी आज फिर मुझको खटक गई जिंदगी आज फिर काश पर अटक गई ©V S #Holi #जिंदगी #काश #अटक #nojohindi #njoto #nokotoshayari Bhavana kmishra AARTI Xyz Anshu writer Akshita Maurya Monu Kumari
@thewriterVDS
एक दिल की तलाश है मैं दर बदर भटक रहा हूं तुम मिल भी जाओ कहीं मैं लावे की तरह फटक रहा हूं उम्मीद की किरण दिखी फिर भी मैं क्यों अटक रहा हूं हे भगवान मुझे उठा ले मै अटक रहा हूं, फटक रहा हूं क्योंकि फिर से मैं भटक रहा हूं। #cinemagraph #NaPoWriMo #Day6 #दिल #भटक #फटक #अटक #भगवान YourQuote Didi Vaibhav Dev Singh
SHOBHA GAHLOT
कोई जिस्म पर अटक गया कोई दिल पर अटक गया, इश्क उसका ही मुकम्मल हुआ जो रूह तक पहुँच गया! me and my sentiments
vikrant shelke, zankar
संविधानाचा मर्डर करून आम्ही म्हणतोय लोकशाही वाचवायचीय.......... विक्रांत शेळके,मावळ ७३५०८८५७३४ लोकशाही वाचवायचीय ........ बांडगुळांच्या बलात्काराने देशाची व्यवस्था गर्भार राहिलीये अन संविधानाचा मर्डर करून आम्ही म्हणतोय लोकशाही वाचवायचीय भडव्यांच्या भ्रष्टाचाराचे रोज पारावर बसून
Dhanraj Kanel
कोई जिस्म पर अटक गया कोई दिल पर अटक गया.... इश्क उसका ही मुकम्मल हुआ जो रूह तक पहुंच गया.....D.K. my quite
vinod sharma
आँखे से निकले तुम तो,, लबों पे अटक गए हो लबों से निकले तो,, दिल मे अटक गए हो तुम जाने का नाम,, क्यो नही ले रहे जिन्दगी से मेरी अंजान बन रहे हो या ,,रास्ता भटक गए हो #तुम
Jinendra Narwariya "राधे"
#OpenPoetry मुझे तो पता ही नहीं चला , मैं कितना बदल गया। अभी तो उनसे आंख लड़ी , और ये बंदा बिगड़ गया। हां मैं बिगड़ गया। अब उनकी तारीफ में..... तेरी बातों का ये कैसा , जादू सा मुझ पर चल गया। तेरी जुल्फों के साए मैं बादल , मैं उनमें सारा भीग गया। हां मैं भीग गया। तेरे होठों की उस गुलाबी हंसी पर , मेरा दिल ये पागल मचल गया। मैं अपना दिल तुझको दे कर , और तेरा दिल में लेकर निकल गया । हां मैं निकल गया। याद करो उस दिन की बारिश , जिसमें तेरे जिस्म का कतरा कतरा भीग गया। उन भीगी भीगी पलकों पर , हाय! करके दिल मेरा अटक गया। हां मैं अटक गया। उस बारिश के मौसम में भी , मेरे दिल में शोला धधक गया। कैसे बयां करूं अल्फाज़ में अपने , तुझे उस दिन देख के पागल हो गया। हां मैं पागल हो गया। अब आगे नहीं लिखा जाता , क्योंकि शराफत की हद से आगे निकल गया । गर पढ़ लिया घर वालों ने तो बोलेंगे , की बंदा ये हाथ से निकल गया। हां बंदा ये हाथ से निकल गया। सर्वाधिकार सुरक्षित©®✍ #OpenPoetry राधे 😊
Raj 94myfm
Anu Mittal
जिंदगी अपने ही साये से ठिठक जाती है लब तलक बात तो आती है ,अटक जाती है इश्क़ का कोई नतीज़ा तो हो, अच्छा कि बुरा न दम निकलता है ,न दिल की कसक जाती है कोई तारीकी मेरे रस्ते में नहीँ आयेगी अब नज़र हद्द ए नज़र से भी सरक जाती है कोई कानों में जब सरगोशी सी कर जाता है रूह तक उसके लहज़े की खनक जाती है अब तलक मुझको रूलाती थी,थकाती थी मुझे अब तो यह गर्दिशे हालात भी थक जाती है ख़्याल उनका जो हौले से गुज़र जाता है दूर तक उनके पैरहन की महक जाती है अज़ल को रोकिये क्या कह के उनके आने तक साँस आ आ के हलक में ही अटक जाती है अनु 'इंदु ' हसरतें ....यादें अनु मित्तल' इंदु '