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Shruti Rathi

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RJ कैलास नाईक

#गौण असते मला जिंकणं नि हरणं त्यापेक्षा विरादक तुझ्यासाठी झुरणं RJ कैलास #loveneverends

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I want to say something गौण असते मला
जिंकणं नि हरणं
त्यापेक्षा विरादक
तुझ्यासाठी झुरणं
        RJ कैलास

©RJ  कैलास नाईक #गौण असते मला
जिंकणं नि हरणं
त्यापेक्षा विरादक
तुझ्यासाठी झुरणं
        RJ कैलास

#loveneverends

Amit Tripathi

करुणा बिखर गयी संवेदना भी मौन है मूल्यों के मूल्य छूटे चेतना भी गौण है बिलख रही है अब तो ऋचाओं की सूक्तियाँ पुछती हैं प्रश्न देखो, गीता की उक्तियाँ सशंकित खड़ा क्यूँ हर एक सम्बंध है उत्तरों कि खोज में मन का हर द्वंध है

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 करुणा बिखर गयी संवेदना भी मौन है
मूल्यों के मूल्य छूटे चेतना भी गौण है

बिलख रही है अब तो ऋचाओं की सूक्तियाँ
पुछती हैं प्रश्न देखो, गीता की उक्तियाँ

सशंकित खड़ा क्यूँ हर एक सम्बंध है
उत्तरों कि खोज में मन का हर द्वंध है

Bhaskar Anand

"मुझे पता था ऐसा होने वाला है। जीवन के अंतिम पड़ाव पे सबकुछ शान्त सा दिख रहा था। अभिनय के अंतिम चरण में समय का चक्र गतिमान लग रहा था, और माया प्रभावी। मैं नहीं चाहता था कि मेरे अकस्मात से कोई प्रभावित हो लेकिन ये हो न सका। सभी माया में संबंध के मायावी प्रलोभन में आसक्त थे। मुझे भी सब याद आ रहा है, कभी भी मैं कूच कर सकता हूँ, लेकिन ये पलायन नहीं था, ये स्वाभाविक और स्वीकार्य था। जीवन के गंतव्य के प्रभंजन से कौन बच सका था अबतक, स्वयम्भू भी उसके गत्य से खुद को अलग नहीं कर सके जब।" मैं खो सा गया थ

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गाँव मे शहर "मुझे पता था ऐसा होने वाला है। जीवन के अंतिम पड़ाव पे सबकुछ शान्त सा दिख रहा था। अभिनय के अंतिम चरण में समय का चक्र गतिमान लग रहा था, और माया प्रभावी। मैं नहीं चाहता था कि मेरे अकस्मात से कोई प्रभावित हो लेकिन ये हो न सका। सभी माया में संबंध के मायावी प्रलोभन में आसक्त थे। 

मुझे भी सब याद आ रहा है, कभी भी मैं कूच कर सकता हूँ, लेकिन ये पलायन नहीं था, ये स्वाभाविक और स्वीकार्य था। जीवन के गंतव्य के प्रभंजन से कौन बच सका था अबतक, स्वयम्भू भी उसके गत्य से खुद को अलग नहीं कर सके जब।"

मैं खो सा गया थ

Bhaskar Anand

दीवाली,माँ और मैं दीवाली हमेशा से ही स्याह और काली रही है, इस बार भी कुछ अलग नहीं है। अमावस्या सैदव की तरह ऊर्जावान है और तटस्थ भी। मगर सदैव प्रकाश और उत्साह उसके स्याह को मलिन किये रहता था।  ये दीवाली हमारे लिए कुछ ज्यादा ही घनघोर और रंगहीन सा लग रहा है। वैसे ही जैसे स्याम रंग का प्रकृति है, सारे रंग को अवशोषित करने या अपने में समाहित करने की। ऐसा प्रतीत हो रहा है की ये वास्तविक में हमारे जिंदगी के सारे रंगो को लील लिया हो जैसे। प्रकृति का ये बदरंग दीवाली का शायद कोई विकल्प नहीं है, इसकी कोई क्

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दीवाली,माँ और मैं
दीवाली हमेशा से ही स्याह और काली रही है, इस बार भी कुछ अलग नहीं है। अमावस्या सैदव की तरह ऊर्जावान है और तटस्थ भी। मगर सदैव प्रकाश और उत्साह उसके स्याह को मलिन किये रहता था। 
ये दीवाली हमारे लिए कुछ ज्यादा ही घनघोर और रंगहीन सा लग रहा है। वैसे ही जैसे स्याम रंग का प्रकृति है, सारे रंग को अवशोषित करने या अपने में समाहित करने की। ऐसा प्रतीत हो रहा है की ये वास्तविक में हमारे जिंदगी के सारे रंगो को लील लिया हो जैसे। प्रकृति का ये बदरंग दीवाली का शायद कोई विकल्प नहीं है, इसकी कोई क्

Bhaskar Anand

दीवाली हमेशा से ही स्याह और काली रही है, इस बार भी कुछ अलग नहीं है। अमावस्या सैदव की तरह ऊर्जावान है और तटस्थ भी। मगर सदैव प्रकाश और उत्साह उसके स्याह को मलिन किये रहता था। ये दीवाली हमारे लिए कुछ ज्यादा ही घनघोर और रंगहीन सा लग रहा है। वैसे ही जैसे स्याम रंग का प्रकृति है, सारे रंग को अवशोषित करने या अपने में समाहित करने की। ऐसा प्रतीत हो रहा है की ये वास्तविक में हमारे जिंदगी के सारे रंगो को लील लिया हो जैसे। प्रकृति का ये बदरंग दीवाली का शायद कोई विकल्प नहीं है, इसकी कोई क्षतिपूर्ति नहीं है

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दीवाली हमेशा से ही स्याह और काली रही है, इस बार भी कुछ अलग नहीं है। अमावस्या सैदव की तरह ऊर्जावान है और तटस्थ भी। मगर सदैव प्रकाश और उत्साह उसके स्याह को मलिन किये रहता था। 
ये दीवाली हमारे लिए कुछ ज्यादा ही घनघोर और रंगहीन सा लग रहा है। वैसे ही जैसे स्याम रंग का प्रकृति है, सारे रंग को अवशोषित करने या अपने में समाहित करने की। ऐसा प्रतीत हो रहा है की ये वास्तविक में हमारे जिंदगी के सारे रंगो को लील लिया हो जैसे। प्रकृति का ये बदरंग दीवाली का शायद कोई विकल्प नहीं है, इसकी कोई क्षतिपूर्ति नहीं है

Bhaskar Anand

"संवेदनाओं का स्वार्थ" सावधान से विश्राम की जो ये पहल है अब कालजयी है,अशक्त है अभिप्राय से पृथक है विवेचनाओं से विलग है भावनाओं की भंगिमा है और वयम् से अहम् है #Poetry

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"संवेदनाओं का स्वार्थ"

सावधान से विश्राम की जो ये पहल है
अब कालजयी है,अशक्त है
अभिप्राय से पृथक है
विवेचनाओं से विलग है
भावनाओं की भंगिमा है
और वयम् से अहम् है


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