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AnuWrites@बेबाकबातें
हम थे मासूम से, दिल भी नादान था , लोग बातों में हमको उलझाने लगे । दुनियादारी से हमको सबक यूं मिला , अब तो गुलज़ार भी...समझ आने लगे । ढूंढते शब्दार्थ , हम तो शब्दकोश में , शब्द जंजाल बनकर सताते रहे । बात कोई कुछ करें , घूरते हम रहे , अब तो हम खुद भी बातें बनाने लगे । बैठकर रात भर , चांद तकते थे हम , लोग दिन में भी तारें दिखाते रहे । जब से समझे है हम , आसमानों के खेल , हम भी ग्रह और नक्षत्र बताने लगे । सबसे पहले पहुंचते थे , महफ़िल में हम , मेजबानों में हमको गिनाते रहे । फिर तजुर्बे से हमको सलाह यह मिली , अब तो महफ़िल में देरी से जाने लगे । रास्तों पर भी चलने से , डरते थे हम , चौक-चौराहे हमको भटकाते रहे । खोकर खुद को ही ढूंढा है इस भीड़ में , अब तो हम सबको रस्ते बताने लगे । ©Anu...Writes #selflove हम थे #मासूम से, दिल भी #नादान था , लोग बातों में हमको उलझाने लगे । #दुनियादारी से हमको सबक यूं मिला , अब तो गुलज़ार भी...समझ आने लगे । ढूंढते शब्दार्थ , हम तो #शब्दकोश में ,
Anita Saini
अनु शीर्षक में पढ़ें चोक और मज़दूर #AnitaSainiअन्नु #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqquotes #चौक #मज़दूर #sapne हाड गलाने वाली सर्द रातों, के सीने पर सर रख कर सो जाते हैं । वक़्त की परवाह नहीं, आज काम मिलेगा की नहीं इसी फ़िक्र में मुंह अँधेरे निकल जाते हैं। दो जून की, रोटी के जुगाड़ में, मीलों.....पैदल चलते चले जाते हैं ।
pk Love Sayr
पहली मुलाकात। {p©k love sayr } फोन पर उनसे बात हुई, मिलने का फिक्स हुआँ। पर उनसे एड्रेस बताने में मिस हुआँ। हम गंगा इस पार से, उस पार तक उनको खोज आएँ। पर वह हमें मिले नहीं। जब सही एड्रेस बताया तो हम शौक गएँ। हमारे पास में ही थे वह, और हम उनकी कहां-कहां खोज किएँ। ©pk Love Sayr #pk love sayr #फोन #बात #गंगा #चौक #खोज #नोजोटो #पहलीमुलाकात
Badal
तेरी गली के सिवा और क्या ठिकाना है यहीं मिलेंगे अगर लापता भी हुए हम...! अभी तुम्हारे मरज़ की दवा नहीं हुए हम...इसलिए जाओ एक बार फिर मरने दे मुझे तबतक के लिए जबतक तेरी दुआ नही होते हम...!! {#चौक-ए-मिलन} ☢ #SilentWaves
Sanket Chakole
नवयुवक मंडळ गांधी चौक काद्री यांचा तर्फे उद्या दी.31/8/2019 रोज शनिवार ला दुपारी 4 वाजता तान्हा पोळा चे आयोजन करण्यात आलेले आहे तरी गावातील सर्व नागरिकारींकानई हनुमान मंदिर गांधी चौक येथे उपस्तिथ रहावे
`sanju sharan
Hukam Prajapat
Kashmir पैतीस ए और तीन सौ सत्तर अब गुजरा कल कहलाऐगा कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा अब लहराऐगा कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा अब लहराऐगा #kashmir
Raushan Kumar
Miss You Quotes तुमसे झगड़े के बाद , रसगुल्ला भी तीखा लगता है... जब तुम प्यार से बनाती हो करेला , मालपुआ सा मीठा लगता है... Read full story in caption😊 #NojotoQuote आज जब झगड़े के बाद मैं तुमसे दूर जा रहा था , मुझे शहर के हर चौक चौराहे पर ग्रीन सिग्नल मिला और रोड भी लगभग खाली था जैसे मैं कोई मंत्री हूँ और मेरे लिए रस्ता क्लीयर कराया गया हो, वो तो भला हो तुम्हारे स्कूटी का जिसका पेट्रोल खत्म हो गया और मैं गुस्से में पर्स लेना भूल गया था , हुआ यूँ की पैदल स्कूटी को ढ़केल कर लाना परा जिसके कारण मैं थक भी गया और मेरा गुस्सा भी शांत हो गया ! पर मैने एक बात नोटिस की कि उस दिन जब तुम एकाएक बीमार हो गई थी और तुम्हे मेरी जरूरत थी मैं तुम्हारे पास जल्द पहुचना चाहत
Divya Tripathi
शहर वाराणसी. बनारस की बात ही अलग है। यहां के तीर्थ स्थल, अल्हड़ सी अदा, मंदिरों और घाटों के नजारे मन मोह लेते हैं। इसक अलावा बनारस अपने खान-पान के लिए भी जाना जाता है। बनारस के खाने के आइटम्स पूरे दुनियां में मशहूर हैं। तो अगर आप बनारस आयें तो इन लजीज व्यंजनों का स्वाद जरूर चखें। कुल्हड़ वाली चाय चाय एक ऐसा चीज है जो पूरे दुनिया के लोग पीते हैं, तो अगर आप चाय के शौकीन है तो बनारसी की कुल्हड़ वाली चाय का मजा जरूर लें। यहां मिट्टी की सोंधी-सोंधी खुशबू वाले कुल्हड़ में चाय पीने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। वैसे तो चाय पीने के लिए दुकानों पर हमेशा ही भीड़ लगी रहती है, लेकिन सर्दियों में इसका अपवा मजा है। बनारस का पान बनारस के पान के क्या कहने, खयीके पान बनारस वाला गाना तो अपने भी सुना होगा, ये गाना ऐसा ही नहीं बना। सच में बनारस का पान इतना रसीला, स्वादिष्ट है जैसे ये गाना। विदेशी टूरिस्ट भी एक बार इसका स्वाद जरूर चखते हैं। ह्यगुलकंद वाला पानह्ण हर किसी की पहली पसंद है। बनारसी मिठाइयां की अलग है मिठास बनारस के खान पान की बात हो और मिठाइयों बात ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता। बनारस की मिठआई अपने आप में अलग महत्व रखती है। यहां के रसगुल्ले, गुलाबजामुन, मलाई-गिलौरी, लौंगलता, बेसन के लड्डू, खीर- कदम और न जाने कितनी ही मिठाइयां हैं, जिसका स्वाद आपका मन मोह सकता है। ओस की बूंदों से बनृता है ये मलइयो दूध से बनने वाला मलइयो काशी की खास पहचान है। गंगा घाट, चौक और गदौलिया में मिलने वाला मलइयो लोगों को अपनी तरफ खींच ही लेता है। इसे बनाने की विधि भी बेहद खास है। दूध को चीनी के साथ उबालकर आसमान के नीचे ओस में रख दिया जाता है। रात भर ओस में रखने के बाद इसमें दूध मिलाया जाता है। इसके बाद किसी बर्तन में दूध को काफी देर तक फेंटा जाता है। इससे झाग तैयार होता है, जिसे लाजवाब मलइयो कहते हैं। बनारस की खास लस्सी बनारसी लस्सी भी यहां की पहचान है। इंडिया घूमने आए विदेशी इसका स्वाद जरूर चखते हैं। चौक इलाके की कचौड़ी गली में ब्लू लस्सी के नाम से एक दुकान है। यहां आपको सेब, केला, अनार, आम और रबड़ी समेत हर फ्लेवर की लस्सी मिल जाएगी। बनारस की सुबह और पूड़ी-सब्जी, जलेबी और वो कचौड़ी गली कद्दू की सब्जी-पूड़ी और साथ में गरमागरम जलेबी बनारस की पहचान है। लंका पर स्थित ह्यचाची की दुकानह्ण पूड़ी-सब्जी के लिए मशहूर है। इसका स्वाद चखने के लिए लोग सुबह से ही दुकान पर जमा हो जाते हैं। वहीं, चौक की कचौड़ी गली इसी के लिए ही फेमस है। अगर आप काशी आएं तो इसका स्वाद एक बार जरूर चखें। बनारसी टमाटर चाट काशी में आए और टमाटर चाट का स्वाद नहीं चखा, इसका मतलब आप बनारसीपन के एक हिस्से को नहीं जान सके। जी हां, टमाटर चाट बनारस का फेमस स्ट्रीट फूड है। इसे बनारसी चाट भी कहा जाता है। इसका स्वाद बेहद अलग और स्वादिष्ट होता है। लौंग लता इसे ह्यलवंग लतिकाह्ण भी कहते हैं। ये बंगाली समाज के त्योहारों पर बनने वाली पारंपरिक मिठाई है। बनारस की हर दुकान पर ये करीने से सजी हुई रखी रहती है। जो काशी आता है, वो एक बार इसका स्वाद जरूर चखता है। चूड़ा-मटर बनारस का चूड़ा मटर जिसका स्वाद ही अलग है, इसे सर्दियों में चाय के साथ खाने का लुफ्त आप उठा सकते हैं। काशी में सर्दियों में हर घर में चूड़ा-मटर बनता है। यही नहीं, ये आपको दुकानों पर भी गरमागरम मिल जाएगा। यहां के लोग अक्सर बतकही लगाते और साथ में चूड़ा-मटर खाते दिख जाएंगे। रबड़ी वाला दूध वैसे तो आप घर में ही दूध गर्म करके पी लेते होंगे, लेकिन बनारस में बड़ी सी हांडी में घंटों तक दूध पकाया जाता है। इससे दूध का स्वाद बढ़ जाता है। इसके बाद दूध में रबड़ी भी मिलाई जाती है, जो इसके टेस्ट को और भी बढ़ा देती है। बनारसी चाट बनारस की चाट काफी मशहूर है। देश-विदेश से लोग आलू-टिक्की चखने के लिए काशी आते हैं। अलग-अलग मसालों से बनी आलू-टिक्की का अलग ही स्वाद होता है। आप जब भी काशी आएं तो ये डिश भी है खास सेवपुरी आलू, टमाटर, प्याज, अलग-अलग मसाले और सेव से बनी सेवपुरी अपने स्वाद के लिए काफी मशहूर है। अगर आप बनारस आने का प्लान बना रहे हैं तो इसे भी एक बार जरूर चखें। Apna banars
श्रीजी इंदौर श्रीजी भक्ति
श्री भक्ति इंदौर ✍धूमधाम से मनाया हनुमान जन्मोत्सव, शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागत शहर के पुराने बिजलीघर परिसर में स्थित श्री गजटेड हनुमान मंदिर में शुक्रवार को हनुमान जन्मोत्सव परंपरागत रूप से धूमधाम से मनाया हनुमान जन्मोत्सव, शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागतशहर के पुराने बिजलीघर परिसर में स्थित श्री गजटेड हनुमान मंदिर में शुक्रवार को हनुमान जन्मोत्सव परंपरागत रूप से...शहर के पुराने बिजलीघर परिसर में स्थित श्री गजटेड हनुमान मंदिर में शुक्रवार को हनुमान जन्मोत्सव परंपरागत रूप से समारोह पूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर शुक्रवार सुबह गड़ीसर चौराहे से भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इसके बाद सुंदरकांड पाठ तथा महाप्रसादी का आयोजन किया गया। रात्रि में भव्य भजन संध्या का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हनुमान मंदिर परिसर को भव्य आकर्षक लाइटिंग व पुष्पों से सजाया गया। इसके साथ ही भगवान हनुमान व रामदरबार में पुष्पों से मनमोहक शृंगार भी किया गया। हनुमान प्रतिमा पर आकर्षक बागा भी धारण करवाया गया। सुबह से ही हनुमान भक्तों की भारी भीड़ मंदिर में देखने को मिली। दिनभर हुए धार्मिक आयोजनों में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने हनुमान चालीसा व सुंदरकांड का पाठ भी किया। शोभायात्रा में हनुमानगढ़ के आए बैंड, सजे धजे घोड़े, ऊंट एवं विभिन्न देवी-देवताओं की झांकियां सम्मिलित रहीं, जो शहरभर में आकर्षण का केंद्र रहीं। शोभायात्रा में विश्व हिंदू परिषद तथा बजरंग दल के कार्यकर्ताओं तथा युवकों ने भी सहयोग दिया। शोभायात्रा गडीसर चौराहे से आरंभ होकर आसनी रोड, गोपा चौक, सदर बाजार, गांधी चौक से हनुमान चौराहे होती हुई मंदिर स्थल तक पहुंची। यहां विभिन्न झांकियों में भाग लेने वाले बालक बालिकाओं को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मंदिर में यज्ञ हवन तथा अन्य धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए गए। पुजारी किशनलाल शर्मा ने बताया कि 8 बजे महाआरती के बाद सुंदरकांड पाठ आयोजन किया गया। उसके बाद महाप्रसादी रामरसोड़ा का आयोजन किया गया। इस दौरान संपूर्ण दिवस विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन हुए। हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर निकाली गई शोभायात्रा का शहर भर में जगह-जगह स्वागत किया गया। शोभायात्रा का शहर के मुख्य मार्गों पर विभिन्न समाजों के लोगों द्वारा स्वागत कर पुष्प वर्षा की गई। इसके साथ ही शोभायात्रा के स्वागत के लिए मुख्य स्थानों पर आकर्षक रंगोलियां बनाकर स्वागत किया गया। हनुमान जयंती के अवसर पर गजटेड हनुमान मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने दर्शन कर अमनचैन व खुशहाली की कामना की। सुबह से ही हनुमान भक्तों की रेलमपेल मंदिर में लगी रही। वहीं शाम होते ही गजटेड हनुमान मंदिर में भक्तों का हुजूम उमड़ने लगा। शाम को श्री गजटेड हनुमान मंदिर में भव्य भजन संध्या हुई। इसमें भजन कलाकारों ने विभिन्न भजनों की प्रस्तुतियां देकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। हनुमान जयंती के अवसर पर शहर स्थित सभी हनुमान मंदिरों में दिनभर धार्मिक कार्यक्रम हुए। हनुमान चौराहे पर स्थित हनुमान मंदिर में सुबह हनुमान प्रतिमा पर भव्य बागा धारण करवाया गया, वहीं शाम को भव्य भजन संध्या का आयोजन किया गया। धर्म.समाज जैसलमेर. गजटेड हनुमान मंदिर में शाम काे अायाेजित महाअारती में उमड़ी श्रद्धालुअाें की भीड़। पोकरण. हनुमानजी की प्रसादी के लिए बनाया रोट। हनुमान प्रतिमा पर चढ़ाया 615 किलाे का रोट पोकरण | हनुमान जयंती पर सालमसागर तालाब पर स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर में शहर का मुख्य समारोह आयोजित हुआ। सुबह से देर शाम तक जहां कई धार्मिक कार्यक्रम हुए, वहीं श्रद्धालुओं तथा जनसहयोग से बनाए गए 615 किलो के विशाल रोट का भोग लगाया गया। मंदिर के पुजारी हरिवंश दवे ने बताया कि जयंती महोत्सव के तहत शास्त्रोक्त विधि-विधान के अनुसार हनुमान लला क जन्मोत्सव मनाया गया। मंदिर में सुबह आचार्यों के सान्निध्य में हनुमान प्रतिमा पर तेल व सिंदूर अर्पित किया गया। आचार्य पं. अजय व्यास व गिरीराज पुरोहित ने मुख्य यजमान ज्योतिष व्यास व रुद्रीपाठियों द्वारा शिव के अवतार हनुमान का रुद्राभिषेक संपन्न कराया। इस अवसर पर वेदपाठियों में मांगीलाल ओझा, नंदकिशोर दवे, नवल जोशी, राजा पुरोहित भी मौजूद रहे। संकटमोचन हनुमान मंदिर में श्रद्धालु द्वारा आकर्षक रोशनी से सजाया गया। इसके साथ ही हनुमान प्रतिमा का विभिन्न पुष्पों से शृंगार किया गया। धार्मिक अनुष्ठानों की कड़ी में शुक्रवार की दोपहर को संकटमोचन हनुमान मंदिर परिसर में सुंदरकांड मंडल द्वारा संगीतमय सुंदरकांड पाठ हुए, साथ ही पोकरण के सेलवी गांव में सिद्धपीठ कदलीवन धाम में सुबह 10.30 बजे से श्रद्धालुओं ने सुंदरकांड के पाठ किए। शाम को 5 बजे फलसूंड रोड स्थित महारथी मारुती सेवा सदन में सुंदरकांड के पाठ हुए। इसमें स्थानीय व आस-पास क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इसके बाद छप्पनभोग की प्रसादी व भजन संध्या का आयोजन किया गया। हनुमान जयंती के अवसर पर पारंगत कारीगरों द्वारा बनाया गया 615 किलो रोट के हनुमान प्रतिमा को प्रसाद चढ़ाने के पश्चात प्रसादी का आयोजन किया गया। इसमें शहर के विभिन्न मोहल्लों से सभी समुदायों ने हनुमान मंदिर में दर्शनों के पश्चात महाप्रसादी में प्रसाद ग्रहण कर पुण्य लाभ प्राप्त किया। हनुमान जयंती समारोह के तहत ग्राम पंचायत डिडाणिया के बाबूपुरा गांव के राम दरबार हनुमान मंदिर के नवनिर्मित मंदिर का प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम आयोजित किया गया। जसराज माली ने बताया कि बाबूपुरा गांव में नवनिर्मित मंदिर में रामदरबार और हनुमान की नवनिर्मित मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा की गई। इस दौरान महंत प्रतापपुरी महाराज के साथ-साथ संत नारायणदास महाराज, संत अभय साहेब, संत धीरजपुरी भी मौजूद रहे। इस अवसर पर सुबह 9 बजे कस्बे में कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें बालिकाएं मंगल कलश शिरोधार्य कर शोभायात्रा में शामिल हुई, वहीं अभिजीत मुहूर्त में मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा व शिखर पूजन किया गया। शहरी क्षेत्र के साथ-साथ गांव-ढाणियों में इन दिनों हनुमान जयंती पर भारीभरकम रोट चढ़ाने का क्रेज बढ़ने लगा है, कहीं 400 किलो तो कहीं 600 किलो का रोट तैयार कर हनुमान प्रतिमा के समक्ष भोग लगाया गया है। आटे के भारी भरकम रोट बनाने के लिए पोकरण शहर काफी विख्यात रहा है। विशेषकर हनुमान मंदिरों में प्रसादी के रूप में 51, 101, 201 व 501 किलो आटे के अखंड रोट चढ़ाए जाते रहे हैं। अंगारों पर खड़ा रखकर बनाते है यह रोट अखंडित रोट निर्माण की कला में पारंगत चिरंजीलाल गुचिया उर्फ लाल भा ने बताया कि इस रोट निर्माण में चार दिनों के समय लगता है। जिसके साथ ही आटे को पकाने के लिए अंगारों पर खड़ा रहना पड़ता है। साथ ही लकड़ी, फावड़े तथा अन्य सामान से अंगारों को उठाकर रोटे के चारों ओर डालना पड़ता है। उन्होंने बताया कि कई बार रोट निर्माण के दौरान सहकर्मी घायल भी हो जाते हैं, लेकिन रोट पकाने के लिए इन छोटे-मोटे घावों को दरकिनार करना पड़ता है। अन्यथा आटे तथा अन्य सामग्री से बनने वाला यह रोट कच्चा रह जाता है। शहर के अधिकतर हनुमान मंदिरों में रोट चढ़ाए गए। जिसमें शहर के सालमसागर तालाब स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर में 613 किलो का रोट तैयार किया गया, जिसमें 225 किलो आटा के साथ साथ 130 किलो दूध, 80 किलो शक्कर, 150 किलो घी, 30 किलो मेवा का उपयोग लिया गया। इसके साथ ही बांकना हनुमान मंदिर में हनुमान प्रतिमा को 521 किलो रोटे का भोग लगाया गया। इसमें 221 किलो आटा, 80 किलो शक्कर, 100 किलो दूध, 120 किलो घी डालकर तैयार किया गया। हनुमान प्रतिमा पर चढ़ाया 615 किलाे का रोट पोकरण | हनुमान जयंती पर सालमसागर तालाब पर स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर में शहर का मुख्य समारोह आयोजित हुआ। सुबह से देर शाम तक जहां कई धार्मिक कार्यक्रम हुए, वहीं श्रद्धालुओं तथा जनसहयोग से बनाए गए 615 किलो के विशाल रोट का भोग लगाया गया। मंदिर के पुजारी हरिवंश दवे ने बताया कि जयंती महोत्सव के तहत शास्त्रोक्त विधि-विधान के अनुसार हनुमान लला क जन्मोत्सव मनाया गया। मंदिर में सुबह आचार्यों के सान्निध्य में हनुमान प्रतिमा पर तेल व सिंदूर अर्पित किया गया। आचार्य पं. अजय व्यास व गिरीराज पुरोहित ने मुख्य यजमान ज्योतिष व्यास व रुद्रीपाठियों द्वारा शिव के अवतार हनुमान का रुद्राभिषेक संपन्न कराया। इस अवसर पर वेदपाठियों में मांगीलाल ओझा, नंदकिशोर दवे, नवल जोशी, राजा पुरोहित भी मौजूद रहे। संकटमोचन हनुमान मंदिर में श्रद्धालु द्वारा आकर्षक रोशनी से सजाया गया। इसके साथ ही हनुमान प्रतिमा का विभिन्न पुष्पों से शृंगार किया गया। धार्मिक अनुष्ठानों की कड़ी में शुक्रवार की दोपहर को संकटमोचन हनुमान मंदिर परिसर में सुंदरकांड मंडल द्वारा संगीतमय सुंदरकांड पाठ हुए, साथ ही पोकरण के सेलवी गांव में सिद्धपीठ कदलीवन धाम में सुबह 10.30 बजे से श्रद्धालुओं ने सुंदरकांड के पाठ किए। शाम को 5 बजे फलसूंड रोड स्थित महारथी मारुती सेवा सदन में सुंदरकांड के पाठ हुए। इसमें स्थानीय व आस-पास क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इसके बाद छप्पनभोग की प्रसादी व भजन संध्या का आयोजन किया गया। हनुमान जयंती के अवसर पर पारंगत कारीगरों द्वारा बनाया गया 615 किलो रोट के हनुमान प्रतिमा को प्रसाद चढ़ाने के पश्चात प्रसादी का आयोजन किया गया। इसमें शहर के विभिन्न मोहल्लों से सभी समुदायों ने हनुमान मंदिर में दर्शनों के पश्चात महाप्रसादी में प्रसाद ग्रहण कर पुण्य लाभ प्राप्त किया। हनुमान जयंती समारोह के तहत ग्राम पंचायत डिडाणिया के बाबूपुरा गांव के राम दरबार हनुमान मंदिर के नवनिर्मित मंदिर का प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम आयोजित किया गया। जसराज माली ने बताया कि बाबूपुरा गांव में नवनिर्मित मंदिर में रामदरबार और हनुमान की नवनिर्मित मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा की गई। इस दौरान महंत प्रतापपुरी महाराज के साथ-साथ संत नारायणदास महाराज, संत अभय साहेब, संत धीरजपुरी भी मौजूद रहे। इस अवसर पर सुबह 9 बजे कस्बे में कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें बालिकाएं मंगल कलश शिरोधार्य कर शोभायात्रा में शामिल हुई, वहीं अभिजीत मुहूर्त में मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा व शिखर पूजन किया गया। शहरी क्षेत्र के साथ-साथ गांव-ढाणियों में इन दिनों हनुमान जयंती पर भारीभरकम रोट चढ़ाने का क्रेज बढ़ने लगा है, कहीं 400 किलो तो कहीं 600 किलो का रोट तैयार कर हनुमान प्रतिमा के समक्ष भोग लगाया गया है। आटे के भारी भरकम रोट बनाने के लिए पोकरण शहर काफी विख्यात रहा है। विशेषकर हनुमान मंदिरों में प्रसादी के रूप में 51, 101, 201 व 501 किलो आटे के अखंड रोट चढ़ाए जाते रहे हैं। अंगारों पर खड़ा रखकर बनाते है यह रोट अखंडित रोट निर्माण की कला में पारंगत चिरंजीलाल गुचिया उर्फ लाल भा ने बताया कि इस रोट निर्माण में चार दिनों के समय लगता है। जिसके साथ ही आटे को पकाने के लिए अंगारों पर खड़ा रहना पड़ता है। साथ ही लकड़ी, फावड़े तथा अन्य सामान से अंगारों को उठाकर रोटे के चारों ओर डालना पड़ता है। उन्होंने बताया कि कई बार रोट निर्माण के दौरान सहकर्मी घायल भी हो जाते हैं, लेकिन रोट पकाने के लिए इन छोटे-मोटे घावों को दरकिनार करना पड़ता है। अन्यथा आटे तथा अन्य सामग्री से बनने वाला यह रोट कच्चा रह जाता है। शहर के अधिकतर हनुमान मंदिरों में रोट चढ़ाए गए। जिसमें शहर के सालमसागर तालाब स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर में 613 किलो का रोट तैयार किया गया, जिसमें 225 किलो आटा के साथ साथ 130 किलो दूध, 80 किलो शक्कर, 150 किलो घी, 30 किलो मेवा का उपयोग लिया गया। इसके साथ ही बांकना हनुमान मंदिर में हनुमान प्रतिमा को 521 किलो रोटे का भोग लगाया गया। इसमें 221 किलो आटा, 80 किलो शक्कर, 100 किलो दूध, 120 किलो घी डालकर तैयार किया गया। धूमधाम से मनाया हनुमान जन्मोत्सव, शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागतशहर के पुराने बिजलीघर परिसर में स्थित श्री गज हनुमान मंदिर में शुक्रवार को हनुमान जन्मोत्सव परंपरागत रूप से...श्री भक्ति इंदौर 9826241004