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Hariom Patidar

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सेठो के सेठ  बस सॉवरियॉ सेठ

Neha Keswani

#पति_पत्नी_का_प्रेम 

एक सेठ जी थे उनके घर में एक गरीब आदमी काम करता था जिसका नाम था रामलाल जैसे ही राम लाल के फ़ोन की घंटी बजी रामलाल डर गया।  तब सेठ जी ने पूछ लिया ??

"रामलाल तुम अपनी बीबी से इतना क्यों डरते हो?"

"मै डरता नही सर् उसकी कद्र करता हूँ उसका सम्मान करता हूँ।"उसने जबाव दिया।

मैं हँसा और बोला-" ऐसा कया है उसमें।ना सुरत ना पढी लिखी।"

जबाव मिला-" कोई फरक नही पडता सर् कि वो कैसी है पर मुझे सबसे प्यारा रिश्ता उसी का लगता है।"

"जोरू का गुलाम।"मेरे मुँह से निकला।"और सारे रिश्ते कोई मायने नही रखते तेरे लिये।"मैने पुछा।

उसने बहुत इत्मिनान से जबाव दिया-
"सर् जी माँ बाप रिश्तेदार नही होते।
वो भगवान होते हैं। 
उनसे रिश्ता नही निभाते उनकी पूजा करते हैं।

भाई बहन के रिश्ते जन्मजात होते हैं , 
दोस्ती का रिश्ता भी मतलब का ही होता है।

आपका मेरा रिश्ता भी जरूरत और पैसे का है पर,
पत्नी बिना किसी करीबी रिश्ते के होते हुए 
भी हमेशा के लिये हमारी हो जाती है 
अपने सारे रिश्ते को पीछे छोडकर। 
और हमारे हर सुख दुख की सहभागी बन जाती है 
आखिरी साँसो तक।"

मै अचरज से उसकी बातें सुन रहा था।
वह आगे बोला-"सर् जी, पत्नी अकेला रिश्ता नही है, 
बल्कि वो पुरा रिश्तों की भण्डार है।

जब वो हमारी सेवा करती है हमारी देख भाल करती है , 
हमसे दुलार करती है तो एक माँ जैसी होती है।

जब वो हमे जमाने के उतार चढाव से आगाह करती है,
और मैं अपनी सारी कमाई उसके हाथ पर रख देता हूँ 
क्योकि जानता हूँ वह हर हाल मे मेरे घर का भला करेगी 
तब पिता जैसी होती है।

जब हमारा ख्याल रखती है हमसे लाड़ करती है, 
हमारी गलती पर डाँटती है, 
हमारे लिये खरीदारी करती है तब बहन जैसी होती है।

जब हमसे नयी नयी फरमाईश करती है, 
नखरे करती है, रूठती है , 
अपनी बात मनवाने की जिद करती है तब बेटी जैसी होती है।

जब हमसे सलाह करती है मशवरा देती है ,
परिवार चलाने के लिये नसीहतें देती है, 
झगडे करती है तब एक दोस्त जैसी होती है।

जब वह सारे घर का लेन देन , खरीददारी , घर चलाने की जिम्मेदारी उठाती है तो एक मालकिन जैसी होती है।

और जब वही सारी दुनिमा को यहाँ तक 
कि अपने बच्चो को भी छोडकर हमारे पास मे आती है 

तब वह पत्नी, प्रेमिका, प्रेयसी, अर्धांगिनी , हमारी प्राण 
और आत्मा होती है जो अपना सब कुछ 
सिर्फ हम पर न्योछावर करती है।"

मैं उसकी इज्जत करता हूँ तो क्या गलत करता हूँ सर्।"

उसकी बाते सुनकर सेठ जी के आखों में पानी आ गया 

इसे कहते है पति पत्नी का प्रेम। 👈  
ना की जोरू का गुलाम।  ?? ✍
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Shivam sid jmp.

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गर्व था मुझे भी अपने देश पर , लेकिन अब विचार बदल रहे 
सेवा करने वाले नेता राजनीति में दाव चल रहे।
खुदगर्ज़ है ये लोग, नेता नही ! सेठ है ये बन रहे।।

नेता अपने घर को अनाज से है क्यों भर रहे ।
वही अनाज देने वाले किसान ,भूखे पेट क्यों मर रहे ?

कानून के रक्षक भी काफी ज्यादा ग्रेट है।
गुंडो के किलाफ आवाज़ उठाया मैंने,
पता चला ये तो गुंडो के ही सेठ है।

यहां सौ में दस लोग ही बेटी को लक्ष्मी है मानते।
बाकी तो उन्हें दहेज़ से है मापते।

क्या लिखूं ,अब तो ये कलम भी रो पड़े।
गर्व था मुझे अपने देश पर, लेकिन अब विचार बदल रहे।

@Devidkurre

वाणी मेरी नही लेकिन विचार इनके जैसे ही है किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला #बाबा_नागार्जुन

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किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? 
कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? 
सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है 
गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है 
चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है 
कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है 
जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला
शासन के घोड़े पर वह भी सवार है 
उसी की जनवरी छब्बीस 
उसीका पन्द्रह अगस्त है 
बाकी सब दुखी है, बाकी सब पस्त है 
कौन है खिला-खिला, बुझा-बुझा कौन है 
कौन है बुलंद आज, कौन आज मस्त है 
खिला-खिला सेठ है, श्रमिक है बुझा-बुझा 
मालिक बुलंद है, कुली-मजूर पस्त है 
सेठ यहां सुखी है, सेठ यहां मस्त है 
उसकी है जनवरी, उसी का अगस्त है 
पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है 
मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है 
फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है 
फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है 
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
मास्टर की छाती में कै ठो हाड़ है! 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
मज़दूर की छाती में कै ठो हाड़ है! 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
घरनी की छाती में कै ठो हाड़ है! 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
बच्चे की छाती में कै ठो हाड़ है! 
देख लो जी, देख लो, देख लो जी, देख लो 
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है! 
मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है 
पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है 
फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है 
फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है 
महल आबाद है, झोपड़ी उजाड़ है 
गऱीबों की बस्ती में उखाड़ है, पछाड़ है 
धत् तेरी, धत् तेरी, कुच्छों नहीं! कुच्छों नहीं 
ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है 
ताड़ के पत्ते हैं, पत्तों के पंखे हैं 
पंखों की ओट है, पंखों की आड़ है 
कुच्छों नहीं, कुच्छों नहीं 
ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है 
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है! 
किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है! 
कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है! 
सेठ ही सुखी है, सेठ ही मस्त है 
मंत्री ही सुखी है, मंत्री ही मस्त है 
उसी की है जनवरी, उसी का अगस्त है।

#बाबा_नागार्जुन वाणी मेरी नही लेकिन विचार इनके जैसे ही है 
किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? 
कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? 
सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है 
गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है 
चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है 
कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है 
जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला

राहुल सेठ"राही"

#कवि

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सब बेगाने होकर इक 
वो खुदा सी लगती है,
"सेठ" इबादत करना भी 
आसान कहाँ होता है।

#कवि राहुल सेठ

राहुल सेठ"राही"

#कवि

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चोट मिरे लगती है दर्द उनको होता है,
हाँ सच्चे प्यार में कुछ ऐसा भी होता है।

आँसू अपने होते है गम उनका होता है,
सरहदे.. प्यार में ऐसा थोड़ी ना होता है।

वो बोले मै चुप रहूँ और मै बोलू वो चुप रहे,
महोब्बत में बातों का ये भी एक सलीका होता है।

कुछ मजबुरी मेरी है कुछ मजबुरी उसकी भी ,
दोनो खुश हो जाए ये भी मुमकिन कहाँ होता है।

सब बेगाने होकर इक वो खुदा सी लगती है,
"सेठ" इबादत करना भी आसान कहाँ होता है।

#कवि राहुल सेठ

राहुल सेठ"राही"

#कवि

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"गजल"
दिल को एक वहम हो गया,
उन्हे मुझ से इश्क़ हो गया।

ये सांसे मुंतजिर हो गयी उन पर
दुर रहकर जीना अब रिश्क हो गया।

उसकी यादों की मालाएं बिखर गयी है "सेठ"
मोती था जो कभी उसमे अब अश्क़ हो गया।

#कवि राहुल सेठ

राहुल सेठ"राही"

गुरु, दोस्त, बहन न जाने क्या क्या किस्से है,
आज सेठ जो कुछ भी है सब में तेरे हिस्से है।
#हैप्पी बर्थब डे जीजी
#कवि राहुल सेठ
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