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Rabindra Kumar Ram
" अपने आइने की दस्तूर देखिए , मुझे करीब कुछ और देखियेगा , जो दिखे तो सम्हाल के रखना , ये मेरे दिल के बहुत अज़ीज़ है . " --- रबिन्द्र राम " अपने आइने की दस्तूर देखिए , मुझे करीब कुछ और देखियेगा , जो दिखे तो सम्हाल के रखना , ये मेरे दिल के बहुत अज़ीज़ है . " --- रबिन्द्र राम #आइने #दस्तूर #करीब #सम्हाल #दिल #अज़ीज़
अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
ना देखो ख़ुद को........ आइने में इस कदर । पल-भर आइने की.... तबियत बिगड़ जायेगी । #आइने की मजबूरी
#आइने की मजबूरी
read moreManjeet Sharma 'Meera'
आइने ने जो दिखाया वो ही देखा आंखों ने कैसे कोई जान पाए दिल के क्यों काले हैं लोग। #आइने ने जो दिखाया😊
#आइने ने जो दिखाया😊
read moresujeet dwivedi(logic)
हकीकत हूँ तो आइने मे देखकर मानोगे आइने-ऐ-इश्क से बेखबर हो मेरी जान आइने मे मुझे कैसे पहचानोगे। mujhe kaise pahchanoge
mujhe kaise pahchanoge
read moreSahil Bhardwaj
तेरी मोहब्बत सीने में बाकी है अभी शायद इक रोज़ मैं लौट आऊँगा तुम उँगुलियों पे मगर दिन गिन गिन के मेरा इन्तज़ार मत करना... Read in caption ........... Story based poetry hai, shayad aap samjhe aur aapko achha lage to pratikriya jarur de.... Story hint 🇮🇳🇮🇳 सुनो मैं जा रहा हूँ मेरा इन्तज़ार मत करना मैं लौटूंगा नहीं शायद
Read in caption ........... Story based poetry hai, shayad aap samjhe aur aapko achha lage to pratikriya jarur de.... Story hint 🇮🇳🇮🇳 सुनो मैं जा रहा हूँ मेरा इन्तज़ार मत करना मैं लौटूंगा नहीं शायद
read moreRashmi Shankar
जिस आइने को दिन में , सिर्फ एक बार देखती थी! उसी आइने में घंटों भर, निहारती हूँ खुद को! न जाने कौन सी दूर्घटना हूई है खुद को खुद से खुबसूरत कहने का जी करने लगा है उन बहती हवाओं के जैसे, सब छू जाने का जी करने लगा है शायद मुझे धीमे धीमे इश्क़ होने लगा है!! 😌😌 Shayad mujhe Dhime Dhime Ishq hone laga hai
Shayad mujhe Dhime Dhime Ishq hone laga hai
read moreTAHIR CHAUHAN
Mirror तू मुझमें कुछ इस तरह समाई है। के आइने के सामने मैं जाता हूं। पर आइने में दिखती । तेरी परछाई है। ताहिर।।। आईना
आईना
read moreNeelam jangra
दूसरों की ज़िंदगी संवारने के लिए, अपनी ज़िंदगी की सूरत बिगाड़ ली हमनें, किसी ने देखा ना मुड़के भी मुझे, कुछ यूं किया हमने कि आइने में सूरत निहार ली हमने, हो गई रूबरू मैं खुद से ही,जैसी थी वैसी ही खुद स्वीकार ली मैंने नज़रों ने मेरी नज़रे मिला कर कहा, बता तुम्हारे सिवा तुम्हारा कौन है यहां, तुम चले तो थे थाम कर हाथ अपनो का, कि इन्हीं में समाई है मेरी दुनियां, ज़रा से क्या चूके कि सबने साथ छोड़ दिया, पता ही तब चला कि अपनी ही दुनियां उजाड़ ली हमनें, सूखे पत्तो की उड़ान और पतझड़ के मौसम जैसी हो गई ज़िंदगी, लगा यूं कि जैसे कुछ दिनों के लिए बहार उधार ली हमने, किसी ने देखा ना मुड़के भी मुझे, कुछ यूं किया हमने कि आइने में सूरत निहार ली हमनें