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Amit Singhal "Aseemit"

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कर्म गोरखपुरिया

आज गांव याद आ रहा है #गाँव #खेत #खलिहान #village

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મારું ગામડું  गांव की पगडंडियों पर बैठ कितने गीत ग़ज़ल लिख डाले थे ,  
बापू दादा ताऊ फूफा हर किसी के चाहने वाले थे , 
फिर कुछ मजबूरियां आन पड़ी हमें शहर के ओर जाना पड़ा , पोखर ताल खेत और बाग जाने क्या क्या हमें गंवाना पड़ा

instagram id @shyariz_dil_se

©काम भक्त कवि [आशीष मिश्रा] आज गांव याद आ रहा है 
#गाँव #खेत #खलिहान 

#village

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 2 - भगवान की पूजा एक साधारण कृषक है रामदास। जब शुक्र तारा क्षितिज पर ऊपर उठता है, वह अपने बैलों को खली-भूसा देने उठ पड़ता है। हल यदि सूर्य निकलने से पहले खेत पर न पहुँच जाय तो किसान खेती कर चुका। दोपहर ढल जाने पर वह खेत से घर लौट पाता है। बीच में थोड़े-से भुने जौ या चने और एक लोटा गुड़ का शर्बत - यही उसका जलपान है। जाड़े के दिन सबसे अच्छे होते हैं। उन दिनों जलपान में हरी मटर उबाल कर नमक डाल कर घर से आ जाती है खेतपर और गन्ने का ताजा रस आ जा

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
2 - भगवान की पूजा


एक साधारण कृषक है रामदास। जब शुक्र तारा क्षितिज पर ऊपर उठता है, वह अपने बैलों को खली-भूसा देने उठ पड़ता है। हल यदि सूर्य निकलने से पहले खेत पर न पहुँच जाय तो किसान खेती कर चुका। दोपहर ढल जाने पर वह खेत से घर लौट पाता है। बीच में थोड़े-से भुने जौ या चने और एक लोटा गुड़ का शर्बत - यही उसका जलपान है। जाड़े के दिन सबसे अच्छे होते हैं। उन दिनों जलपान में हरी मटर उबाल कर नमक डाल कर घर से आ जाती है खेतपर और गन्ने का ताजा रस आ जा

कवि मनीष

एक नदि थी बह रही,
उछलती,मचलती,
धरती माँ की प्यारी राज-दुलारी,

खेत-खलिहान को थी सींचती,
एक नदि थी बह रही,

सब कहते थें उसे स्रोत जीवन का,
वो थी माँ गंगा,
सबसे बड़ा स्रोत थी जो कृषक के मेहनत का,
वो जीवन थी इस धरातल का,

आज भी वो है बहती,
पर कहीं ज़िन्दा कहीं मुर्दा है बहती,
और हमसे ये है कहती,
मैंने दिया तुमको जीवन और तुमनें मुझे बनाया एक चिता जलती,

हमारे लिए जिस गंगा नें जीवन का द्वार था खोला,
उस गंगा को पुनर्जीवित करनें का आज भी है पास हमारे मौका,
बस अब इसे हम प्रदूषित न करें,
और इसकी स्वच्छता में सबका साथ दें,

आज वो नदि भी यही है चाह रही,
एक नदि थी बह रही,
उछलती-मचलती,
धरती माँ की प्यारी,राज-दुलारी,

खेत-खलिहान को थी सींचती,
एक नदि थी बह रही 
#कविमनीष 





 #NojotoQuote #कविमनीष

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 ।।श्री हरिः।। 14 - कर्मण्येवाधिकारस्ते 'हमारा काम बहुत र्शीघ्र प्रगति करेगा।' बात यह है की कार्यारम्भ में ही आशा से अधिक सफलता मिली थी और इस सफलता ने श्री बद्रीप्रसादजी को उल्लसित कर दिया था। 'ग्राम-संगठन की ओर कोई ध्यान नहीं देता।' आज से एक सप्ताह पूर्व बद्रीप्रसादजी ने अपने एक मित्र के साथ मिलकर योजना बनायी। 'हम दोनों इस ओर लग जायें तो कार्य बहुत बड़ा नहीं है।'

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9

।।श्री हरिः।।
14 - कर्मण्येवाधिकारस्ते

'हमारा काम बहुत र्शीघ्र प्रगति करेगा।' बात यह है की कार्यारम्भ में ही आशा से अधिक सफलता मिली थी और इस सफलता ने श्री बद्रीप्रसादजी को उल्लसित कर दिया था।

'ग्राम-संगठन की ओर कोई ध्यान नहीं देता।' आज से एक सप्ताह पूर्व बद्रीप्रसादजी ने अपने एक मित्र के साथ मिलकर योजना बनायी। 'हम दोनों इस ओर लग जायें तो कार्य बहुत बड़ा नहीं है।'

Anil Siwach

श्री हरिः 14 - कर्मण्येवाधिकारस्ते 'हमारा काम बहुत र्शीघ्र प्रगति करेगा।' बात यह है की कार्यारम्भ में ही आशा से अधिक सफलता मिली थी और इस सफलता ने श्री बद्रीप्रसादजी को उल्लसित कर दिया था। 'ग्राम-संगठन की ओर कोई ध्यान नहीं देता।' आज से एक सप्ताह पूर्व बद्रीप्रसादजी ने अपने एक मित्र के साथ मिलकर योजना बनायी। 'हम दोनों इस ओर लग जायें तो कार्य बहुत बड़ा नहीं है।' 'पहिले एक ग्राम का संगठन हाथ में लेना होगा।' मित्र ने सलाह दी। #Books

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श्री हरिः
14 - कर्मण्येवाधिकारस्ते
'हमारा काम बहुत र्शीघ्र प्रगति करेगा।' बात यह है की कार्यारम्भ में ही आशा से अधिक सफलता मिली थी और इस सफलता ने श्री बद्रीप्रसादजी को उल्लसित कर दिया था।

'ग्राम-संगठन की ओर कोई ध्यान नहीं देता।' आज से एक सप्ताह पूर्व बद्रीप्रसादजी ने अपने एक मित्र के साथ मिलकर योजना बनायी। 'हम दोनों इस ओर लग जायें तो कार्य बहुत बड़ा नहीं है।'

'पहिले एक ग्राम का संगठन हाथ में लेना होगा।' मित्र ने सलाह दी।


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