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Shubham Bhardwaj
एहसास मोहब्बत का सिर चढ़कर बोलता है। पीते हैं निगाहों से और सारा जग डोलता है ।। ©Shubham Bhardwaj #ranveerdeepika #एहसास #मोहब्बत#का #सिर #चढ़ #करके #बोल #है
Shubham Bhardwaj
उम्र का जोश है यह ,सर चढ़कर बोलेगा। अब होश नही है बाकी, दिल पढ़कर लौटेगा।। ©Shubham Bhardwaj #ranveerdeepika #उम्र #का #जोश #ये #सर #चढ़ #करके #बोले
Mayaank Modi
हौले-हौले जिन्दगी पर, इक परत चढ़ रही है । किस्मत नये सिरे से, कोई कहानी गढ़ रही है । दोनों ही अंजान है, नये जमाने के दौर से । मैं उसको पढ़ रहा हूँ, वो मुझको पढ़ रही है ।। #परत #चढ़ #पढ़ #अंजान #yqhindi #yqbaba
Champak
याद तो होगा ही भुखमरी और गरीबी बढ़ रही और जनता धर्म कौम पर लड़ रही मंदी ऐसी छाई की मंहगाई चढ़ रही मीडिया अपने आका की बड़ाई गढ़ रही बेरोजगारी पर युवा रेत पर चढ़ाई चढ़ रही कितने लहूं से सींचा है बलिदानियों ने चमन को वक्त है सब मिल कर संभाल ले वतन के अमन को #समझा करें
Shailendra Singh Yadav
दो दिलों का मामला बेफिक्र इस कदर बढ़ गया। तेरे नजदीक आते ही बेशक इश्क का ज्वर चढ़ गया। कभी नहीं जुदा होंगे तेरे प्यार में पागल हैं घायल हैं। तेरा प्यार दिल की अमानत है तेरे प्यार का असर सिर चढ़ गया। शायरः-शैलेन्द्र सिंह यादव #NojotoQuote शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी दो दिलों का मामला है।
Manyu Manish
जुनून मेरी जान वो जो सर चढ़ कर बोले मंज़िल दुश्वार सही, टूटी पतवार सही बरस रहे हों ओले या लहरें उगले शोले तेग तलवार या चलें बंदूक बम के गोले कभी मायूस हो न डरे अंजाम से पल भर जिसका हौसला और फैसला कभी न डोले चुका सके हर कीमत, न हालात को तोले जुनून मेरी जान वो है जो सर चढ़ कर बोले -मन्यु #जुनून
Pankhuri Gupta
#OpenPoetry फितूर... इश्क़ का फितूर इस कदर चढ़ गया यारों... पहली मुलाक़ात में मुतासीर कर गया यारों... उसकी तिश्नगी सर चढ़ कर बोली हमारे... इबरत-ए-जिंदगी वो दे गया यारों... इश्क़ का फितूर इस कदर चढ़ गया यारों... उसका अपनाना एक रस्म मात्र रह गया यारों.. मोहब्बत का आबशार आखिर थमता कब तलक... बेधड़क हवाओं सा वो बह गया यारों... इश्क़ का फितूर इस कदर चढ़ गया यारों... शग़फ़-ए-हक़ीक़त कहीं खो गया यारों.. खौफ तो समर का रहा नहीं दिल को... कुछ इस तरह रब्त उनसे हो गया यारों... मुतासीर-प्रभावित तिश्नगी-जुनून इबरत- शिक्षा आबशार-झरना शग़फ़- दिलचस्पी समर-परीणाम रब्त-लगाव -pankhuri gupta #OpenPoetry by #pankhurigupta #ab_meri_kalam_se #मोहब्बत#love
Satyaveer Singh Gurjar
Safar सर ऊंचा कर दिया आपनें, हर्षित बेला आयी है। मोदी और शाह की बात, ये सबके मन को भाई है।। थी घायल वो स्वर्ग जमीं, हर कश्मीरी जख्मी था। घाटी जो फूलों वाली थी, उसका हर रास्ता बारूदी था।। आस्तीन के सांपों के, बच्चे पढ़ते थे लंदन में। आम नागरिक लगा दिए थे, पत्थरबाजी धंधे में।। राष्ट्रवादी सैनिक मेरे पीटते थे, चंद उच्चकों से। यह काम किये घाटी में, अलगावप्रेमी गुंडो ने।। थी उम्मीद हर भारतवासी को, कि कोई तो ऐसा आएगा। जो डरे बिना इन गुंडो की, छाती पर चढ़ चढ़ जाएगा।। आज किया है तुमने ऐसा कि, एक सलामी बनती है। सर ऊंचा कर दिया आपनें, हर्षित बेला आयी है। मोदी और शाह की बात, ये सबके मन को भाई है।। थी घायल वो स्वर्ग जमीं, हर कश्मीरी जख्मी था। घाटी जो फूलों वाली थी, उसका हर रास्ता बारूदी था।। आस्तीन के सांपों के, बच्चे पढ़ते थे लंदन में। आम नागरिक लगा दिए थे, पत्थरबाजी धंधे में।। राष्ट्रवादी सैनिक मेरे पीटते थे, चंद उच्चकों से। यह काम किये घाटी में, अलगावप्रेमी गुंडो ने।। थी उम्मीद हर भारतवासी को, कि कोई तो ऐसा आएगा। जो डरे बिना इन गुंडो की, छाती पर चढ़ चढ़ जाएगा।। आज किया है तुमने ऐसा कि, एक सलामी बनती है। मोदी और शाह की जोड़ी हर युग मे कहाँ मिलती है।। है हिम्मत तुममें मान गए, दो फाड़ कर दिए घाटी के। "वीर" यही कह रहा आज, तुम असली सपूत हो माटी के।। मोदी और शाह की जोड़ी हर युग मे कहाँ मिलती है।। है हिम्मत तुममें मान गए, दो फाड़ कर दिए घाटी के। "वीर" यही कह रहा आज, तुम असली सपूत हो माटी के।। कश्मीर पर सरकार को बधाई
कवि नितेश उपाध्याय "अतिशीघ्र"
वो चढ़ गयी या वो चढ़ गयी । नशा बराबर है कौन सी चढ़ गयी । शौक पीने का तो कभी कभी है। हर रोज़ ना जाने क्यों चढ़ गयी । नज़रें उसकी भी पैमाने से कम नही । छू कर देखे लव शायद तब चढ़ गयी । शराब,और शबाब इंतज़ाम दोनों का अलग था,, नहीं पता नशे में कौन सी चढ़ गयी। #"अतिशीघ्र" #अतिशीघ्र,#वो या वो,#शेयर करो मित्रो
Amit singh
आज न जाने क्यों दोस्ती की खुमारी चढ़ गई है लगता है कुछ पुरानी यादों की उधारी चढ़ गई है अमित सिंह