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अदनासा-

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Er.Shivampandit

Tr.Himanshu Kumawat

#Deshbhaktishayri #देशप्रेम Nation_first🇮🇳 #भारतवर्ष शहीदों_को_नमन💪🇮🇳

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Dharmendra Gopatwar

📖 भारतवर्ष....✍️
By Dharmendra Gopatwar

                     _देश मेरा वो नही जो दिख रहा
  मानचित्र आज कागज पर ।
आए मेहमान खाए पिए घर लूट चले गए l
            खींच दी लकीर भाईयो के बंटवारे कर चले गए।
अज्ञानी अंग्रेज ज्ञान पढ़ा कर चले गए ।
             अंग्रेजी पढ़ाकर सदियों के लिए परछाई अपना छोड़ गए ।

  विद्यालयो में पाश्चिमात्य शिक्षा पढ़कर
क्या कोई देशभक्त होगा ?
संस्कृत छोड़ क्या कोई विवेकानंद रामानुजन
कहलाएगा ?
उर्दू सीख क्या कोई कलाम फिर से हो पाएगा ?
अखंड भारतवर्ष का क्या कोई सौगंध खायेगा l
  देखे होंगे कभी भगत सिंग ने सपने लाहौर पे तिरंगा होगा 
अबूल कलम ने दिल्ली पर हिंदुस्तान के देखे होंगे क्वाब

DlGopatwar
काश  जिन्हा को देता अल्ला थोड़ा अक्ल , मेरे भारत के वीरों में आता उनका शक्ल 
                 काश मेरे राम आते गांधी के सपनो में 
         काश ये अनर्थ टला होता 
         मेरे भारतवर्ष के सीना आज रंगा ना होता ।
                 रेडक्लिप नाम था शायद खींचा लकीर उसने सपने में उसके जीसस ना आया 
            
                 कैसे सुकून से सोया होगा उस रात 
                 जब की मेरा देश रो रहा था 
                  आज भी वह लकीर रंग रहा लाल खून से 
            भाई _भाई को लड़वाने का शायद मन उसने बनाया था l
            मेरा परदादा बिना वीजा कराची गया होगा 
            आज वो नसीब नही मेरा , वो भारतवर्ष था सिमटकर भारत हो गया ।
      
            थोड़ा तो दर्द होता रेडक्लिप और जिन्ना को  देश को बांटते वक्त 
           काश सुभाष बाबू होते लकीर बनाते समय 
ढाका कलकत्ता से बातें कर रहा होता , नेपाली दिल्ली से दिल मिलाते l
लंका चेन्नई से जुड़ा होता
                आज़ाद हिंद की फौज आज होती अफगानिस्तान के सीमा पर l

DlGopatwar
                    कितने अच्छे दिखते सुभाष बाबू चंद्रशेखर भगतसिंह मेरे नोटो पर l
                  कितना दर्द लिए खड़ा है मानचित्र मेरे देश का सरकारी दफ्तरों विद्यालयों में 
                    याद दिलाता होगा किसका बचपन बीता होगा लाहौर कराची के गलियारों में 
                 
   आज भी द्वारका अयोध्या में होती है सुबह की अज़ान
क्या मैं आऊं लाहौर , शिवजी के मंदिर में बैठ कर प्रार्थना करने ?

                    क्या मेरे परदादा के कराची का दोस्त बाबूलाल का पोता  आज रहीम के नाम से जाना जाता है l
                    क्या आज भी सुनाई देता है मुझसे बने देश में राम नाम
 की आवाज और मंदिर की घंटी 

                    शायद न मानता रेडक्लिफ लकीर बनाने को काश ये अनर्थ न होता जिन्ना को अक्ल देता अल्हा 
                    गांधी नेहरू के सपने में आते राम
                    देश मेरा आज सोने की चिड़िया होता 
पटेल खींचता लकीर ।
तिरंगा मेरा सिंध और ब्रह्मपुत्रा तक लहराता
                    काश भारत मेरा आज भारतवर्ष कहलाता ..... l✍️

©Dharmendra Gopatwar #भारतवर्ष #patriotic

Jiyalal Meena ( Official )

Siddharth kushwaha

सर्द हवा और लहराते सरसों के खेत ,
अरे!  गरीबी में जाने कैसे पलते हैं पेट।

लूट गए हम कि दिन रात होंगे एक,
खुशबू एक है हमारा वतन है एक।

हमें मुकद्दस ना कर पाया गंगा का भी अभिषेक
नाम के रखवाले चेहरे के दिल में है भारी खोट।

आजाद नही हैं और ना ही अभी लब हैं एक,
सदियों से भारत दे विश्व को बुद्ध का शांति सन्देश।

©Siddharth kushwaha #world #बुद्ध_के_विचार #शांति #कानपुर #भारतवर्ष 
#BuddhaPurnima

Death_Lover

night quotes in hindi  हिन्दी हैं हम फिर ये अंग्रेजी की लहर क्यों है,
हमारे "हिन्द" में बस इसकी ही सैर क्यों है??

'हिन्दी हैं हम फिर यहाँ ये अंग्रेजी की लहर, आख़िर क्यों है??'

©Himanshu Tomar #हिन्दी #अंग्रेजी #हिन्द #भारत #भारतवर्ष #hindi_lover

Siddharth kushwaha

अखण्ड भारत का
पुनः निर्माण
हम सिर्फ धम्म मार्ग पर
चल कर ही कर सकते हैं।

©Siddharth kushwaha #अखण्ड_भारत #पुनःनिर्माण #धम्म #कानपुर #भारतवर्ष

Siddharth kushwaha

ये कौन मानवता कुचलता है,
सत्ता में रह रह कर।
आज क्यों मानव मर रहा है,
न्याय मंदिर की सीढ़ियों पर।

इनको दिखते हैं ऊंचे लोग ऊंची इमारतें,
दिखता नहीं कोई असहाय सड़क पर।
बेच दिया है ज़मीर अधिकारियों ने खुलकर,
बढ़ बढ़ कर जमीदारों की चौखटों पर।

©Siddharth kushwaha #प्रगतिवादी_कविता #कम्युनिस्ट #मानवता #सत्ता #जमीदार #भारत_दुर्दशा #कानपुर #भारतवर्ष

Gautam Pandey

#भारतवर्ष #kavita Ruchika Mishra Bishu Kumar Mandal Author Shakti Tiwari

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