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Ashiq Momin
उनकी आँखों में नदामत देखी नहीं हमने हर बात पर नादिम सिर्फ हम होते रहे 💐नमस्कार ..मैं GulnaaR Tanha Raatein परिवार में आपका हार्दिक स्वागत करती हूँ ..ऊपर दिये गये चित्र को अपने सुंदर शब्दों से सजाये। 💐अपने भाव 2 लाईनों में लिखें .. (2 लाइन्स couplet / मिसरा ऊर्दू शायरी) 💐 Font size छोटा रखें ताकी wall paper खराब न हो ।
💐नमस्कार ..मैं GulnaaR Tanha Raatein परिवार में आपका हार्दिक स्वागत करती हूँ ..ऊपर दिये गये चित्र को अपने सुंदर शब्दों से सजाये। 💐अपने भाव 2 लाईनों में लिखें .. (2 लाइन्स couplet / मिसरा ऊर्दू शायरी) 💐 Font size छोटा रखें ताकी wall paper खराब न हो । #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #YQBhaiJaan #नदामत #collabwithतन्हा_रातें #एक_गुलनार #ekgulnaar_lovequotes
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#नदामत के चराग़ाें से बदल जाती हैं #तक़दीरें अंधेरी #रात के आँसू #खुदा से बात करते हैं !❣️❣️ ©AK KHAN #rona
DINESH SHARMA
दर्द-ए-हिज़्र में ,उनको नदामत होना फिर लौट कर आना ,और कयामत होना ©दिनेश शर्मा 13.06.2019 17:00PM #नदामत
Himmat Singh
कैसी हो रही है मेरी ज़िंदगी में अपने आप ही आमद बार-बार करती रहती है खुद-ब-खुद ही मुझे नदामत। नदामत- पछतावा, हिम्मत सिंह writing #thinking# Ludhiana#pau# Gurdaspur #Punjabi poetry #Hindi poetry# Urdu poetry#💓💓💓💓###✍️✍️✍️✍️##🎶🎶🎶###💘💘💘💘###
sifar_e_sifar
4) आज तुमने बताया तो शब-ए-दर्द गुजरी मेरी। बे-असर जिंदगीभर कोनों में चिल्लाता रहा मैं।। #NojotoQuote 1) अब तलक तो अपने जख्मो को सहलाता रहा मैं। सूखी नदी हूँ आज, बरसों समंदर को पिलाता रहा मैं।। 2) होता नहीं नशा आजकल शराब-ओ-शबाब का मुझे। माह-ओ-साल इन्हें अपनी नदामत में मिलाता रहा मैं।।
1) अब तलक तो अपने जख्मो को सहलाता रहा मैं। सूखी नदी हूँ आज, बरसों समंदर को पिलाता रहा मैं।। 2) होता नहीं नशा आजकल शराब-ओ-शबाब का मुझे। माह-ओ-साल इन्हें अपनी नदामत में मिलाता रहा मैं।। #Life #Reality #ghazal #world #hindiwriters #Shayari #nojotohindi #urdu #sher #selfish
read moreSamadYusufzai
हम रोज़े क्यूँ रखते हैं? हम रोज़े क्यूँ रखते हैं ??? 7 साल के मासूम साहिल ने ये सवाल अपने अब्बा से पुछा। सामने बेठे डॉ.असलम साहब (जो की एक प्रसिद्ध डॉक्टर हैं) ने बड़े प्यार से जवाब दिया कि बेटा रोज़े इन्सान की नफ़्स पर काबू पाने का बहुत अच्छा जरिया हैं ये वो पोशीदा इबादत है जो मुआशरे (समाज) में अमीर ग़रीब के बीच की खायी को भरने का काम करती है।।।
हम रोज़े क्यूँ रखते हैं? हम रोज़े क्यूँ रखते हैं ??? 7 साल के मासूम साहिल ने ये सवाल अपने अब्बा से पुछा। सामने बेठे डॉ.असलम साहब (जो की एक प्रसिद्ध डॉक्टर हैं) ने बड़े प्यार से जवाब दिया कि बेटा रोज़े इन्सान की नफ़्स पर काबू पाने का बहुत अच्छा जरिया हैं ये वो पोशीदा इबादत है जो मुआशरे (समाज) में अमीर ग़रीब के बीच की खायी को भरने का काम करती है।।। #ShortStory #ramdhan
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