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अदनासा-
अदनासा-
साहितà¥à¤¯ ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️ यदि कुछ अपने लिए और कुछ समाज के लिए लिखूं, तो कुछ प्रशंसा, कुछ प्रेरणा अवश्य मिलेगी और संभव है कुछ आलोचना (वर्तमान में अपशब्द संभव है) भी, परंतु आवश्यक है स्वयं की अंतरात्मा कहे कि, सत्य लिखा है, साहित्य लिखा है, निष्पक्ष लिखा है, निडरता से लिखा है वह भी बिना किसी प्रलोभन के लिखा है, क्योंकि मैं समाज में विचारता मात्र एक साधारण व्यक्ति हूं, किसी अलौकिक शक्ति का मालिक नही। ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️ ©अदनासा- #हिंदी #साहित्य #लेखन #लेखक #कवि #साहित्यकार #पत्रकार #WForWriters #Instagram #अदनासा
Gurudeen Verma
शीर्षक- नकाबे चेहरा वाली, पेश जो थी हमको सूरत ------------------------------------------------------------------- नकाबे चेहरा वाली, पेश जो की थी हमको सूरत। हमको तो शक था पहले, नहीं है असली यह सूरत।। नकाबे चेहरा वाली ----------------------------------।। कैसे तुमने समझ लिया, हमको तुमसे कम विद्वान। हमने पढ़ाये है तेरे जैसे, चेहरे यहाँ कल को बहुत।। नकाबे चेहरा वाली ----------------------------------।। देखकर तेरी पेशगी, लगी तू हमको बहुत बेदर्द। नहीं तू प्यार के काबिल, नहीं तू प्यार की सूरत।। नकाबे चेहरा वाली ----------------------------------।। हमने तो सोचा नहीं था, होगी तू इतनी अहमी। नहीं तुझमें तहजीब, नहीं है तेरी हमको जरूरत।। नकाबे चेहरा वाली ----------------------------------।। तू ही करेगी हमारी गुलामी, मैं नहीं करता गुलामी। मुझमें नहीं है कोई कमी, बदल लें तू अपनी सूरत।। नकाबे चेहरा वाली ----------------------------------।। लूटना तू चाहती है हमको, अपने पर्दे की ओट से। बतायेंगे तेरी हकीकत तो, तब क्या होगी तेरी सूरत।। नकाबे चेहरा वाली ----------------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #साहित्यकार
Gurudeen Verma
शीर्षक - मेरे हमदर्द , मेरे हमराह, बने हो जब तुम मेरे ---------------------------------------------------------------- मेरे हमदर्द मेरे हमराह, बने हो जब तुम मेरे। रहोगे अब तो नजरों में, सदा बन ख्वाब तुम मेरे।। मेरे हमदर्द मेरे हमराह-------------------------।। बुरी नजरों से छुपाकर, रखूंगा तुमको हमेशा। रहोगे बनके जीवन में, सदा संगीत तुम मेरे।। मेरे हमदर्द मेरे हमराह---------------------।। --------------------------------------------------------------- (शेर )- मत रखना छुपाकर कभी, कोई राज़ तुम मुझसे। पी लूंगा अपने आँसू मैं, मत छुपाना दर्द तुम मुझसे।। ---------------------------------------------------------------- लाऊंगा मैं बहारें दोस्त, सदा खुश रखने को तुमको। रहोगे बनके सितारा, सदा संग दोस्त तुम मेरे।। मेरे हमदर्द मेरे हमराह------------------।। --------------------------------------------------------- (शेर )- रहना बनकर हमसाया मेरा, मेरे साथ साथ तुम चलना। करना नहीं कभी मुझको नाउम्मीद, बनकर हमदर्द तुम रहना।। ---------------------------------------------------------- बनाकर ताजमहल मैं, रखूंगा उसमें तुम्हें मुमताज़। रहोगे बनके सिर का ताज, सदा संग में तुम मेरे।। मेरे हमदर्द मेरे हमराह-------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी. आज़ाद तहसील एवं जिला - बारां(राजस्थान ) ©Gurudeen Verma #साहित्यकार
Gurudeen Verma
शीर्षक - अमीरों की गलियों में ----------------------------------------------------------- क्योंकि रहा हूँ मैं उनके मकानों में, रोशनी से नहाते हुए झरोखों में, बैठा हूँ हमेशा उनकी महफ़िलों में, और उनके साथ बैठकर, कभी उड़ाई है दावत भी ll हाँ, हमेशा मेरी आदत रही है, दिखाना खुद को इज्जतदार, खाते पीते घर का चिराग, और मुझको पसंद नहीं रहा कभी, मलिन और टूटे - फूटे घरों में रहना, अनपढ़ और मुफलिसों से दोस्ती करना ll इसलिए रहा हूँ मैं हमेशा ही, शूट- बूट पहनकर, और देखा है उनको नजदीक से, उनके घर में रहते हुए भी, उनके दरवाज़े पर लगा हुआ ताला, और उनकी स्त्रियों को ताले में बंद ll अय्याशी और दो नंबर के उनके काम, इंसानों से ज्यादा कुत्तों को महत्व देकर, उनके द्वारा कुत्तों को दूध पिलाते हुए, कुत्तों को अपने सीने से लगाते हुए, उनके द्वारा उनकी सुरक्षा के लिए, ताकि गुजर नहीं सके कोई अजनबी, उन अमीरों की गलियों से कभी भी ll शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी. आज़ाद तहसील एवं जिला - बारां (राजस्थान ) ©Gurudeen Verma #साहित्यकार
Gurudeen Verma
शीर्षक - और क्या कहूँ तुमसे मैं ----------------------------------------------------- इच्छा मेरी होती तो है, और बढ़ाता हूँ कदम भी, तुमसे मिलने के लिए कभी मैं, तुमसे खून का रिश्ता जो है, मेरे परिवार का अंग जो है तू , मगर उतार देता हूँ हमेशा मैं, अपने पहने हुए जूते और कपड़े, और आ नहीं पाता मैं तुमसे मिलने Il मैं नहीं पहुंचाना चाहता अब, कष्ट तुमको और मुझको भी, मैं नहीं करना चाहता अब कम, तुम्हारी और मेरी ख़ुशी को, झुकाना नहीं चाहता अब मैं, सम्मान और सिर तुम्हारा, बदलना नहीं चाहता अब मैं, तुमको और मुझको भी ll आखिर तुमसे ही तो सीखा है मैंने, क़ायम रहना अपने इरादे और वादें पर, तुमने ही तो बनाया है मुझको ऐसा, मुबारक हो तुमको हर ख़ुशी, मिले तुमको सदा कामयाबी, और जहां में रोशन हो तुम, यही कहता है मेरा अंतर्मन, और क्या कहूँ तुमसे मैं ll शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी. आज़ाद तहसील एवं जिला - बारां (राजस्थान ) ©Gurudeen Verma #साहित्यकार
Author kunal
एक साहित्यकार के प्रेम में द्वेष, इर्ष्या ,नफरत और अपवित्र नियत नहीं होता वो अतिसंवेदनशील विलक्षण भावों से परिपूर्ण पवित्र होता है क्योंकि कवित्व असंख्य वेदनाएं के बाद ही जागृत होता है अर्थात एक साहित्यकार का प्रेम उसके काव्य के अनुरूप निरंतर सांस लेता है वो युगों युगों तक पन्नों में जीवित रहता है और जब जब कोई उसे पवित्र लफ्जों से पढ़े तो रजनीगंधा सा वो अद्वितीय महक उठता है । साहित्यकार का प्रेम निश्छल और स्वार्थहीन होता है । उसके प्रेम को कभी भी कमज़ोर और छल के नज़रिए से ना देखें मन की आंखों से देखने पे वो खूबसूरत और अमर दिखता है। #पागल_प्रेमी #साहित्यकार #कुणाल #मेरे_जज्बात008 #yqdidi #yqbaba #kunu Love you my beautiful writer 😜😘😘😘😘😘
Ek villain
बटको जी बड़े साहित्यकार है क्रिकेट के बहुत शौकीन तो नहीं लेकिन दो-चार मिनट के लिए आईपीएल देख लेते हैं उस दिन भी आईपीएल का मैच चल रहा था जब हमारी मुरारी जी के यहां पधारे थे वह अक्सर छोटे भैया साहित्यकारों के डेरे में अपना मन रहा करने की लालसा में आते जाते रहते हैं इसलिए आज मुरारी जी हां आए थे एक एंड को देखकर ठेके की और मुरारी जींद से बोले उन्हें की चुल बाजी में कह कर लेता हूं तुम जाओ और साहित्यकारों की dream11 बनाओ यहां साहित्यकारों की रैंकिंग लिस्ट भी ले आ जाओ ठीक है कहकर मुराद जी दूसरे कमरे में चलेगा दो-तीन घंटे की मशक्कत मुरारी जी ने इनकी आंखें इसमें क्या कर रहे हैं सरकार के कारण मिला था तो जुगाड़ से मिले उसको नाम के साथ आपको मिलने सम्मान की ही चर्चा होती है इसकी अपनी किसी की सिफारिश पर अपना नाम बढ़ावा देने के बाद तुम्हारी का नाम भी कुछ लिखा ही ©Ek villain #साहित्यकार की dream11 #Life
कवि मनोज कुमार मंजू
कलम चलाना इतना भी आसान नहीं होता साहब...! हर चरित्र में डूबना पड़ता है...!! ©कवि मनोज कुमार मंजू #लेखक #लेखनी #साहित्य #साहित्यकार #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू
Anjani Upadhyay
गीतकार मोती बीए पर आनेवाली मेरी पुस्तक ©Anjani Upadhyay कवि मोती बीए पर आनेवाली पुस्तक नि:शुल्क। #कवि #गीतकार #साहित्यकार