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heart talk

अकेले हम रोए ।
किसी से चूप ना होए ।।

ऐसा भी कया गुनाह किया ।
वो हमारे हि ना होए ।।

सूरज भी चल दिया रात को 
बस तारे ही ना सोए ।।

©heart talk #तारे #पंछी #शत #कछनी #हँसते #बाकी #माँ 

#Darknight

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 22 - नाम बताओ 'अरे, कौन है? छोड़ भी।' आज तनिक भद्र सखाओं से हटकर तमाल तरु के मूल में आ बैठा था। तमाल की ओट से आकर कन्हाई ने पीछे से उसके दोनों नेत्र अपने करों से बन्द कर लिये भद्र चौंका नहीं; किन्तु उसने अपने दोनों करों से नेत्र बन्द करने वाले के कर कलाइयों से कुछ ऊपर पकड़ लिये। अब यह स्पर्श भी क्या पहिचानने की अपेक्षा करता है? रुनझुन नूपुर भी बजे थे। बहुत सावधानी से आने पर भी कटि की मणिमेखला में कुछ क्वणन हुआ ही था और नन्दनन्दन के श्री अंग से जो उसकी वनमाला में लगी तुलसी का स

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|| श्री हरि: ||
22 - नाम बताओ 

'अरे, कौन है? छोड़ भी।' आज तनिक भद्र सखाओं से हटकर तमाल तरु के मूल में आ बैठा था। तमाल की ओट से आकर कन्हाई ने पीछे से उसके दोनों नेत्र अपने करों से बन्द कर लिये भद्र चौंका नहीं; किन्तु उसने अपने दोनों करों से नेत्र बन्द करने वाले के कर कलाइयों से कुछ ऊपर पकड़ लिये।

अब यह स्पर्श भी क्या पहिचानने की अपेक्षा करता है? रुनझुन नूपुर भी बजे थे। बहुत सावधानी से आने पर भी कटि की मणिमेखला में कुछ क्वणन हुआ ही था और नन्दनन्दन के श्री अंग से जो उसकी वनमाला में लगी तुलसी का स

Anil Siwach

।।श्री हरी।। 13 - स्नान 'दादा! स्नान करेगा तू?' कन्हाई अग्रज के समीप दौड़ा-दौड़ा आया और वाम पार्श्व में खड़े होकर दोनों भुजाएँ भाई के कण्ठ में डालकर कन्धे पर सिर रखकर बड़े स्नेहपूर्वक पूछ रहा है। 'स्नान?' दाऊ ने तनिक सिर घुमाया। वे इस पूछने का अर्थ जानते हैं। श्यामसुंदर स्नान करना चाहता है। शैशव से यह जल पाते ही उसमें लोट-पोट होने में आनन्द मनाता रहा है।स्नान योग्य जल हो तो स्नान करने को इसका मन मचल पड़ता है। लेकिन मैया ने बार-बार मना किया है कहीं यमुना अथवा सरोवर में स्नान करने को। सखाओं को म #Books

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।।श्री हरी।।
13 - स्नान

'दादा! स्नान करेगा तू?' कन्हाई अग्रज के समीप दौड़ा-दौड़ा आया और वाम पार्श्व में खड़े होकर दोनों भुजाएँ भाई के कण्ठ में डालकर कन्धे पर सिर रखकर बड़े स्नेहपूर्वक पूछ रहा है।

'स्नान?' दाऊ ने तनिक सिर घुमाया। वे इस पूछने का अर्थ जानते हैं। श्यामसुंदर स्नान करना चाहता है। शैशव से यह जल पाते ही उसमें लोट-पोट होने में आनन्द मनाता रहा है।स्नान योग्य जल हो तो स्नान करने को इसका मन मचल पड़ता है। लेकिन मैया ने बार-बार मना किया है कहीं यमुना अथवा सरोवर में स्नान करने को। सखाओं को म

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 10 - गाय ब्यायी 'मेरी पुनीता बच्चा देने वाली है।' तोक ने कहा। 'तुझे कैसे पता लगा?' कन्हाई ने तोक की ओर आश्चर्यपूर्वक देखा। तोक तो उससे छोटा है - सब सखाओं में छोटा है, इसे पता लग गया और श्याम को पता नहीं लगता। 'मैया कह रही थी।' तोक ने बतलाया - इसी से तो पुनीता को बाबा चरने नहीं जाने देते हैं।' #Books

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|| श्री हरि: || 
10 - गाय ब्यायी

'मेरी पुनीता बच्चा देने वाली है।' तोक ने कहा।

'तुझे कैसे पता लगा?' कन्हाई ने तोक की ओर आश्चर्यपूर्वक देखा। तोक तो उससे छोटा है - सब सखाओं में छोटा है, इसे पता लग गया और श्याम को पता नहीं लगता।

'मैया कह रही थी।' तोक ने बतलाया - इसी से तो पुनीता को बाबा चरने नहीं जाने देते हैं।'

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 8 - निर्माता 'कनूँ ! क्या कर रहा है तू?' भद्र ने पूछा समीप आकर। उसे कुछ आहट लगी थी गोष्ठ में और यह देखने आ गया था कि यहाँ कौन क्या कर रहा है। गायें, वृषभ, बछड़े-बछडियाँ सब अभी-अभी चरने को गयी हैं। कोई सेवक या सेविका अभी गोष्ठ स्वच्छ करने आयी नहीं है। केवल सद्य:प्रसूता गाये हैं अपने बच्चों के साथ और वे गोष्ठ के एक भाग में हैं। गोमय, गोमूत्र, गायों के खा लेने से बची घास जो उनके खुरों से कुचली है, पूरे गोष्ठ में फैली है। गोष्ठ इस समय अस्वच्छ है। ऐसे समय गोष्ठ में कन्हाई चुपचाप घु #Books

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|| श्री हरि: || 
8 - निर्माता

'कनूँ ! क्या कर रहा है तू?' भद्र ने पूछा समीप आकर। उसे कुछ आहट लगी थी गोष्ठ में और यह देखने आ गया था कि यहाँ कौन क्या कर रहा है।

गायें, वृषभ, बछड़े-बछडियाँ सब अभी-अभी चरने को गयी हैं। कोई सेवक या सेविका अभी गोष्ठ स्वच्छ करने आयी नहीं है। केवल सद्य:प्रसूता गाये हैं अपने बच्चों के साथ और वे गोष्ठ के एक भाग में हैं। गोमय, गोमूत्र, गायों के खा लेने से बची घास जो उनके खुरों से कुचली है, पूरे गोष्ठ में फैली है। गोष्ठ इस समय अस्वच्छ है।

ऐसे समय गोष्ठ में कन्हाई चुपचाप घु

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 5 - भोला 'कनूँ ! खूब मधुर, बहुत स्वादिष्ट पायस है।' भद्र अपने सम्मुख केशर पड़ा सुरभित पायस से परिपूर्ण पात्र लिये बैठा है। 'तू खायेगा?' 'खाऊँगा!' कोई स्नेह से बुलावे तो व्रजराजकुमार भोग लगाने न आ बैठे ऐसा नहीं हो सकता। अब श्यामसुन्दर भद्रके समीप आकर बैठ गया है। श्याम और भद्र दोनों बालक हैं। दोनों लगभग समान वय के हैं। इन्दीवर सुन्दर कन्हाई और गोधुम गौर भद्रसैन। दोनों की कटि में पीली कछनी है, किन्तु कृष्ण के कन्धे पर पीताम्बर पटुका है, भद्र का पटुका नीला है। दोनों के पैरों में #Books

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|| श्री हरि: || 
5 - भोला

'कनूँ ! खूब मधुर, बहुत स्वादिष्ट पायस है।' भद्र अपने सम्मुख केशर पड़ा सुरभित पायस से परिपूर्ण पात्र लिये बैठा है। 'तू खायेगा?'

'खाऊँगा!' कोई स्नेह से बुलावे तो व्रजराजकुमार भोग लगाने न आ बैठे ऐसा नहीं हो सकता। अब श्यामसुन्दर भद्रके समीप आकर बैठ गया है।

श्याम और भद्र दोनों बालक हैं। दोनों लगभग समान वय के हैं। इन्दीवर सुन्दर कन्हाई और गोधुम गौर भद्रसैन। दोनों की कटि में पीली कछनी है, किन्तु कृष्ण के कन्धे पर पीताम्बर पटुका है, भद्र का पटुका नीला है। दोनों के पैरों में

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 1 - तन्मय यह कन्हाई अद्भुत है, जहाँ लगेगा, जिससे लगेगा, उसी में तन्मय हो जायगा और उसे अपने में तन्मय कर लेगा । श्रुति कहती है- 'रूपं-रूपं है प्रतिरूपो बभूव।' #Books

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।।श्री हरिः।।
1 - तन्मय
यह कन्हाई अद्भुत है, जहाँ लगेगा, जिससे लगेगा, उसी में तन्मय हो जायगा और उसे अपने में तन्मय कर लेगा । 

श्रुति कहती है-

'रूपं-रूपं है प्रतिरूपो बभूव।'

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 66 - अपनी धुन में 'कनूं! कहां जा रहा है तू?' यह श्याम बहुत चपल है। इसे यदि दाऊ सम्हालता न रहे तो पता नहीं क्या कब करे यह। अब स्नान करके भीगे वस्त्रों ही वन में भागा जा रहा है। ऐसी क्या शीघ्रता है? गायें तो सब यहीं हैं और सखा भी यहीं हैं। कोई विचित्र घटना या अद्भुत वस्तुओं की क्या कमी है। इसने कोई पक्षी, कोई पशु, कोई पुष्प देख लिया और दोड़ पड़ा। 'लौट आ। पहले वस्त्र पहिन ले।' दाऊ पुकार रहा है। वह न पुकारे तो उसका छोटा भाई कितनी देर में लौटेगा, इसका कुछ ठीक ठिकाना नहीं। 'दादा, मैं #Books

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|| श्री हरि: ||
66 - अपनी धुन में

'कनूं! कहां जा रहा है तू?' यह श्याम बहुत चपल है। इसे यदि दाऊ सम्हालता न रहे तो पता नहीं क्या कब करे यह। अब स्नान करके भीगे वस्त्रों ही वन में भागा जा रहा है। ऐसी क्या शीघ्रता है? गायें तो सब यहीं हैं और सखा भी यहीं हैं। कोई विचित्र घटना या अद्भुत वस्तुओं की क्या कमी है। इसने कोई पक्षी, कोई पशु, कोई पुष्प देख लिया और दोड़ पड़ा।

'लौट आ। पहले वस्त्र पहिन ले।' दाऊ पुकार रहा है। वह न पुकारे तो उसका छोटा भाई कितनी देर में लौटेगा, इसका कुछ ठीक ठिकाना नहीं।

'दादा, मैं

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 61 - मल्ल युद्ध 'दादा, मैं तुझसे लडूंगा।' श्याम के लिए यह नयी बात नहीं है। श्रीदाम, भद्र, सुबल आदि उसे प्रायः पटकनी दे देते हैं। सखाओं से द्वन्द्व करके तो हारने में और हारकर भी अपने को विजयी तथा जयी को पराजित बताकर चिढ़ाने में आनंद है। द्वन्द्व में जीतता तो कन्हाई दाऊ से ही है। वैसे वह भी समझता है कि तोक को जैसे सब जयी बना देते हैं, वैसी ही जय उसकी भी है। 'अच्छा आ।' दाऊ जानता है कि उसके इस सुकुमार छोटे भाई को दूसरे मल्ल क्रीड़ा में बहुत थका देते हैं। पटुके उतारकर दोनों ने एकत् #Books

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|| श्री हरि: ||
61 - मल्ल युद्ध

'दादा, मैं तुझसे लडूंगा।' श्याम के लिए यह नयी बात नहीं है। श्रीदाम, भद्र, सुबल आदि उसे प्रायः पटकनी दे देते हैं। सखाओं से द्वन्द्व करके तो हारने में और हारकर भी अपने को विजयी तथा जयी को पराजित बताकर चिढ़ाने में आनंद है। द्वन्द्व में जीतता तो कन्हाई दाऊ से ही है। वैसे वह भी समझता है कि तोक को जैसे सब जयी बना देते हैं, वैसी ही जय उसकी भी है।

'अच्छा आ।' दाऊ जानता है कि उसके इस सुकुमार छोटे भाई को दूसरे मल्ल क्रीड़ा में बहुत थका देते हैं।

पटुके उतारकर दोनों ने एकत्

Anil Siwach

48 - वस्त्र धारण || श्री हरि: || #Books

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48 - वस्त्र धारण 
 || श्री हरि: ||
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