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@thewriterVDS
"कबीर" नहीं शीतल है चंद्रमा, हिम नहीं शीतल होय । कबीर शीतल संत जन, नाम सनेही होय । भावार्थ: कबीर दास जी कहते हैं कि चन्द्रमा भी उतना शीतल नहीं है और हिमबर्फ भी उतना शीतल नहीं होती जितना शीतल सज्जन पुरुष हैं। सज्जन पुरुष मन से शीतल और सभी से स्नेह करने वाले होते हैं। . ©@thewriterVDS #कबीर #नही #शीतल #चंद्रमा #हिम #संत #जन #नाम #sadak
Gudiya Gupta (kavyatri).....
नभ समाहित विशाल स्वरूप हिम दिखता किसके अनुरूप पिघल कर बने नदी की काया एक ही धरातल छाया धूप। ©Gudiya Gupta (kavyatri)..... #हिम #Winters
Sachin Ratnaparkhe
हुआ जब उससे मिलन तो जीवन सदा के लिए सरल हो गया, जैसे कोई हिम क्षणिक तपन से सदा के लिए तरल हो गया। इन दो पंक्तियों में मेंने #शुद्ध_हिंदी का प्रयोग का करने का प्रयास किया है जिसमें सभी शब्द पूर्णतः हिंदी के है। #मिलन #सरल #हिम = बर्फ़ #क्षणिक #तपन #तरल #yqhindiwriters
fouji "Hindustani"
#हस्ती तक मिटा दें दुश्मन की हम फौजी #फौलादी जिगर रखते हैं #हवाएँ बदल लेती हैं रूख़ अपना तुफान कदमों में #सलाम रखते हैं । #हिम का तुंग या सागर की थाह हो जहाँ भी जाएँ अपना #असर रखते हैं । दुश्मन माँगता है भीख #हयात की #धङ पर हम जब तक सर रखते हैं । #जय_हिंद_देशभक्तो🇮🇳❤ sarkaar...✍ #Hum_bhartiya_hain .. #Indian_force🙌
fouji "Hindustani"
#हस्ती तक मिटा दें दुश्मन की हम फौजी #फौलादी जिगर रखते हैं #हवाएँ बदल लेती हैं रूख़ अपना तुफान कदमों में #सलाम रखते हैं । #हिम का तुंग या सागर की थाह हो जहाँ भी जाएँ अपना #असर रखते हैं । दुश्मन माँगता है भीख #हयात की #धङ पर हम जब तक सर रखते हैं । #जय_हिंद_देशभक्तो🇮🇳❤ jai hind 🇮🇳 #jai_hind
Himanshu Mangla Verma
मैं वो सपना था जो भ्रम में भी तेरे साथ रहा, मैं वो साया था जो तम में भी तेरे साथ रहा । सब अतिशय में ही तो रहते थे तेरे साथ मगर, मैं वो हासिल था जो कम में भी तेरे साथ रहा। #सपना #साया #तम #अतिशय #मुक्तक #हिम Nojoto News
Anil Siwach
Shubhendra Jaiswal
क्यों विकल हृदय निज भावों से क्या अनल विजित हिम सारों से क्यों भाव अटल विसर्जित क्रम क्या सकल सिध्द कटु वारों से। अभिनय का मापदण्ड बदला अवतरित हुआ निज जीवन में अनुबंध की डोर गाँठ भरी क्या सबल बंध सुकुमारों से। अनीति की नीति सुनीति बनी परिणीति सब रीत कुभाव भरी प्रीत अतीत के भँवर फंसी संबंधों के मनुहारों से। नित कुमुलित उपवन होता है द्रुतगति से सौरभ खोता है तृण तरुवर सूखे हैं जाते हिम पिघला कटे चिनारों से। ©Sj...✍ #शुभाक्षरी
Anil Siwach
Shubhendra Jaiswal
क्यों विकल हृदय निज भावों से क्या अनल विजित हिम सारों से क्यों भाव अटल विसर्जित क्रम क्या सकल सिध्द कटु वारों से। अभिनय का मापदण्ड बदला अवतरित हुआ निज जीवन में अनुबंध की डोर गाँठ भरी क्या सबल बंध सुकुमारों से। अनीति की नीति सुनीति बनी परिणीति सब रीत कुभाव भरी प्रीत अतीत के भँवर फंसी संबंधों के व्यापारों से। नित कुमुलित उपवन होता है द्रुतगति से सौरभ खोता है तृण तरुवर सूखे हैं जाते हिम पिघला कटे चिनारों से। ©Sj...✍ #शुभाक्षरी