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गुस्ताख़शब्द

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Anand Prakash Nautiyal tnautiyal

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Manish Sarita(माँ )Kumar

अंधेरे अपने ही अक्ष के.... #अक्ष #अंधेरे #तम #शायरी #दूर #धागे #quoets #अस्तर

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Anand Prakash Nautiyal tnautiyal

#MessageOfTheDay छोड तम की राह,थामें बांह चल उम्मीद की गलियां तलाशें,
जो मंजिल खो चले हैं भूल की उन नगीनों को तराशें,

जगायें नींद से गुमराह की, सुने आवाज उनकी बेबसी की आह की।
चलो आशा की आभा से जरा उनको मिला दें,
थोडा संतोष का ये नीर उनको भी पिला दें,
गमों के ढेर ढोये हैं जिन्होंने, 
रतिभर ही सही, चल खुशी उनको दिला दें।

©Anand Prakash Nautiyal #गुमराह#तम#खुशी#संतोष

#Messageoftheday

Prakhar Dubey

मेरा सहसा तारो को निहारना,

रात के अंधेरे से आकस्मिक मैत्री करना,

यह सब अनन्य अच्युत दर्पण है,

मेरे मन के उस मूक कोने का,

जो अब आहत हो चुका है रोशनी की आभा से,

उजाले की खोखली परिभाषा से,


जो अब छलनी मन को पुनः भरना चाहता है,

परंतु रोशनी से नहीं, परस्पर व्याप्त अंधेरे से,

क्यों ..... ,

 जैसे रोशनी स्थायी स्वरूप नही है,

 यह मन अंतिम शिखर नही है,

 संभवतः मेरे मन ने अब रेखांकित कर लिया है 

 स्थिर का प्रतिरूप,

 जो सर्वथा व्याप्त है अंधेरे के गुण में । #अंधेरा #तम
#हिन्दीकविता 
#नोजोतोहिन्दी 
#नोजोटो 
#हिन्दी 
#peace

Laxmi Gaur Thapliyal

      

जीवन हो दुष्कर,तम गहन हो, हारना मत
जिंदगी है चार दिन की, कभी मारना मत
उठ चलो बढ, तार भव नैया लगा दो
हो विपद कितनी ही बडी,हिय धारना मत।
  लक्ष्मी
      #Nature
#तम(अंधेरा) #गहन  #जिंदगी  #तार #भव #नैया #विपदा #हिय

S Ram Verma (इश्क)

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Himanshu Mangla Verma

मैं वो सपना था जो भ्रम में भी तेरे साथ रहा,
मैं वो साया था जो तम में भी तेरे साथ रहा ।
सब अतिशय में ही तो रहते थे तेरे साथ मगर,
मैं वो हासिल था जो कम में भी तेरे साथ रहा। #सपना #साया #तम #अतिशय #मुक्तक #हिम Nojoto News

रजनीश "स्वच्छंद"

कटु-वाणी।। किस कर दीप बुझाऊँ बोलो, जो सुबह रही रौशन ही नहीं। एक फूंक मार दूँ भी मैं कैसे, जो दुबक रहा यौवन ही कहीं। अज़ान श्लोक वाणी है महज़, #Poetry #kavita #nojotophoto

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 कटु-वाणी।।

किस कर दीप बुझाऊँ बोलो,
जो सुबह रही रौशन ही नहीं।
एक फूंक मार दूँ भी मैं कैसे,
जो दुबक रहा यौवन ही कहीं।

अज़ान श्लोक वाणी है महज़,

Anekant Jain Aditya

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तू रौशनी लेकर आता है किसी डगर के लिये या फिर सजर के लिए
तम जुदा होकर कहा रहता है कुछ पहर के लिए 
झूठी राते आतंक मनाती है सबमे
तू क्यों डूब जाता है किसी खबर के लिए 
अब तो रातो में जुगनू चाँद सितारे सब है बेअसर
तू ही है तम को असर के लिए
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