कुछ हसरतों की, अगर होगी बात तेरी व मेरी ख़्वाहिशों की, तेरे लिए दुआ में हाथ उठायेंगे तुझसे हम ख़ुद ही हार जायेंगे। ज़िस्म से रूह तलक, हमसफ़र तुम्हारे ही लफ़्ज़ों में ढल जायेंगे, ना रूठेंगे ना तो शिक़वा ही करेंगे