कहने को तो ज़िंदा हैं अल्फ़ाज मेरे इतना दर्द ना दे खुदा किसी को दुखते हैं ज़ज्बात मेरे आज़ाद तो है वो पर उसकी हर सांस डरी डरी सी है ज़िंदा तो हूँ मैं पर मेरी हर सांस मरी मरी सी है तेरी जुदाई