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दिए उम्मीद के जितने जलाए ज़माने की हवाओं ने

दिए  उम्मीद  के  जितने  जलाए
ज़माने  की  हवाओं  ने  बुझाए

मैं ग़म को ज़्बत करना जानती हूं
कोई मुझको रुलाकर तो दिखाए

अभी  तो  ठोकरें  ही  ठोकरें  है
ना  जाने  जिंदगी कब रास आए 

मैं  ख़ुद  से  बात  करना चाहती हूं
कोई  मुझको  कहीं  से  ढूंढ लाए

वो अपनों को तरस जायेगा एक दिन
अगर  हो  जाएं  सब  अपने  पराए
muskan Sharma

©मुस्कान शर्मा
  #Lumi ek chirag andheron ka

#Lumi ek chirag andheron ka #शायरी

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