2122 1122 1122 22/112 डूबते को मिला हो जैसे किनारा फिर से याद आया मुझे वो शख़्स दुबारा फिर से सारे जुगनू ही चले आये हैं महफ़िल में मिरी चांदनी रात में टूटा कोई तारा फिर से मुझसे हिज्रां की ये रातें नहीं कटती हमदम साल इक और बिना तेरे गुज़ारा फिर से क्यों किसी पे ही बिना बात के दिल आता है इश्क़ में हो गया दिल मेरा अवारा फिर से सब अचानक से मिरे पे हो रहें हैं फिदा क्यों मैंने आईने में ख़ुद को ही निहारा फिर से लौट कर आया "सफ़र" से मैं तो तेरी ख़ातिर ख़तरा हो जब कभी तू देना इशारा फिर से ग़ज़ल 25/2022 #सफ़र_ए_प्रेरित #gazal #yqbaba #yqdidi #shayari #love #philosophy ᕼα𝐲Ã卂t uSM𝓐Ⓝ ashish malik Pratibha Sharma