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Anita Saini
नज़्मों ग़ज़लों में क़ैद ना करो मुझे, तुम आज़ाद रहने दो इत्र सा फ़िज़ाओं में घुलूँ, मेरा हवाओं सा अंदाज़ रहने दो ग़ज़लों में अपनी क़ैद करलूँ तुझे नज़्मों ग़ज़लों में क़ैद ना करो मुझे, तुम आज़ाद रहने दो इत्र सा फ़िज़ाओं में घुलूँ, मेरा हवाओं सा अंदाज़ रहने दो #shayari #love #romance #gazal #सफ़र_ए_प्रेरित #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with Prerit Modi
Prerit Modi सफ़र
2122 2122 212 लिक्खा तूने जो तराना याद है बज़्म में तेरा छा जाना याद है भीगी जुल्फें और बारिश का सितम जुल्फों का तेरा सुखाना याद है शर्म सारी ताक पे रख कर सनम तेरा यूँ नज़रें मिलाना याद है ग़म मसर्रत धूप छाओं का है खेल मुझको तेरा हर फ़साना याद है ज़िन्दगी से वस्ल का था इंतिज़ार मौत का मुझको सताना याद है डाक चिट्ठी दूरियों का इश्क़ वो क्या "सफ़र" गुज़रा ज़माना याद है #सफ़र_ए_प्रेरित #yqbaba #yqdidi #shayari #lovequotes #shayari #romance ᕼα𝐲Ã卂t uSM𝓐Ⓝ ashish malik
Prerit Modi सफ़र
2122 1212 22/112 ज़िन्दगी किस तरफ़ ले आई है छाई चारों तरफ़ उदासी है चाँद को छत से देख कर मैंने रात सारी यूँ ही गुज़ारी है तीरगी और सर्द रातें ये हौसलो की श'मा जलानी है दर्द से मैं कराहता हूँ सदा ज़ीस्त में चोट ऐसी खाई है राज़ अपने सभी बता डाले अब बताने की तेरी बारी है उम्र भर वो मुझे पिलाता रहा आज साक़ी को मय पिलानी है तुम "सफ़र" रास्ता न देखो मिरा मेरी महबूबा लौट आई है #सफ़र_ए_प्रेरित #yqbaba #yqdidi #shayari #love #philosophy ashish malik
Prerit Modi सफ़र
2122 1122 1122 22/112 जाने मुझको ये हुआ क्या नहीं याद आता अब चेहरा भी मुझे तेरा नहीं याद आता अब अपने घर का पता मैं भूला हूँ अब फिर से अपना है कौन पराया नहीं याद आता अब थे दिवाने मेरी ग़ज़लों के तो पहले बहुत इल्म ग़ज़लों का भी कहना नहीं याद आता अब शम्स भी हो गया था मेरा दिवाना इक दिन कौन सा था वो सवेरा नहीं याद आता अब वस्ल मंज़िल से हुई मेरी जाने कैसे रास्ता मुझको "सफ़र" का नहीं याद आता अब #सफ़र_ए_प्रेरित #yqbaba #yqdidi #shayari #gazal #love #philosophy ashish malik
Prerit Modi सफ़र
122 122 122 12 मुझे उम्र लंबी नहीं चाहिए क़ज़ा भी तो जल्दी नहीं चाहिए हैं ख़्वाहिश बहुत सारी मेरी ख़ुदा मुझे तेरी मर्ज़ी नहीं चाहिए कमाना है महनत से पैसा बहुत ज़रा सी भी हानी नहीं चाहिए चुरा ले गए तिफ़्ल का बचपना उन्हें ज़ीस्त ऐसी नहीं चाहिए मुझे मासुमों को बचाना है अब ज़रा भी दलाली नहीं चाहिए मुहब्बत "सफ़र" तेरे बस की नहीं तिरे सा ख़्याली नहीं चाहिए ग़ज़ल 26/2022 #सफ़र_ए_प्रेरित #शेर #शायरी #yqbaba #yqdidi #philosophy #midnightthoughts #gazal ashish malik ᕼα𝐲Ã卂t uSM𝓐Ⓝ
Prerit Modi सफ़र
2122 1122 1122 22/112 डूबते को मिला हो जैसे किनारा फिर से याद आया मुझे वो शख़्स दुबारा फिर से सारे जुगनू ही चले आये हैं महफ़िल में मिरी चांदनी रात में टूटा कोई तारा फिर से मुझसे हिज्रां की ये रातें नहीं कटती हमदम साल इक और बिना तेरे गुज़ारा फिर से क्यों किसी पे ही बिना बात के दिल आता है इश्क़ में हो गया दिल मेरा अवारा फिर से सब अचानक से मिरे पे हो रहें हैं फिदा क्यों मैंने आईने में ख़ुद को ही निहारा फिर से लौट कर आया "सफ़र" से मैं तो तेरी ख़ातिर ख़तरा हो जब कभी तू देना इशारा फिर से ग़ज़ल 25/2022 #सफ़र_ए_प्रेरित #gazal #yqbaba #yqdidi #shayari #love #philosophy ᕼα𝐲Ã卂t uSM𝓐Ⓝ ashish malik Pratibha Sharma
Prerit Modi सफ़र
2122 1212 22 शहरे दिल में ये तीरगी क्यों है पास हो कर तू अजनबी क्यों है पहले बेख़ौफ़ दिल धड़कता था दिल की धड़कन अभी रुकी क्यों है लौट कर आ तो तू गई हमदम फिर भी लगती तिरी कमी क्यों है चाँद को ढक दिया है बादल ने चाँद की आँख में नमी क्यों है तुम "सफ़र" रौशनी को फैलाओ फैली हर ओर तीरगी क्यों है ग़ज़ल 24/2022 #सफ़र_ए_प्रेरित #gazal #yqbaba #yqdidi #shayari #philosophy #love ashish malik
Prerit Modi सफ़र
122 122 122 122 मुझे इल्म जबसे ख़ुदा का हुआ है मिरी ज़ीस्त की तब हुई इब्तिदा है समंदर से कह दो न मुझको डराए ख़ुदा मेरी कश्ती का अब नाख़ुदा है हुआ है मयस्सर सभी कुछ मुझे तो मुझे ज़ीस्त में बस तिरी इक़्तिज़ा है मैं ग़ज़लों को जीता हूँ लिखता नहीं हूँ मिरे दिल में ग़ज़लों का इक गुल खिला है ये मतला ये मक़्ता ये ग़ज़लें ये बहरें बताओ मुझे, होता क्या क़ाफ़िया है बिना तेरे ग़ज़लों की महफ़िल थी सूनी "सफ़र" तेरे आने से रौशन समा है ग़ज़ल 23/2022 #सफ़र_ए_प्रेरित #gazal #yqbaba #yqdidi #shayari #love #philosophy ᕼα𝐲Ã卂t uSM𝓐Ⓝ ashish malik Madhu Jhunjhunwala Pratibha Sharma
Prerit Modi सफ़र
2122 1212 22 रात की तीरगी में रोता हूँ मुद्दतों से जहां में तन्हा हूँ ख़ार उगाते हो तुम चमन में बस मैं मुहब्बत के बीज बोता हूँ तुम अंधेरे की तरह फैले हो रौशनी की तरह मैं फैला हूँ मैं किसी को समझ नहीं आता बर्फ़ हूँ मैं कभी तो शोला हूँ है अधूरा "सफ़र" बिना तेरे दूर तुझसे मैं जब भी होता हूँ ग़ज़ल 22/2022 #सफ़र_ए_प्रेरित #gazal #yqbaba #yqdidi #shayari #philosophy
Prerit Modi सफ़र
2122 2122 2122 212 हर्फ़ों की बारिश हुई है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरी आई अब रुत भी नई है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरी दफ़्न हैं अपनों के सारे राज़ सीने में मिरे बात दिल में ही दबी है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरी दर्द सारे ही सभी मैंने उकेरे ग़ज़लों में अब क़ज़ा मुझको मिली है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरी आग चारों और फैली मेरी तन्हा ज़ीस्त में ज़िन्दगी भी आतिशी है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरी इल्म मुझको ग़ज़लों का जिसने दिया वो है कहाँ बज़्म में उसकी कमी है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरी ख़िलते इक ही शाख़ से क्यों काँटे भी और गुल सदा गर समझनी ज़िन्दगी है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरी मेरा सब कुछ ही लुटा है इस "सफ़र" के दरमियाँ रात ग़म की फिर हुई है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरी ग़ज़ल 21/2022 #सफ़र_ए_प्रेरित #yqbaba #yqdidi #gazal #love #philosophy #sad ashish malik Rakesh Chawla ᕼα𝐲Ã卂t uSM𝓐Ⓝ