मुझको चाहनेवाले, तुम्हारे बन्द खाँचों में, नहीं रह पाऊंगा ।
मुझको मांगनेवाले, जितना बाँधना चाहोगे, मैं उड़ जाऊंगा ।
सोचो तो, तुम्हारी सोच के हर दायरे से दूर हूँ
चाहो तो, तुम्हारे दिल की हर धड़कन में, मैं मिल जाऊंगा ।
मुहब्बत होगी तुम्हें, मेरे वजूद से, ये मानता हूँ
मेरी नामौजूदगी में भी, इश्क़ सिर्फ मुझसे ही हो, तो मैं मिल जाऊंगा ।
नहीं है कोई भी बन्धन तुम्हारे फैसलों में
होगा ज़रूरी तो, तुम्हारे फैसलों में, मैं कहीं दिख जाऊंगा । #poem#MajesticWords