ग़ज़ल इश्क़ मुझको हुआ है बता क्या करें । खत उसे फिर लिखा अब खता क्या करें ।।१ खत लिखा आज पहला उसे याद कर । चूम खत को लिया तो दुआ क्या करें ।।२ आज किस्मत हमारी बदल ही गई । आ रहे वो यहाँ बोल क्या क्या करें ।।३ रख दिया पाँव जब इश्क़ दहलीज पर । पीर फिर जो उठे तो खुदा क्या करें ।।४ मुस्कराऊँ भला आज कैसे यहाँ । जान तन से अभी है जुदा क्या करें ।।५ फूल कैसे उसे आज उपहार दूँ । वह स्वयं मोगरा है चंपा क्या करें ।।६ रूठ मुझसे गई ज़िन्दगी जब प्रखर । मौत से फिर बता हम सुला क्या करे ।।७ ३१/०१/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल इश्क़ मुझको हुआ है बता क्या करें । खत उसे फिर लिखा अब खता क्या करें ।।१