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मुलज़िम है मेरा, ख़ुश वो अभी तो नहीं होगा, हो जाए

मुलज़िम है मेरा, ख़ुश वो अभी तो नहीं होगा,
हो जाए रिहा, फिर भी बरी तो नहीं होगा.

वो शख़्स बड़ा है तो ग़लत हो नहीं सकता,
दुनिया को भरोसा ये अभी तो नहीं होगा.

Aalok Shrivastav

©साहित्य संजीवनी
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