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वसुधा (दोहे) वसुधा माता कह रहीं, ओ बालक नादान। दू

वसुधा (दोहे)

वसुधा माता कह रहीं, ओ बालक नादान।
दूषित मुझको कर रहा, फिर बनता अनजान।।

नासमझी का ढोंग रच, हँसे ठहाका मार।
जब विपदा सिर पर पड़ी, करता हा - हाकार।।

कूड़ा भी करता बहुत, और करे संहार।
बिना बात के तू लड़े, मैं वसुधा लाचार।।

निर्दोषों को मार कर, खूब कमाता पाप।
मुझ वसुधा का श्राप ले, कर अब तू संताप।।

मैं वसुधा भयभीत हूँ, जो देखूँ हालात।
हर पल अब संकट बढ़े ,कलयुग दे आघात।।

दया करो हे नाथ अब, करो दुष्ट संहार।
मैं संकट से घिर रही, कर दो अब उद्धार।।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
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