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एक वक्त के बाद सब कुछ बिखरने सा लगता है मुट्ठी में

एक वक्त के बाद सब कुछ बिखरने सा लगता है
मुट्ठी में बंद रेत सा हर रिश्ता फिसलने सा लगता है
बिछड़े हमसफ़र का दर्द और ज्यादा गहराने लगता है
सब के बीच होकर भी ये दिल मायूस और तन्हां लगता है 

उम्र भी किसी की कहां ठहर कर रहती है
जिसे गोद में खिलाया वो अब बहुत सयाने बन जाते है
हम से ज्यादा समझदारी उनमें नज़र आने लगती है
वक्त भी अपना रूप बदल कर हमें दिखलाता है

अब बस चाहत अपनों की अपनेपन की रह जाती है
जिन बच्चों की परवरिश में अपना सुकूं तक गंवाया है
उन्हीं से जब तिरस्कृत होकर रहना पड़ता है, तो
दिल बेचैन और मन घायल हो कर रह जाता है

चेहरे पर झुर्रियों का बसेरा होने लगता है, तो
सब अपना कहने वालों की नकाबों को उठा देता है
सारे रिश्ते-नाते झूठे और बेगाने से लगने लगते है
अब बस अपनें बिछड़े साथी की यादें ही साथ होती है

जिस चाव और लगन से दोनों ने अपनी गृहस्थी संभाली थी
अब बस उसकी स्मृतियां ही शेष बची रह जाती है
यही तो है जीवन की त्रासदी और कटु सत्य भी
बुढ़ापे में बस अपनों से सम्मान पाने की तमन्ना रह जाती है।

©Sadhna Sarkar
  #ankahe_jazbat
ये उन सभी माता पिता को समर्पित है।जो किसी कारणवश एक दूसरे से बिछड़ गए हैं।उन्हीं की व्यथा को समझाने भर की कोशिश की हूं । इसे समझाने में हुई मेरी भूल त्रुटि को माफ़ करें 🙏

#ankahe_jazbat ये उन सभी माता पिता को समर्पित है।जो किसी कारणवश एक दूसरे से बिछड़ गए हैं।उन्हीं की व्यथा को समझाने भर की कोशिश की हूं । इसे समझाने में हुई मेरी भूल त्रुटि को माफ़ करें 🙏 #कविता

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