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जब पीड़ाएं असहनीय हो जाती हैं ओर उनका कृंदन ना किय

जब पीड़ाएं असहनीय हो जाती हैं
ओर उनका कृंदन ना किया जाए 
तो फिर वो कृंदन
 एक असीम आक्रोश में
एक चिल्लाहट के साथ 
बिजली की तरह कड़कता है, 
किसी और पर नहीं 
बल्कि खुद के अंदर कैद 
आवेग को खुद पर 
झुंझलाहट के रूप में निकालते हुए,,..

©Rakesh frnds4ever
  #BehtaLamha 
जब #पीड़ाएं #असहनीय  हो जाती हैं
ओर उनका #कृंदन  ना किया जाए 
तो फिर वो कृंदन
 एक #असीम  #आक्रोश श में
एक चिल्लाहट के साथ 
#बिजली  की तरह कड़कता है, 
किसी और पर नहीं

#BehtaLamha जब #पीड़ाएं #असहनीय हो जाती हैं ओर उनका #कृंदन ना किया जाए तो फिर वो कृंदन एक #असीम #आक्रोश श में एक चिल्लाहट के साथ #बिजली की तरह कड़कता है, किसी और पर नहीं #खुद #ज़िन्दगी #झुंझलाहट #rakeshfrnds4ever

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