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यादें याद रहती हैं,, बातें भूल जाती हैं,, इक अच्छी यादाश्त या स्मरण शक्ति (Memory)भी बहुत हानिकारक होती है हर ,,,अच्छी ,बुरी भली, इसकी उसकी, ऐसी वैसी ,जैसी तैसी, यहां वहां की, इधर उधर की,आगे पीछे की, और लोगों के अनुरूप हर तरीके की कही अनकही, सुनी सुनाई , बोली बतलाई गई सभी बातें ,,,,, किस्से ,वाकिया सब कुछ जैसे की तैसी जहन में संरक्षित रखती हैं कसमें वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या?? कोई नही है किसी का जग में ये, जूठे नाते हैं नातों का क्या???,,, ©Rakesh frnds4ever #yaadein #यादें याद रहती हैं,, #बातें भूल जाती हैं,, इक अच्छी #यादाश्त या स्मरण शक्ति (Memory)भी बहुत हानिकारक होती है हर ,,अच्छी ,बुरी भली,
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विश्व की श्रेष्ठतम भाषा जिसमें विचारों की अभिव्यक्ति व सृजनशीलता सहज,स्वाभाविक एवम् स्पष्ट है ऐसी भाषा जो विकारों एवम व्याधियों को दूर करती है जिसके उच्चारण मात्र से रोगों से मुक्ति मिलती है ऐसी भाषा जो आपको सभ्य, संस्कारी ओर सदाचारी इंसान बनाती है जो आपकी संस्कृति सभ्यता का मूल है,, जो की विश्व की इंसान को जानवर बनाने वाली पाश्चात्य रद्दी भाषा अंग्रेजी की तरह चोरी की नहीं है,,... हिंदी है हम वतन हैं,,.... ©Rakesh frnds4ever #Hindidiwas #विश्वहिंदीदिवस #विश्व की श्रेष्ठतम #भाषा जिसमें विचारों की अभिव्यक्ति व #सृजनशीलता सहज,स्वाभाविक एवम् स्पष्ट है ऐसी भाषा जो विकारों एवम व्याधियों को दूर करती है जिसके उच्चारण मात्र से रोगों से मुक्ति मिलती है ऐसी भाषा जो आपको
#Hindidiwas #विश्वहिंदीदिवस #विश्व की श्रेष्ठतम #भाषा जिसमें विचारों की अभिव्यक्ति व #सृजनशीलता सहज,स्वाभाविक एवम् स्पष्ट है ऐसी भाषा जो विकारों एवम व्याधियों को दूर करती है जिसके उच्चारण मात्र से रोगों से मुक्ति मिलती है ऐसी भाषा जो आपको
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हाथों की लकीरों में ना जाने क्या लिखा है,, अनगिनत लोगों के दरमियान भी हरदम एकेले होता हूं ना जाने कितने हाथों ने छोड़ा है इन हाथों को ना जाने कितनी ही बार किसी के हाथों को पकड़ने के हर प्रयास विफल रहे हैं कभी कहीं कोई अपनेपन का स्पर्श महसूस नही किया है इन हथेलियों ने हर बार स्नेह, प्यार, दुलार, साथ, दयालुता, सहयोग, भावात्मक, अपन्वतव, ओर सभी सकारात्मक स्पर्शों से वंचित रही हैं ये हथेलियां और अंगुलिया काश कोई इक बार तो कम से कम काश कोई थाम ले इन्हें कब तक ये हमेशा छूटते रहेंगे, टूटते रहेंगे, कापतें रहेंगे , बिखरते रहेगें,,,.... ©Rakesh frnds4ever #sparsh #हाथोंकीलकीरों में ना जाने क्या लिखा है,, अनगिनत लोगों के दरमियान भी हरदम एकेले होता हूं ना जाने कितने हाथों ने छोड़ा है इन हाथों को ना जाने कितनी ही बार किसी के हाथों को पकड़ने के हर प्रयास विफल रहे हैं कभी कहीं कोई #अपनेपन का #स्पर्श #महसूस नही किया है इन #हथेलियों ने
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सुनहले सपनों के सुनहरे दृश्य पलकों पर ठहरे चिंताओं, समस्याओं ,परेशानियों के दुनिया समाज द्वारा उत्पन व दूषित किए बादलों के बोझ को कुछ पल के लिए मरहम रूपी हवा के झोकों की तरह कुछ क्षण के लिए हल्का कर देते हैं परंतु जैसे ही निद्रा टूटती है, स्वपन टूटता है ये मन, ये तन, ये मस्तिष्क और ये शरीर सभी वास्तविक स्थिति में आते ही ये भी टूटकर बिखरने लगते हैं,,,... ©Rakesh frnds4ever #Sunhera #सुनहलेसपनों के #सुनहरे दृश्य पलकों पर ठहरे #चिंताओं , #समस्याओं ,परेशानियों के #दुनिया_समाज द्वारा उत्पन व दूषित किए बादलों के बोझ को #कुछपल के लिए मरहम रूपी हवा के झोकों की तरह कुछ क्षण के लिए हल्का कर देते हैं
#Sunhera #सुनहलेसपनों के #सुनहरे दृश्य पलकों पर ठहरे #चिंताओं , #समस्याओं ,परेशानियों के #दुनिया_समाज द्वारा उत्पन व दूषित किए बादलों के बोझ को #कुछपल के लिए मरहम रूपी हवा के झोकों की तरह कुछ क्षण के लिए हल्का कर देते हैं
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जीवन के सभी सुखद दुखद क्षणों की मन में छपी और मस्तिष्क के चेतन अवचेतन हिस्से में सहेजी गई सभी स्मृतियां जब जिंदगी की मुश्किल परिस्थितियों ओर बदतर हालातों में अनायास ही आंखों के दृश्यपटल के सामने इक रंगमंच के रूप में एक साथ प्रसारित हो ,, छवि के रूप में उभरती हैं तो मानों जैसे आपकी खुद की विभिन्न स्थितियों में अच्छी, बुरी, बेकार ,दयालु,स्वार्थी,लोभी, निर्दयी,सहयोगी, मतलबी,एकाकी,,आदि सभी छवियों से आपको रूबरू करा देती हैं ©Rakesh frnds4ever #Chhavi #जीवन के सभी सुखद दुखद #क्षणों की मन में छपी और मस्तिष्क के #चेतन #अवचेतन हिस्से में सहेजी गई सभी #स्मृतियां जब जिंदगी की मुश्किल परिस्थितियों ओर बदतर हालातों में
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जब खुद को खुली किताब की तरह पेश किया जाता है तो , लोग सोचते हैं इसे तो कैसे भी use किया जा सकता है सही या गलत किसी भी तरह फायदा उठाया जा सकता है अपनी फितरत के अनुरूप एक रफ notebook की तरह उसमें लीक/पकोले -- अंट शंट , ऊल जलूल, अपनी मक्कारी, बेइमानियां, जूठ,फरेब आदि शामिल करते हुए खुद उससे फायदा लेते हुए उसे दूसरे लोगों के सामने रद्दी,,,बेकार,,,, बेफिजूल,, unuseful साबित करने में लगे रहते हैं, ठीक ऐसे ही लोग ऐसे खुली किताब रूपी स्वरूप वाले इंसान के बारे में गलत धारणा ओर दूसरों से मिले गलत विचारों के आधार पर उसका अलग review देते हुए अलग feedback प्रदान करते हैं बिना असलियत से वाकिफ हुए,,,,,,....... ©Rakesh frnds4ever #kitaab जब खुद को खुली #किताब की तरह पेश किया जाता है तो , लोग सोचते हैं इसे तो कैसे भी #Use किया जा सकता है सही या गलत किसी भी तरह फायदा उठाया जा सकता है अपनी फितरत के अनुरूप
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कद्र और समय दोनों प्रतिव्रती अनुक्रियाँ हैं अगर किसी की कद्र करोगे तो वो कभी अपना समय नहीं देता है और अगर किसी को अपना समय दोगे तो वो तुम्हारी कभी कद्र नहीं करता है परन्तु कुछ हम जैसे भी लोग होते हैं जो कद्र और समय दोनों में सामंजस्य और तालमेल बनाए रखते हुए उसमे फिक्र और परवाह भी शामिल करते हुए लोगों को खुद से ज्यादा महत्व देते हैं,, ज्यादा अहमियत देते हैं पर फिर भी बदले में मतलबी दुनिया के मतलबपरस्त लोग अपनी चालाकियों, जूठ,फरेबों, बेइमानियों, धोखों से बाज नहीं आते ओर सोचते हैं कि कोई उनकी असलियत नहीं जानता,,,.... ©Rakesh frnds4ever #कद्र और #समय दोनों प्रतिव्रती अनुक्रियाँ हैं अगर किसी की कद्र करोगे तो वो कभी अपना समय नहीं देता है और अगर किसी को अपना समय दोगे तो वो तुम्हारी कभी कद्र नहीं करता है #परन्तु
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बात बात पे अपनी ही बात कहता है,, मेरे अंदर बातों का समंदर बहता है,,, बातें कुछ अनकही सी मन में उथल पुथल करने वाले द्वंद युद्ध सी बातें कुछ अनबुझी सी समस्याओं के बिना समाधान और पहेलियों के मायाजाल सी बातें कुछ अनसुनी सी दुत्कार फटकार लगाती बेगाने से व्यवहार सी बातें कुछ बचकानी सी बातो के मतलब से दूर भागती सी बातें कुछ बेमानी सी दूसरो की भली करने पर,,बदले मे मिली नफरतऔर ग्लानि सी बातें कुछ रूहानी सी मन व आत्मा के साथ नैतिक सामंजस्य स्थापित करने वाली सी बातें कुछ मनचली सी जूठे सुख की चाह में लोगों से बच्चों की तरह बहकने वाली सी ,,,,,,,,,....... ©Rakesh frnds4ever #बातें बात बात पे अपनी ही बात कहता है,, मेरे अंदर बातों का समंदर बहता है,,, #बातें_अनकही सी मन में उथल पुथल करने वाले #द्वंद्व युद्ध सी बातें कुछ #अनबुझी सी
#बातें बात बात पे अपनी ही बात कहता है,, मेरे अंदर बातों का समंदर बहता है,,, #बातें_अनकही सी मन में उथल पुथल करने वाले #द्वंद्व युद्ध सी बातें कुछ #अनबुझी सी
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नए अंकुरित बीज से कपोलें फूटने पर जब छोटे से तने से छोटी छोटी शाखाओं से छोटी छोटी अनेकों टहनियां निकलती हैं और उनमें से जब नन्हें सुंदर सुमन उपज इस पृथ्वी के वातावरण को अपनी अच्छी मधुर सुगंध से महकाने के लिए प्रफुलित हो मुस्काते हुए धरती के प्रत्येक क्षेत्र को कोमल स्पर्शों से छूने को हमेशा आतुर रहते हैं, और इसी में अपने आप को समर्पित एवम समाहित कर देते हैं,,,,, लेकिन पृथ्वी की सबसे खतरनाक , हानिकारक , जहरीली, बेकार मनुष्य जात इन्हें ना तो पनपने देती है ना उपजने देती है, उपज जाए तो फिर शाखाएं काट डालती है , टहनियां तोड़ देती है, फूलों को तोड़कर उनकी सुगंध को नष्ट कर गला घोटतें हुए , पैरों तले रौंदते हुए, मसलते हुए उनके जीवन को समाप्त कर अपनी नीचता का, अज्ञानता का, निर्दयता का , प्रमाण देती हैं,,.... ©Rakesh frnds4ever #Khilna नए अंकुरित #बीज से #कपोलें फूटने पर जब छोटे से तने से छोटी छोटी शाखाओं से छोटी छोटी अनेकों टहनियां निकलती हैं और उनमें से जब नन्हें सुंदर #सुमन उपज इस पृथ्वी के वातावरण को अपनी अच्छी मधुर #सुगंध से महकाने के लिए प्रफुलित हो मुस्काते हुए धरती के प्रत्येक क्षेत्र को
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धुंधली शाम के मानिंद आंखें भी धुंधला चुकी हैं ओर इस धुंधलेपन में मंजिल भी शायद धूमिल हो चुकी है संध्या का सूरज जिस तरह डूब रहा है,, जैसे जैसे श्यामलता घटती जा रही है, वैसे वैसे ही जिंदगी में शामिल ये तिमिर ये अंधकार भी मुझमें और मैं इसमें डूबता जा रहा हूं,, क्या पता किसी रोज इस संध्या की अंधेरी रात के पश्चात का भोर रूपी सवेरा होने ही ना पाए,, क्या पता कब वो क्षण आए जब ये सांझ ढलते ढलते जीवन की भी संध्या बेला को भी साथ में ढाल ले जाए,,,... ©Rakesh frnds4ever #Shajar #धुंधली #शाम के मानिंद आंखें भी धुंधला चुकी हैं ओर इस धुंधलेपन में मंजिल भी शायद #धूमिल हो चुकी है #संध्या का सूरज जिस तरह डूब रहा है,, जैसे जैसे श्यामलता घटती जा रही है, वैसे वैसे ही जिंदगी में शामिल ये तिमिर ये #अंधकार भी मुझमें और मैं इसमें डूबता जा रहा हूं,,