र लठां की मार कोनी बस की बात मेरी। आदत है बात मैं

 र लठां की मार कोनी बस की बात मेरी।
आदत है बात मैं कलम की गैल करूंगा।
अर भाई जरा गौर त सुणीयो बात मेरी।
जमा एक-एक बात म्हं सच्जाई धरूगां।

जब जाट आंदोलन का होया था मसला।
उस टेम भी सरकार की चपेट म आए थे।
किसे का नाम आतंकवाद मं था उछला।
कई होगे घायल कई बिछड़े मां के जाए थे।

र फेर रोड़ा प वे अन्नदाता आ के बैठे थे।
उन प भी जूल्म करे जो भूख मिटावै हैं।
इस घटिया राज न वे भी बोत घणे लपेटे थे।
जितने रहे थे घर त बार वे कडै सुख पावै हैं।

इब फेर यो नीच राजा चाल खेलग्या भारी।
यो हर फौजी प बस फौज भूण्डी करावैगा।
र फेर बणा मुकदमा जिंदगी खोवैगा सारी।
कुछ नी धरया इन दग्यां मं जणा-२ पछतावैगा।

©RS Sumit Sipper
  #कह सुमित सिप्परिया #कलम म दम प।
के #बस इब कुछ #ग़लत काम नी करणा।
#पत्थर धर के दिल त काडदयो #अग्निपथ न।
जीणा है थम न #कसाई के #हाथ नी मरणा।
play

#कह सुमित सिप्परिया #कलम म दम प। के #बस इब कुछ #ग़लत काम नी करणा। #पत्थर धर के दिल त काडदयो #अग्निपथ न। जीणा है थम न #कसाई के #हाथ नी मरणा। #Society

102 Views