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R K Mishra " सूर्य "
.....बकरा और कसाई का वार्तालाप..... बकरा हसे ठठाय के, अब सुन लो मेरी बात मैनें भी तो इसी तरह, तेरी गर्दन दी थीं काट जैसे मैंने काटा तेरी, अब तू काटे है मेरी खेला सभी प्रभू का है, बस होता हेरा फेरी सत्य यही है जीवन का, जो जैसा बोया काटा लेखा जोखा सही सही , सबके भाग्य में आता सोच समझ चिंतन करले, क्यों तूं जीव को मारे क्या मुंह लेकर जायेगा तूं, बनकर के हत्यारे महापाप है हत्या करना, सबका प्राण है प्यारा "सूर्य" कहें कुछ सोच, सबक बकरा का प्यारा ©R K Mishra " सूर्य " #बकरा#कसाई Rama Goswami Ashutosh Mishra Sethi Ji Sethi Ji Ayesha Aarya Singh
Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
shubham hirode
क्या जिंदगी की हर जंग कसाई से लिखी जाए मुझको बताओं कि ये किस्मत-ए-रसाई कैसे लिखी जाए *रसाई:-पहुँच,दाख़िला* जिंदगी इतनी भी बुरी नहीं। कि किस्मत भी बुरी लगने लग जाए। #लफ्ज़_कुछ_उनसे_जुड़े,,,,❤❤ #कसाई रसाई ज़िन्दगी किस्मत #YourQuoteAndMine Collaborating with Shruti Tiwari #yqbaba #yqbhaijan #yqdidi #collab #bestyqhindiquotes
RS Sumit Sipper
र लठां की मार कोनी बस की बात मेरी। आदत है बात मैं कलम की गैल करूंगा। अर भाई जरा गौर त सुणीयो बात मेरी। जमा एक-एक बात म्हं सच्जाई धरूगां। जब जाट आंदोलन का होया था मसला। उस टेम भी सरकार की चपेट म आए थे। किसे का नाम आतंकवाद मं था उछला। कई होगे घायल कई बिछड़े मां के जाए थे। र फेर रोड़ा प वे अन्नदाता आ के बैठे थे। उन प भी जूल्म करे जो भूख मिटावै हैं। इस घटिया राज न वे भी बोत घणे लपेटे थे। जितने रहे थे घर त बार वे कडै सुख पावै हैं। इब फेर यो नीच राजा चाल खेलग्या भारी। यो हर फौजी प बस फौज भूण्डी करावैगा। र फेर बणा मुकदमा जिंदगी खोवैगा सारी। कुछ नी धरया इन दग्यां मं जणा-२ पछतावैगा। ©RS Sumit Sipper #कह सुमित सिप्परिया #कलम म दम प। के #बस इब कुछ #ग़लत काम नी करणा। #पत्थर धर के दिल त काडदयो #अग्निपथ न। जीणा है थम न #कसाई के #हाथ नी मरणा।
ankit saraswat
सरगम सी धुन बन तू मुझमें समाई है, तेरे प्यार में मैंने अपनी नींद गवाई है, तुझसे मिलने को ओढ ली पूरी रजाई है, इतनी सर्दी मे बुलाने वाली तू पूरी कसाई है।। 😂😂😂😂😂 #कसाई
Parasram Arora
कसाई संत की विशद धार्मिक व्याख्या सुनकर आध्यात्मिक भेड़े भृमित होने लगी अंततोगत्वा सभी श्रावक भेड़े समर्पण करती गईं और एक एक करके कटती गईं....... मुक्ति पथ पर उन भेडो को धकेल कर आज वो कसाई संत यमलोक के उच्च पद पर आसीन हो चुका है कसाई संत ......
Dharmendra Bhatt
शीर्षक:- विदाई। लेखक "शायद" इक दिन बेटी चली जायेगी बस यादे ही रह जायेगी। अपनों से नाता तोड़कर गेरो की वो हो जायेगी।। अपनों को भूलकर कैसे वो गेरो के बीच रह पायेगी। दर्द भी होगा यदि उसे तो वहां किसे वो बतायेगी।। दूर बेठी हर बेटी अपनी व्यथा किसे समझाएगी। कोसो दूर बेठे माँ बाप की "आह" निकल तो जायेगी।। जुल्म करने वालो समझो दहेज के लिए न हो हरजाई। एक दिन ऐसा आयेगा जब तुम कहलाओगे कसाई।। जब तुम कहलाओगे कसाई।। ("शायद").
LalitPurohit
महान व्यक्तित्व वाले महन्त श्री के सब्द है । कोसिस की है कुछ पंक्तियों में लिखने की ये पैसे तेरे पीछे सब लगे है क्या तेरी किमत है क्या चीज है तू कलाल के रक्त भरे हाथों में रहता है । कसाई तुझे अपनी उंगलियो पे थूक लगा के गिनता है तू क्या चीज है क्या तेरी किमत है तू आता है ब्राह्मण के घर वो भी कसाई की तरह गिनता है रखता है तू क्या चीज है सबका धर्म तू बन गया है अपना सब भूल गए है विनाश होना ही है तू क्या चीज है -तू विनाश है तेरी क्या किमत है - धरती पे कोई जीव न बचे में अकेला हवा में उड़ता फिरू आज सब की जेब तिजोरी में कैद हु lalitpurohit28 सब्द मेरे नही है इनको एक कविता में रूप देने की कोसिस की है 👣👣👣👣👣 #NojotoQuote comment and like reply
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