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यूं ही गुजर गया आज का दिन भी । पूछता हूं खुद से क

यूं ही गुजर गया आज का दिन भी ।

पूछता हूं खुद से कि मैं ठहर गया क्यों हुं।

कभी लौटकर नहीं आता है वापस कोई।

 समझ आता नहीं कि किस के इंतज़ार में हुं।

देखता हूं पानी को जो रुकता ही नहीं।

सब छोड़ गुजर जाता है बड़ी आसानी से।

 बन जाते है समुन्दर जहां ठहर जाए कभी।

निकाल ही लेता हैं जीवन को परेशानी से।

,,,इस लिए रुकना नहीं बस,,
,,,चलते ही रहे ,,,

©Vickram
  रुकना व्यर्थ है######
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Vickram

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रुकना व्यर्थ है###### #शायरी

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