मेरी तक़दीर में कोई है ही नहीं शायद, या शायद कोई बहुत अच्छा हो, अगर है तो कोई मिलता क्यों नहीं, या शायद कोई देर से लिखा हो, कोई तो होगा, इतनी तो उम्मीद है मुझे, वो चाँद सा तो होगा शायद या नहीं, मालूम नहीं वो कैसा होगा, फूलों सा तो होगा ही, या शायद कलियों सा भी हो? क्या मालूम कहीं ऐसा हो, कि शायद तक़दीर में कोई हो ही नहीं? शायद??? सुभाष ठाकुर ✍️ ©Subhash Thakur #शायद À m Á n