हो जाता है किसी अनजान से लगाव यहीं से होता है प्यार की शुरुआत मन मचलने लगता हृदय बेचैन होता व्यक्ति के व्यक्तित्व से प्रभावित होने लगता आँखों में बस जाता उनकी ही सूरत हृदय में बस जाते बन वो देव सी मूरत अजब खेल है प्रेम की आँख मिचौली स्वयं को हार कर मिलती सबसे बड़ी खुशी जीवन के सुख दुःख का साथी वो बन जाता हृदय के गहराई में बस ताउम्र साथ निभाता ये लगाव ही प्रेम की पहली सीढ़ी होती जीवन बीते संग एहसास ऐसा जगा जाती कभी-कभी यूँ ही न जाने कब हो जाता है अंजानों से लगाव, शायद हो नज़रों का आकर्षण या होता हो व्यक्तित्व का प्रभाव। 💞 कोई छवि बस जाती है नयनों में मिले है राहतें उनका दीदार करके, मन से मन का.. लगाव है निराला