हूँ मैं अध्ययनरत पढ़ने को मनोभाव पर मन है कि कुलांचें मारते हुए झट से बदल लेता है हर भाव को अस्थिर चंचल हो मृग-सा दौड़ता हुआ, और मैं देखता रह जाता हूँ बेबस खड़ा अव्यक्त-सा उन्मुक्त अभिव्यक्ति के लिए विभक्त-सा हर आदमी को कटते हुए सहमते हुए | #glal #mann #aadami #hindipoetry #hindikavita #hindipoet #yqbaba #yqdidi