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यूँ ही बेबस खड़े खड़े क्यों करते हो, ज़िंदगी में त

यूँ ही बेबस खड़े खड़े क्यों करते हो,
ज़िंदगी में तुम रोशनी का इंतज़ार।
अपने हाथों से क्यों नहीं जलाते हो,
अपनी क़िस्मत का दीया एक बार।

©Amit Singhal "Aseemit"
  #रोशनी #का #इंतज़ार