कई सूरतें बदल गयीं, कई रास्ते बदल गए, ऐ ज़िंदगी तेरे कदम, बचपन मेरा कुचल गए। मिट्टी बने मकान में, बिखरी थीं जो भी रौनकें, सपनें शहर के ज़लज़ले बनकर वो सब निगल गए। यूँ आशिक़ी अता तेरी, मुट्ठी में जैसे रेत हो, लम्हें की शय में छूटकर, अरमां-ओ-तुम फ़िसल गए। कैसे यकीं करें मेरा, अब की नयी मोहब्बतें, तू भी तो अब न साथ है, ख़त भी तो तेरे जल गए। आकर ज़मीं पे ढूंढते, जीना है क्या है ज़िंदगी, कल के लिए हयात के, कितने ही आज, कल गए। जिसको भी जैसी आरज़ू, पा लो 'डिअर' को हूबहू, हम आईने से एक थे, लो टूट सौ में ढल गए। #dearsdare #gazal #gazal #yqdidi #yqgazal #love #life