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मेरा दिल किसी का दीवाना ना हुआ। ये मेरा ही रहा कभी

मेरा दिल किसी का दीवाना ना हुआ।
ये मेरा ही रहा कभी बेगाना ना हुआ।

तुम मेरे बारे में कुछ भी कह लो मगर।
हकीक़त तो कभी अफ़साना ना हुआ।

फ़नकार, कलमकार ये निशानी मिली।
हुनर पर अपने कभी इतराना ना हुआ।

एक रोज जो चले आए सो आज तक,
उसकी गली कभी आना-जाना ना हुआ।

दिलों के खेल में दर्द इनाम है जनता था।
सो ग़म-ए-उल्फत में कभी रोना ना हुआ।

रंज-ओ-ग़म जय के मनिंदा-ए-महबूब है।
ख़ुद ही आ जाती है कभी बुलाना ना हुआ।

©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri"
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