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तेरी फ़ुरक़त में तेरे ग़म गुसारों को न नींद आई। ज़

तेरी फ़ुरक़त में तेरे ग़म गुसारों को न नींद आई।
ज़माना सो गया पर ग़म के मारो को न नींद आई।।

हमारी आह, का नारा फलक से जाके टकराया।
न सोए चांद औ सूरज सितारों को न नींद आई।।

किनारे बैठे थे जाकर भरा अश्कों का था गागर।
समंदर रात भर तड़पा किनारों को नींद आई।।

हुआ एक रात को मेरा गुज़र गोर-ए-ग़रीबाँ में।
तड़पने पर मेरे आहल-ए-मज़ारों को न नींद आई।।

मेरा रोना ए है 'सायबा' जहां पहुंचे वहीं रोए।
 वहां के रहने वाले जानदारों को न नींद आई।।

©संवेदिता "सायबा"
   तेरी फ़ुरक़त में तेरे ग़म गुसारों को न नींद आई।
ज़माना सो गया पर ग़म के मारो को न नींद आई।।

हमारी आह, का नारा फलक से जाके टकराया।
न सोए चांद औ सूरज सितारों को न नींद आई।।

किनारे बैठे थे जाकर भरा अश्कों का था गागर।
समंदर रात भर तड़पा किनारों को नींद आई।।
jaiambe4696

Smvedita

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तेरी फ़ुरक़त में तेरे ग़म गुसारों को न नींद आई। ज़माना सो गया पर ग़म के मारो को न नींद आई।। हमारी आह, का नारा फलक से जाके टकराया। न सोए चांद औ सूरज सितारों को न नींद आई।। किनारे बैठे थे जाकर भरा अश्कों का था गागर। समंदर रात भर तड़पा किनारों को नींद आई।। #Shayari #nojotohindi #शायरी #nojotoshayari #गज़ल #samvedita #संवेदिता #सायबा

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