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ग़ज़ल बुरे गर बने तो शिकायत मिलेगी । भली आदतों से ही

ग़ज़ल
बुरे गर बने तो शिकायत मिलेगी ।
भली आदतों से ही इज्जत मिलेगी ।।१

गरीबों के घर में शराफ़त मिलेगी ।
यहीं तो तुम्हें हर लियाकत मिलेगी ।।२

यही सोचकर हम भले बन गये थे ।
खुदाया तेरे घर तो जन्नत मिलेगी ।।३

नहीं छोड़कर वो वतन जा सका फिर ।
सुना बेटियों को हिफ़ाज़त मिलेगी ।।४

बढ़ाओ नहीं शौख अपने यहाँ तुम ।
तुम्हें अब न इसकी इज़ाजत मिलेगी ।।४

नहीं जा सकूँगा इन्हें छोड़कर मैं ।
भले ही वहाँ हमको दौलत मिलेगी ।।६

करो तुम सही तो चलन आज अपना ।
तुम्हें भी जहाँ में मुहब्बत मिलेगी ।।७

हमारी वफ़ा पे यकीं उसको होगा ।
तभी हुस्न की ये नज़ाकत मिलेगी ।।८

चला जा प्रखर तू गुरुदेव के दर ।
वहीं पर सही अब निज़ामत मिलेगी ।।९

०९/०२/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल
बुरे गर बने तो शिकायत मिलेगी ।
भली आदतों से ही इज्जत मिलेगी ।।१

गरीबों के घर में शराफ़त मिलेगी ।
यहीं तो तुम्हें हर लियाकत मिलेगी ।।२

यही सोचकर हम भले बन गये थे ।
ग़ज़ल
बुरे गर बने तो शिकायत मिलेगी ।
भली आदतों से ही इज्जत मिलेगी ।।१

गरीबों के घर में शराफ़त मिलेगी ।
यहीं तो तुम्हें हर लियाकत मिलेगी ।।२

यही सोचकर हम भले बन गये थे ।
खुदाया तेरे घर तो जन्नत मिलेगी ।।३

नहीं छोड़कर वो वतन जा सका फिर ।
सुना बेटियों को हिफ़ाज़त मिलेगी ।।४

बढ़ाओ नहीं शौख अपने यहाँ तुम ।
तुम्हें अब न इसकी इज़ाजत मिलेगी ।।४

नहीं जा सकूँगा इन्हें छोड़कर मैं ।
भले ही वहाँ हमको दौलत मिलेगी ।।६

करो तुम सही तो चलन आज अपना ।
तुम्हें भी जहाँ में मुहब्बत मिलेगी ।।७

हमारी वफ़ा पे यकीं उसको होगा ।
तभी हुस्न की ये नज़ाकत मिलेगी ।।८

चला जा प्रखर तू गुरुदेव के दर ।
वहीं पर सही अब निज़ामत मिलेगी ।।९

०९/०२/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल
बुरे गर बने तो शिकायत मिलेगी ।
भली आदतों से ही इज्जत मिलेगी ।।१

गरीबों के घर में शराफ़त मिलेगी ।
यहीं तो तुम्हें हर लियाकत मिलेगी ।।२

यही सोचकर हम भले बन गये थे ।

ग़ज़ल बुरे गर बने तो शिकायत मिलेगी । भली आदतों से ही इज्जत मिलेगी ।।१ गरीबों के घर में शराफ़त मिलेगी । यहीं तो तुम्हें हर लियाकत मिलेगी ।।२ यही सोचकर हम भले बन गये थे । #शायरी