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साया बहुत दूर से संग चलकर आया हूँ मैं छाँव में भ

साया 

बहुत दूर से संग चलकर आया हूँ मैं
छाँव में भी छुपकर रहता हूँ संग तेरे 
                और रोशनी में जो सबसे गहरा रंग                
हाँ वो ही  संग चलने वाला साया हूँ मैं।

बहुत दुर से संग चलकर आया हूँ मैं
तेरे जैसे आकार का बन जाता हूँ संग तेरे 
     हाँ जो तेरे चारों तरफ घूमता गहरा रंग     
जिसपर तु ध्यान नही देता वोही साया हूँ मैं।

जिंदगी का सफर संग तैय कर आया हूँ मैं
            मरना जीना एक साथ ही है इस दुनियां में           
हाँ वोही जो किसी गम से नही घबराता 
   जिसका रूह के जैसा रिश्ता वोही साया हूँ मैं । 


तनहा शायर हूँ- यश





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©Tanha Shayar hu Yash
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