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Autumn खुश्बू बिखरी बाग में, भ्रमर करे गुंजार। जग

Autumn खुश्बू बिखरी बाग में, भ्रमर  करे गुंजार।
जगत नियंता ईश की, महिमा अपरंपार।।

भूल कभी जो हो गई, करो उसे स्वीकार।
गलती अपनी मान लो, बने सुखी संसार।।

©Godambari Negi
  #दोहे