आखिर क्या है मेरी हैसियत,आज तक मेरे समझ न पाई| जन्म लिया जब लड़की हुई कहते हुए कइयों ने नजर चुराई| बड़ी होती गई तो समझ आया,मुझसे ज्यादा भाई पर भरोसा जताया गया| उम्र हुई शादी की तो औरो की अमानत कहकर कई बार धुत्कारा गया| शादी के बाद भी पत्नी के रूप में,पैरों की जूती समझकर इस्तेमाल किया गया| कई नियम लगाए,कई बंदिशें लगाई,मेरी हैसियत,आज तक समझ न आई| #Contest 10(Hindi/उर्दू) 💌प्रिय लेखक एवं लेखिकाओं, कृपया अपने अद्भुत विचारों को कलमबद्ध कर अपनी लेखनी से चार चांँद लगा दें। 🎀 उपर्युक्त विषय को अपनी रचना में अवश्य सम्मिलित करें 🎀 चार से छह पंक्तियों में अपनी रचना लिखें,