ग़ज़ल हम तो शहर में हुये अजनबी-हम तो अपने शहर में हु

ग़ज़ल
हम तो शहर में हुये अजनबी-हम तो अपने शहर में हुये अजनबी,
ये शहर छोड़कर जबसे तू चल गई। हम तो शहर ..........2।

भीड़ लाखों के है, सडक़-गलियां वही-2,
पर दिखाई न दे तेरा चेहरा कहीं,
आँसू पी-पी कैसे जीता हूँ मैं,
हल क्या है मेरा आके देखो कभी।
हम तो अपने शहर में हुये अजनबी,
ये शहर ...........,हम तो ........।2

पूछती है पता तेरी-तन्हाईयाँ मेरी-2,
मैं बताऊँ तो क्या, मुझको खुद न पता-2,
रोज फिरता हूँ मैं तेरे घर की गली।
हम तो अपने शहर हुये अजनबी,
ये छोड़कर ........,हम तो........2।

जर्रे-जर्रे में यहाँ बस तेरी याद है-2,
दम तेरी बाहों में निकले ये रब फरियाद है।
बची कुछ साँसें है,पूरी कर दे तमन्ना सनम आखिरी।
हम तो अपने शहर में हुये अजनबी,
ये शहर छोड़कर जब से तू चल गई।
 हम तो अपने शहर में हुये अजनबी -4

©Geetkar Niraj
  छोड़के ये शहर जब से तू चल गई।
#BehtaLamha #ग़ज़ल #ghazal #geetkarniraj #sadghazal #newgazal
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छोड़के ये शहर जब से तू चल गई। #BehtaLamha #ग़ज़ल #ghazal #geetkarniraj #sadghazal #newgazal #शायरी

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शहर नशा है मेरा या उसका कहर है 
डर है हर गाँव मे उजड़ गए घर और बन रहे शहर है 
नासमझ थे लोग लालच था शहद का और पिलाया उन अमीरज़ादों ने जहर है ।

©Ravinder Sharma
  #गाँव #शहद #जहर #कहर #नशा 

#शहर
शहर नशा है मेरा या उसका कहर है 
डर है हर गाँव मे उजड़ गए घर और बन रहे शहर है 
नासमझ थे लोग लालच था शहद का और पिलाया उन अमीरज़ादों ने जहर है ।

©Ravinder Sharma
  #गाँव #शहद #जहर #कहर #नशा 

#शहर
White  बड़ी संगी हकीकत हो गई है 
हमे उनसे मोहब्बत हो गई है

दहकने से लगे रुखसार उनके 
बडी रंगी शरारत हो गई है

दर ए महबूब ये पहरे बहुत है 
बहुत सो को रकाबत हो गई है

रकीबो का तो जलना काम है बस
उन्हें हमसे अदावत हो गई है

जरा देखे कि क्या लिखा है खत में 
यह हम पे क्यों इनायत हो गई है

मै दिन की रोशनी में ख्वाब देखूं
 कि सतरंगी तबीयत हो गई है

गुलो को बाग में खिलते जो देखा 
हमे हसने की जुर्रत हो गई है
7/9/15

©MSA RAMZANI बड़ी संगी हकीकत हो गई है
#ghazal 
#gazal 
#gajal 
#ghajal
White  बड़ी संगी हकीकत हो गई है 
हमे उनसे मोहब्बत हो गई है

दहकने से लगे रुखसार उनके 
बडी रंगी शरारत हो गई है

दर ए महबूब ये पहरे बहुत है 
बहुत सो को रकाबत हो गई है

रकीबो का तो जलना काम है बस
उन्हें हमसे अदावत हो गई है

जरा देखे कि क्या लिखा है खत में 
यह हम पे क्यों इनायत हो गई है

मै दिन की रोशनी में ख्वाब देखूं
 कि सतरंगी तबीयत हो गई है

गुलो को बाग में खिलते जो देखा 
हमे हसने की जुर्रत हो गई है
7/9/15

©MSA RAMZANI बड़ी संगी हकीकत हो गई है
#ghazal 
#gazal 
#gajal 
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MSA RAMZANI

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