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रो रोके अब आखों के अश्क़ सुख गये है इतने बलात्कार

रो रोके अब आखों के अश्क़ सुख गये है
इतने बलात्कार आज की तारीख में हो रहे है। 

पर हमें क्या, हमें तो मोमबत्तियां जला कर
सडकों पर रोशनी करनी है, 
नामर्द सी नस्ल हैं हमारी गर्दन झुका कर दिखानी है। 
 आग लगी है दिलों में वो भी बुझ जाती है सवेरे में
फिर वही चिकारी सुनाई देती है अपने मोहल्ले में

©Amol M. Bodke
  #Justice