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मेरी कविता मेरी जिंदगी मेरी कविता मेरी जिंदगी बनी

मेरी कविता मेरी जिंदगी

मेरी कविता मेरी जिंदगी बनी है,
इसी कविता से मेरी हस्ती बनी है।
रच डाले मैंने तो कितने ही पन्ने,
ऐसे ही ये मेरी तकदीर बनी है।

जिंदगी अधूरी लगे कविता के बिना,
जैसे हो अधूरी अब साँसों के बिना।
एक पल भी बिना इसके रहा न जाए, 
जैसे हो यहाँ मछली पानी के बिना।

खो रही हो जिंदगी तनाव में जैसे,
भटकता हो मुसाफिर राहों में जैसे।
सोचे अब वो कैसे पहुँचे मंजिल तक,
संकट भी उसको थाम रहे हों जैसे।

जब से कविता ही अब सहारा बनी है,
नदी की ये ही अविरल धारा बनी है।
आते हैं पत्थर के रूप में रुकावट,
टकरा कर ये तब मधुर गाना बनी है।

मेरी कविता मेरी जिंदगी बनी है,
इसी कविता से मेरी हस्ती बनी है।
रच डाले मैंने तो कितने ही पन्ने,
ऐसे ही ये मेरी तकदीर बनी है।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
  #मेरी_कविता_मेरी_जिंदगी #nojotohindi 

मेरी कविता मेरी जिंदगी

मेरी कविता मेरी जिंदगी बनी है,
इसी कविता से मेरी हस्ती बनी है।
रच डाले मैंने तो कितने ही पन्ने,
ऐसे ही ये मेरी तकदीर बनी है।
deveshdixit4847

Devesh Dixit

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